अशोक गहलोत पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनसे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनके बयान पर स्पष्टीकरण मांगा है- पूनियां

सीएम गहलोत व सचिन पायलट के बीच की लडाई से राजस्थान की जनता का तो नुकसान हो ही रहा है लेकिन काम करने की बजाय दोनों ही लोग अपनी भूमिका का निर्वहन नहीं करते हुए बयानबाजी में समय जाया कर रहे हैं- पूनियां

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) द्वारा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिए गए नोटिस पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने तंज कसते हुए कहा कि मीडिया तो सच्चाई बता कर अपना धर्म निभाएगा ही, मुख्यमंत्री गहलोत अपनी असफलताओं को लेकर मीडिया को धमकाना बंद करें. सरकार की सफलता और असफलताओं को उजागर करके मीडिया लोकतंत्र को मजबूत करने का काम करता है, इसीलिए लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहलाता है. बता दें, सीएम अशोक गहलोत को मीडिया को धमकाने वाले बयान को लेकर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने नोटिस भेजा है, जिसमें दो सप्ताह में जवाब मांगा है.

पूनियां ने आगे कहा कि गहलोत सरकार पूर्ण रूप से असफल है और जब प्रदेश के हालात इतने खराब हो जाएं तो मुख्यमंत्री को अपने शासन को ढंग से संभालना चाहिए ना कि मीडिया को धमकाने जैसी ओछी हरकत करनी चाहिए. आगे पूनियां ने कहा कि अशोक गहलोत पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनसे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनके बयान पर स्पष्टीकरण मांगा है. इससे लगता है कि गहलोत सरकार से मीडिया की आजादी को खतरा है. स्वयं को गांधीवादी विचारधारा वाला नेता कहने वाले अशोक गहलोत का यह बयान बेहद निराशाजनक है.

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कानून व्यवस्था पर मुख्यमंत्री गहलोत पर निशाना साधते है पूनियां ने कहा कि पिछले 13 महीनों में राजस्थान की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है, कानून व्यवस्था से लेकर सरकार की ओर से जनता को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं में भी सरकार पूरी तरह से निष्क्रिय है. अपराधों के मामलों में राजस्थान भारत के अग्रणी राज्यों में आ चुका है. लूट, बलात्कार, डकैती, हत्या जैसी घटनाएं और कई तरह के आपराधिक मामले रिकॉर्ड स्तर पर दर्ज हुए हैं. लेकिन गृहमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत इन मामलों पर संवेदनशील नहीं दिखते है.

इसके साथ ही पूनियां ने कहा कि कोटा सहित राजस्थान के अन्य जिलों में छोटे बच्चों की मौत के बावजूद भी स्वास्थ्य मंत्री बिल्कुल गंभीर नहीं दिखते और उन्हें यह मामला बहुत छोटा नजर आता है. किसानों को टिड्डियों के कारण बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ा है, उनकी सारी फसलें चौपट हो गई हैं, लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत किसानों को किसी प्रकार की राहत की घोषणा नहीं कर रहे हैं.

वहीं पूनियां ने सीएम गहलोत व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच चली आ रही बयानबाजी पर कहा कि कांग्रेस सरकार के गठन की बुनियाद दो तरह की दुविधाओं में हुई थी. सचिन पायलट का राजस्थान की राजनीति में आगमन मुख्यमंत्री की महत्वकांशा के नाते हुए था. लेकिन सीएम गहलोत पुराने नेता हैं और दिल्ली में उनकी पकड मजबूत है इसलिए वो मुख्यमंत्री बने. लेकिन जिस तरह की राजनीतिक लडाई दोनों नेताओं के बीच में है वह समय-समय पर उपमुख्यमंत्री पायलट के बयानों से जाहिर होती है.

पूनियां ने कहा हाल ही में उपमुख्यमंत्री ने बयान दिया कि बच्चों की मौत पर बैठने की नहीं जाने की परिपाटी तोडनी चाहिए, इसको पायलट ने पर्दा प्रथा से जोडा इससे साफ जाहिर होता है कि उन्हें सीएम गहलोत की बातों से ऐतराज है. सीएम गहलोत व पायलट के बीच की लडाई को कहीं ना कहीं राजस्थान की जनता महसूस कर रही है. इस लडाई से राजस्थान की जनता का तो नुकसान हो ही रहा है लेकिन काम करने की बजाय दोनों ही लोग अपनी भूमिका का निर्वहन नहीं करते हुए बयानबाजी में समय जाया कर रहे हैं.

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पूनियां ने आगे कहा कि गहलोत और उनके कई विभागों की अकर्मण्यता और लापरवाही को उन्हीं की सरकार में उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट बार-बार बयां कर चुके हैं. हर महीने उनके दो-तीन बयान आ जाते हैं, जिसमें वह अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते हैं. सरकार दो धड़ो में बंटी हुई है, सरकार में दो पॉवर सेंटर हैं. सरकार और कांग्रेस संगठन में आपसी खींचतान चल रही है जिसके कारण राजस्थान की जनता का कभी कल्याण नहीं हो सकता.

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