हिमाचल चुनाव: क्या बिलासपुर का अपना गढ़ बचा पाएगी बीजेपी या कांग्रेस रोकेगी विजयी रथ?

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान चरम पर, अंतिम तैयारियों में जुटे सभी सियासी दल, बिलासपुर की 4 विधानसभा सीटों पर है इस बार रोचक मुकाबला, एक सीट पर एक सीट पर जेपी नड्डा लगा चुके हैं हैट्रिक, झंडूता और घुमरवीं पर बीजेपी मजबूत लेकिन नयना देवी सीट पर है टक्कर का मुकाबला

बिलासपुर का सियासी संग्राम
बिलासपुर का सियासी संग्राम

Himachal Assembly Election. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब महज 4 दिन का ही समय शेष बचा है. 12 नवंबर को प्रदेश के 12 जिलों की सभी 68 विधानसभा सीटों पर एक चरण में मतदान होना है तो वहीं चुनावी परिणाम 8 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे. ऐसे में सभी सियासी दलों ने चुनाव प्रचार भी तेज कर दिया है विपक्षी दलों पर जमकर तीखे शब्दरूपी बाण छोड़ने में लग गए हैं. प्रदेश की सत्ता पर भाजपा काबिज है और कांग्रेस सत्ता वापसी का पुरजोर प्रयास कर रही है. वहीं दिल्ली और पंजाब में पार्टी के वर्चस्व को बढ़ाने के साथ साथ आम आदमी पार्टी की नजरे गुजरात के साथ साथ हिमाचल पर भी तिकी हुई है. आम आदमी पार्टी इस बार तीसरी प्रमुख पार्टी बनने की ओर अग्रसर है. ऐसे में आज हम बिलासपुर जिले की सभी 4 सीटों के सियासी गणित पर चर्चा करेंगे. क्योंकि हिमाचल प्रदेश की बिलासपुर जिले में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है.

बिलासपुर जिले में 4 विधानसभा सीटें आती हैं: बिलासपुर, झंडूता, घुमरवीं और नयना देवी. इन चारों विधानसभा क्षेत्रों की कुल जनसंख्या 3,25,373 है. इनमें से तीन सीटों पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ने कड़े मुकाबले में बीजेपी प्रत्याशी को हराया था. यहां जीत—हार का अंतर हजार वोटों का रहा. आइए सबसे पहले जानते हैं बिलासपुर विधानसभा का सियासी गणित…

  • बिलासपुर सीट: जेपी नड्डा 3 बार रह चुके हैं विधायक

बिलासपुर जिले की बिलासपुर विस सीट हिमाचल प्रदेश की एक अहम विधानसभा सीट है. यहां की जनसंख्या 83,025 है. 2017 विधानसभा चुनावों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के सुभाष ठाकुर ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार बीजेपी ने त्रिलोक जमवाल को चुनावी मैदान में उतारा है. तो वहीं राज्य में सत्ता की वापसी के लिए प्रयास कर रही कांग्रेस ने बंबर ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया है.  आम आदमी पार्टी की ओर से अमर सिंह चौधरी मैदान में हैं.

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इस सीट के इतिहास की बात करें तो 1977 से शुरू हुए चुनावों के बाद इस सीट पर 6 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की. कांग्रेस 3 बार ही इस सीट पर जीत दर्ज कर पाई है. बंबर ठाकुर ने 2012 में इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इससे पहले 2003 और 1985 में कांग्रेस इस सीट को जीतने में कामयाब हुई थी.

आपको बता दें कि इस सीट पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तीन बार विधायक रह चुके हैं. 2007, 1998 और 1993 के विधानसभा चुनावों में भी जेपी नड्डा ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. इस बार होने वाले विधानसभा चुनावों में देखने वाली बात होगी कि इस सीट पर जेपी नड्डा का जादू चलेगा या कांग्रेस के हिस्से में जाएगी यह सीट.

  • झंडूता में लगातार तीसरी बार खिलेगा कमल!

2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई बिलासपुर जिले की झंडूता विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीट है. 79,577 मतदाताओं वाली इस विधानसभा को भाजपा का गढ़ माना जा रहा है. बिलासपुर जिले की यह सीट पिछली दो बार से भाजपा के खाते में रही है. 2012 और 2017 में हुए दोनों विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने यहां जीत दर्ज की है. 2017 में बीजेपी के जीतराम कटवाला और 2012 में पार्टी के ही रिखी राम कौंडल इस सीट से विधायक बने.

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इस बार झंडूता विस पर बीजेपी के जीतराम कटवाला, कांग्रेस के विवेक कुमार और आप पार्टी के सुधीर सुमन मैदान में है. इस बार भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर हैट्रिक लगाने की तैयारी में है, तो वहीं सत्ता में वापसी की कोशिशों में लगी कांग्रेस के लिए यह सीट जीतना किसी चुनौती से कम नहीं होगा.

  • घुमरवीं में राजेश धर्माणी पाट पाएंगे 10 हजार वोटों का अंतर!

बिलासपुर की घुमरवीं विधानसभा सीट पर भी चुनावी माहौल गर्म है. साल 2017 में हुए विधानसभा चुनावों भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर अपना परचम लहराया था. बीजेपी के राजिंदर गर्ग ने इस सीट पर एक तरफा जीत दर्ज की थी. 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के राजिंदर गर्ग ने इस सीट पर 58 फीसद वोट हासिल किया था. उन्होंने कांग्रेस के राजेश धर्माणी को हराकर इस सीट पर जीत हासिल की थी. गर्ग ने राजेश धर्माणी को 10 हजार वोटों के अंतर से हराया था.

यह बिलासपुर की सबसे अधिक मतदाता वाली विधानसभा सीट है. 88,527 वोटर्स वाली इस सीट पर बीजेपी के राजिंदर गर्ग, कांग्रेस के राजेश धर्माणी और आप पार्टी के राकेश चौपड़ा में कांटे की टक्कर रहने वाली है.

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वैसे घुमारवीं विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. इस बार के विधानसभा चुनाव में राजेश धर्माणी को उतार कर कांग्रेस फिर से इस सीट पर अपना कब्जा करना चाहेगी. वहीं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता जेपी नड्डा का गृह क्षेत्र होने के नाते यहां बीजेपी का भी पलड़ा भारी माना जा रहा है. आप पार्टी के होने से मुकाबला त्रिकोणीय रह सकता है.

  • किसे मिलेगा नयना देवी का आशीर्वाद?

बिलासपुर जिले की नयना देवी विधानसभा सीट एक महत्वपूर्ण सीट है. यहां पिछले चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला हुआ था. 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के रामलाल ठाकुर ने भारतीय जनता पार्टी के रणधीर शर्मा को 1042 वोटों के करीबी अंतर से हराया था. रामलाल ठाकुर को 28,119 वोट मिले थे जबकि भाजपा प्रत्याशी रणधीर शर्मा को 27,077 वोट मिले थे.

पंजाब राज्य से लगने वाली इस सीट पर 2012 में भारतीय जनता पार्टी के रणधीर शर्मा ने जीत दर्ज की थी. 74,244 मतदाता वाली इस विधानसभा पर भारतीय जनता पार्टी ने रणधीर शर्मा को फिर से प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने भी प्रत्याशी बदलने के बजाय अपने पुराने प्रत्याशी राम लाल ठाकुर पर भरोसा जताया है. रणधीर शर्मा उस अंतर को पाट कर सीट पर कब्जा करना चाहेंगे वहीं कांग्रेस के राम लाल ठाकुर फिर से सीट को अपनी और कांग्रेस की झोली में डालना चाहते हैं. पहली बार हिमाचल प्रदेश विधानसभा लड़ रही आम आदमी पार्टी ने नयना देवी सीट पर नरेंद्र ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया है.

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बिलासपुर जिले की ये सभी विधानसभा सीटें बीजेपी के लिहाज से काफी अहम है. ये सभी सीटें बीजेपी का गढ़ है लेकिन हर बार कांग्रेस उम्मीदवारों ने विपक्षी प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दी है.  तीन पर बीजेपी तो नयना देवी सीट पर कांग्रेस विराजमान है. सत्ता प्राप्ति का प्रयास कर रही कांग्रेस के लिए इस किले को भेदना और बीजेपी को इसे बचाना एक चुनौती है. आप पार्टी दोनों ही पार्टियों में सेंध लगाने की कोशिश में है. बिलासपुर की हर विस पर मुकाबला रोचक रहने वाला है.

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