Shanti Dhariwal on Sanyam Lodha’s Target: जनता से जुड़े मुद्दों पर अपनी ही गहलोत सरकार को कई बार घेर चुके सीएम सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढा ने एक बार फिर सिरोही जिले के एक सरकारी अस्पताल में कुत्तों द्वारा एक मासूम बच्चे की जान लेने के मामले में गहलोत सरकार को जमकर आड़े हाथ लिया.राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से सिरोही मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल से एक 28 दिन के बच्चे को डॉग द्वारा मारने पर सवाल उठाते हुए पीड़ित परिवार को 10 लाख का मुआवजा और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की मांग उठाई. इस पर जब संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने आपत्ति जताई तो लोढ़ा ने गहरी नाराजगी जताते हुए धारीवाल को कहा कि खुद का बच्चा जाता, तो पता चलता, दूसरे का है, इसलिए आपको बातें आ रही हैं. वहीं विपक्ष की तरफ से उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने भी इस मामले पर सदन में लोढा की मांग का समर्थन किया.
यहां पहले आपको बता दें कि राजस्थान के सिरोही जिले से दिल को दहला देने वाली घटना सामने आई है. यहां सरकारी जिला अस्पताल में आवारा कुत्ते 30 दिन के एक मासूम बच्चे को नोच-नोचकर खा गए. इस सरकारी अस्पताल के टीबी वार्ड में उसके पिता भर्ती थे. अस्पताल में बच्चा अपनी मां के पास सो रहा था. उसी दौरान कुत्ते उसे उठाकर ले गए और नोच-नोचकर मार डाला. घटना का पता चलते ही वहां हंगामा मच गया. मामले की जानकारी मिलते ही मंगलवार को सुबह बीजेपी कार्यकर्ता वहां पहुंच गए और अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठाए. इसी मामले को लेकर मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में भी जमकर हंगामा हुआ.
यह भी पढ़ें: कई सिसोदिया हो चुके हैं गिरफ्तार, वो डिप्टी सीएम थे इसलिए पता पड़ गया वरना…- जानें क्यों बोले गहलोत
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए मामले को सदन में उठाते हुए सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि पाली जिले के जवाई बांध निवासी महेंद्र कुमार कल सिलिकोसिस वार्ड में भर्ती हुआ. उसकी पत्नी और तीन बच्चे उसके साथ थे. जिसमें सबसे छोटा बच्चा 28 दिन का था. रात को मां 12 बजे दूध पिला कर सो गई और कोई पेशेंट वार्ड का गेट खुला छोड़ कर चला गया. इस बीच बच्चे को डॉग उठाकर ले गया. जब मां उठी तो उसने देखा कि बच्चा नहीं है. उसने शोर किया और लोगों को इकट्ठा किया. उसके बाद बाहर जाकर देखा तो तब तक डॉग उस 28 दिन के बच्चे की गर्दन को अलग कर चुका था.
आगे संयम लोढा ने गहलोत सरकार की जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई और पीड़ित परिवार को मुआवजे की मांग करते हुए कहा कि यह हृदय विदारक घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है. इसके लिए जो भी अधिकारी जिम्मेदार हैं, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और पीड़ित उसकी मां को सरकारी नौकरी और 10 लाख का मुआवजा दें. इस पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी संयम लोढ़ा का समर्थन करते हुए परिवार के लिए 10 लाख मुआवजे की मांग की. राठौड़ ने कहा कि राइट टू हेल्थ की बात करने वाली सरकार को इस मामले को देखना चाहिए. यहां तक सब ठीक था, लेकिन सदन में यह मामला उठाने पर मंत्री शांति धारीवाल लोढा पर नाराज हो गए.
यह भी पढ़ें: सिसोदिया के बाद अब कुछ और दिग्गजों पर भी गिरने वाली है गाज! क्या सच होगा बीजेपी नेता का दावा?
आपत्ति जताते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने संयम लोढ़ा से कहा कि आज गृह और कारागार विभाग की मांगों पर चर्चा हो रही है. अगर आप यह मामला कल चिकित्सा विभाग की मांगों के समय उठाते, तो ज्यादा बेहतर रहता. इस पर संयम लोढ़ा ने भी गहरी नाराजगी जताई और कहा कि आप मुख्यमंत्री का प्रतिनिधित्व करते हैं, ऐसे में अच्छा तो यह होता कि आप यह कहते कि हम मुख्यमंत्री तक यह बात पहुंचाएंगे. लेकिन आप इस मामले को कल उठाने की बात कह रहे हैं. इस पर धारीवाल ने फिर अपनी बात दोहराई. तो संयम लोढ़ा बहुत तेज नाराज हो गए और भारी गुस्से के साथ लोढा ने कहा कि खुद का बच्चा जाता, तो आपको पता चलता. दूसरे का बच्चा गया है, इसलिए आपको ऐसी बातें आ रही हैं.