Harish Meena, Rafiq Khan and Safia Zuber on Gehlot Government: राजस्थान की 15वीं विधानसभा के आखिरी बजट सत्र के दौरान मंगलवार को गृह और कारावास विभाग की अनुदान मांगों पर बहस हुई. इस दौरान प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष से ज्यादा अपनों के निशाने पर रही गहलोत सरकार. जहां कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने सरकार पर पेपर लीक मामले में बार-बार नेट बंद करने पर सवाल खड़े करते हुए यहां तक कह दिया कि, ‘यूक्रेन और रशिया के बीच युद्ध चल रहा है, वहां नेट बंद नहीं किया गया और हमारे यहां जब कोई पेपर होता है तो नेटबंदी कर दी जाती है. सरकार पेपर लीक रोकना चाहती है या व्यापार रोकना चाहती है.’ तो वहीं कांग्रेस विधायक साफिया जुबेर ने नासिर और जुनैद हत्याकांड का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य समेत पूरे देश की कानून व्यवस्था खराब है. तो वहीं पुलिस की कार्यप्रणाली से नाराज आदर्श नगर से कांग्रेस विधायक रफीक खान ने यहां तक कह दिया कि उन्हें अफसोस है कि एक विधायक की जिम्मेदारी को समझे बिना पहले तो उन पर गलत तरीके से मुकदमा दर्ज किया गया और फिर उन्हें भगोड़ा तक बता दिया गया.
राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को गृह विभाग की अनुदान मांगों पर अपनी बात रखते हुए विपक्ष के साथ कांग्रेस विधायकों ने भी गहलोत सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए. विधायक हरीश मीणा ने भर्ती परीक्षाओं के दौरान होने वाली नेटबन्दी को लेकर अपनी ही गहलोत सरकार पर सवाल उठाए. वहीं विधायक हरीश मीणा जब बोल रहे थे तो उनके आगे की तरफ बैठे मंत्री टीकाराम जूली ने कुछ कहा तो विधायक मीणा ने एक अखबार की कटिंग लहराते हुए कहा कि भारत में नेटबंदी के मामले में राजस्थान देश में नंबर एक है”. मेरे भाई सुन, मैं जानता हूं तू मंत्री है, ना जाने कहां-कहां से…. इसके आगे उन्होंने बात बदलते हुए कहा कि हर चीज पर सरकार को डिफरेंट करने से काम नहीं चलेगा, दिसंबर में चुनाव आ रहे हैं.
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विधायक हरीश मीणा यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि हम सभी ने परीक्षाएं दी हैं और आईएएस का एग्जाम भी हर साल होता है, लेकिन मैंने नहीं सुना कि भारत सरकार उस परीक्षा को करवाने के लिए नेट को बंद करती है. उन्होंने कहा कि हमें पेपर लीक के कारणों को जानने की जरूरत है, न कि इंटरनेट को बंद करने की. पेपर राजस्थान में छपता है और यहीं के लोग उसे लीक कर रहे हैं. हम आज तक यह पता नहीं लगा पाए कि यह पेपर आरपीएससी से लीक होता है या किसी अन्य संगठन से. हम उस नाकामी को छुपाने के लिए इंटरनेट बंद कर देते हैं. हरीश मीणा ने आगे कहा कि 2 दिन पहले हरियाणा में जिन दो युवकों को जलाकर मारा गया, आज उनके गांव में भी कोई मीटिंग है, जिसके चलते वहां नेट बंद कर दिया गया है. जिन्हें मरना था वह मर चुके अब इंटरनेट बंद करने से क्या होगा, इससे तो केवल बच्चों के एग्जाम में फर्क पड़ेगा और व्यापारियों के व्यापार पर.
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वहीं रामगढ़ से कांग्रेस विधायक साफिया जुबेर ने भरतपुर के नासिर और जुनैद को हरियाणा में ले जाकर हत्या करने के मामले में अपनी ही गहलोत सरकार पर सवाल खड़े किए. जुबेर ने राजस्थान सरकार पर नासिर और जुनैद मामले में कम मुआवजा देने का दावा किया. साफिया जुबेर ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर मेरे इलाके में ही नहीं बल्कि पूरे देश में खराब है. हरियाणा में जहां बीजेपी की सरकार है. वहां पर ले जाकर नासिर और जुनैद को मार दिया गया, लेकिन इस मामले में उनको मुआवजा भी राजस्थान सरकार ने कम दिया. साफिया जुबेर ने कहा कि मुझे लगता है कि राजस्थान सरकार को भी इस मामले में एक करोड़ मुआवजा देना चाहिए, जिस तरह से उदयपुर में कन्हैया के हत्याकांड में दिया गया था. साफिया जुबेर ने राजस्थान की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि राजस्थान में पुलिस को मुस्तैद होना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पुलिस थाने तो बन गए, लेकिन उसमें पुलिसकर्मी ही नहीं हैं तो इन थानों का फायदा क्या होगा? लिहाजा राजस्थान में कानून व्यवस्था में काफी सुधार की जरूरत है.
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इसके साथ ही गहलोत सरकार की कानून व्यवस्था से प्रताड़ित हो चुके विधायक रफीक खान ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर वो दोषी हैं तो उन्हें आज सदन से निकलने के दौरान गिरफ्तार कर लिया जाए. खान ने कहा कि अगर एक विधायक और माइनॉरिटी कमीशन का चेयरमैन खुद के न्याय की बात नहीं कर सकता तो वह कैसे लोगों की पैरवी करेगा? बता दें, खान ने दो साल पहले कोरोना के दौरान लगी रोक के बावजूद एक जनाजे में शामिल होने के चलते उन पर दर्ज हुए मुकदमे पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति का निधन हुआ था, वो उनकी विधानसभा का जाना माना चेहरा था. ऐसे में जनाजा आराम से निकल जाए, इसके लिए वो लोगों के बीच समझाइश के लिए गए थे. लेकिन पुलिस ने उन्हीं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. विधायक रफीक खान ने कहा कि वो विधायक के साथ ही माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन भी हैं. ऐसे में अगर उन्हें ही न्याय नहीं मिल सकेगा तो वो आम आदमी को भला कैसे न्याय दिलाने की बात करेंगे. उनकी इस टिप्पणी पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि सदन में कोई व्यक्ति अपने ही मुकदमे की पैरवी कैसे कर सकता है. यह सही तरीका नहीं है. इस पर रफीक खान ने कहा कि उन्होंने केवल घटना की सच्चाई रखी है. उन्होंने कहा कि पहले तो उन पर मुकदमा दर्ज हुआ और फिर एक पुलिस वाले ने जाकर लिख दिया कि वो उन्हें नहीं मिल रहे हैं.
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आगे सवाल उठाते हुए विधायक रफीक खान ने कहा कि उन्हें अफसोस के साथ यह कहना पड़ रहा है कि स्थानीय विधायक के तौर पर उन पर जो जिम्मेदारी थी, वह समझे बिना भी उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. साथ ही मुकदमे में यह लिखा गया कि विधायक ने भीड़ को उत्तेजित करने का काम किया. लेकिन अगर मैं उत्तेजना का एक शब्द भी कहा हूं और यह प्रमाणित हो जाता है तो वो सदन से निकलते ही अपना इस्तीफा दे देंगे. विधायक रफीक खान ने कहा कि उन्हें इस बात की पीड़ा है कि माइनॉरिटी कमीशन के अध्यक्ष के तौर पर जब उन्होंने डीजी ऑफिस को खत लिखा तो उन्हें बताया गया कि इस मामले में जांच चल रही है. हालांकि, बाद में उन्हें पता चला है कि एक व्यक्ति उनका जुर्म प्रमाणित करके चला गया है. वहीं, इस दौरान रफीक खान ने जयपुर सेंट्रल जेल को शिफ्ट करने की मुख्यमंत्री की बजट घोषणा की याद दिलाते हुए कहा कि पिछले बजट में इसे लेकर घोषणा हुई थी. लेकिन अब तक इस पर कोई काम नहीं हुआ है. मौजूदा हालात यह है कि शहर के बीचो-बीच सेंट्रल जेल के होने से लोगों में इनसिक्योरिटी का माहौल बन गया है