HimachalAssemblyElection. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब केवल 5 दिन ही शेष बचे हैं और सभी सियासी दलों ने अपनी राजनीतिक मुहरें करीब-करीब फिट कर दी हैं. 68 सीटों के लिए 12 नवंबर को वोटिंग होगी जिसके बाद अगले माह की 8 दिसम्बर को सभी चुनावी उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला हो जाएगा. उस दिन पता चल जाएगा कि हिमाचल की राजनीति में इतिहास दोहराया जाएगा या एक नया इतिहास बनाया जाएगा. हिमाचल में सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड है और इसी भरोसे पर कांग्रेस खेमे में खुशी जबकि बीजेपी खेमे में हल्की सी परेशानी है. हिमाचल में हमेशा दोनों पार्टियों में कांटे की टक्कर रही है. कुछ विधानसभा सीटें तो ऐसी हैं, जहां जीत का अंतर मात्र 120 वोट रहा है. प्रदेश की 15 से अधिक सीटों पर वोट अंतर 1500 से भी कम है.
पिछले विधानसभा चुनावों में तुलना करें तो बीजेपी को कुल 18,46,432 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस ने 15,77,450 वोट हासिल किए थे. 68 विधानसभा सीटों पर दोनों दलों के बीच वोट का अंतर केवल 2,68,982 रहा था. यहां गौर करने वाली बात ये है कि चुनावी जंग में खड़े निर्दलीय उम्मीदवारों और नोटा दोनों को मिले वोटों के बराबर इस जीत-हार का अंतर रहा था. पिछले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों ने 2,39,989 वोट हासिल किए थे जबकि नोटा के तहत कुल 34,232 वोट पड़े थे.
15 सीटों पर कांटे की टक्कर –
आपको बता दें कि साल 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में प्रदेश की 68 में से 15 सीटें ऐसी थीं, जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला रहा. केंद्रीय चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी ने सात विधानसभा सीट दो हजार से भी कम वोट के अंतर से जीती थीं. वहीं, इसी अंतर से 8 सीटें कांग्रेस के हिस्से में आई थीं. इस सभी वोटों का अंतर डेढ़ हजार से भी कम रहा.
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इसी तरह प्रदेश की 7 सीटें ऐसी रहीं, जहां कांग्रेस को दो हजार से भी कम वोटों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा था. इन सीटों में कसौली, नगरोटा, जुब्बल-कोटखाई, इंदौरा, लाहौल-स्पीति, उसवां-परागपुर और चंबा शामिल हैं. इन सभी सीटों पर बीजेपी को मामूली अंतर से जीत मिली थी. जीत-हार का अंतर दो हजार वोटों से भी कम रहा.
कांग्रेस को 120 वोटों से मिली जीत –
पिछले हिमाचल विधानसभा चुनावों में कुछ सीटें ऐसी भी हैं जिन पर कांग्रेस ने मामूली अंतर से जीत दर्ज की थी. इन सीटों में किन्नौर, बड़सर, डलहौजी, सोलन, श्री नैना देवीजी, नालागढ़, फतेहपुर और कुल्लू हैं. इन सीटों पर कांग्रेस ने 15 सौ और उससे कम वोटों से जीत दर्ज की थी. किन्नौर विधानसभा में तो कांग्रेस ने महज 120 वोटों से जीत दर्ज की थी.
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इस तरह प्रदेश में जीत-हार के अंतर का यह एक दिलचस्प आंकड़ा है. इस बार भी हिमाचल प्रदेश के सियासी रण में मुख्य मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस है. हालांकि पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस बीजेपी से काफी पीछे रह गई थी. बीजेपी को जहां 44 सीटें मिली, वहीं कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट कर रह गई. कांग्रेस को 2012 के विस चुनाव के मुकाबले 15 सीटों का नुकसान हुआ, जबकि बीजेपी को 18 सीटों का फायदा. CPI(M) के हिस्से में केवल एक सीट आई थी.
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आप ने बढ़ाई बीजेपी-कांग्रेस की मश्किलें –
इस बार हिमाचल के चुनावी रण में बीजेपी और कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी है, जो सभी 68 सीटों पर चुनावी जंग लड़ रही है. मैदान में सीपीआईएम, बसपा सहित अन्य पार्टियां भी हैं लेकिन इनका जनाधार हिमाचल में न के बराबर है. कुछ निर्दलीय भी मैदान में हैं जिनमें से अधिकांश बीजेपी और कांग्रेस के बागी हैं. चुनावी परिणामों में ये उठा पटक कर सकते हैं. आप पार्टी आने से अब मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस बनाम आप बताया जा रहा है. हालांकि अधिकांश सीटों पर मुख्य मुकाबला बीजेपी बनाम कांग्रेस में ही होने की पूरी पूरी संभावना है.