गहलोत लकीर तब पीटते हैं जब सांप निकल जाता है- जमीन नीलामी को लेकर पूनियां का सरकार पर निशाना

दौसा और थानागाजी में कर्ज नहीं चुकाने पर किसानों की जमीन नीलाम होने के मामलें से गरमाई प्रदेश की सियासत, बीजेपी हुई कांग्रेस सरकार पर हमलवार, बोले पूनियां- 'कर्जामाफ नहीं होने से किसानों को करनी पढ़ रही है आत्महत्या, उनकी जमीन हो रही है नीलाम, जब पानी सर से ऊपर गुजरता दिखा तब अशोक गहलोत ने किसानों को पकड़ा दिया झुनझुना'

जमीन नीलामी पर गरमाई सियासत
जमीन नीलामी पर गरमाई सियासत

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में किसानों की जमीन का कर्ज नहीं चुकाने के चलते उनकी जमीन नीलाम हो रही है. दौसा और थानागाजी में कर्ज नहीं चुकाने पर किसानों की जमीन नीलाम होने के मामलें से प्रदेश की सियासत गरमा गई है. जहां इस पुरे मामले के सामने आने के बाद राजस्थान के संवेदनशील मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कृषि भूमि नीलामी रोकने के अधिकारीयों को निर्देश दे दिए हैं. तो वहीं इस पुरे मामले को लेकर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमलावर हो गई है. दौसा और थानागाजी में जमीन नीलाम होने के बाद सीएम गहलोत द्वारा अधिकारियों को दिए निर्देश को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने तंज भरे लहजे में कहा कि, ‘कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लकीर तब पीटते हैं जब सांप निकल जाता है.’

गुरूवार को भीलवाड़ा प्रवास पर रहे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने किसानों की नीलाम हो रही जमीनों और सम्पूर्ण किसान कर्जमाफी की वादाखिलाफी के मुददे पर कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमकर निशाना साधा. सतीश पूनियां ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, ‘राजस्थान के किसान राहुल गांधी की 2018 में की गई वादाखिलाफी से त्रस्त हैं. बहुत बड़े पैमाने पर प्रदेश के किसानों को उम्मीद थी कि कांग्रेस पार्टी की सरकार आएगी तो राहुल गांधी वादा पूरा करेंगे और अशोक गहलोत सभी किसानों का पूरा कर्जा माफ करेंगे.’

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सतीश पूनियां ने आगे कहा कि, ‘पिछले 3 वर्षों में राजस्थान के किसानों की बानगी यह है कि कर्जामाफ नहीं होने से किसानों को आत्महत्या करनी पड़ रही है, किसान हताश हैं, उनकी जमीन नीलाम हो रही है और जब पानी सर से ऊपर गुजरता दिखा तब अशोक गहलोत ने किसानों को झुनझुना पकड़ा दिया और गुमराह करने की कोशिश की. कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लकीर तब पीटते हैं जब सांप निकल जाता है.’

सतीश पूनियां ने कहा कि, ‘कांग्रेस ने अपने 2018 के जनघोषणा पत्र में भी किसानों की सम्पूर्ण कर्जामाफी का वादा किया था, सहकारी बैंकों का कर्जा पहले से माफ होता आया था. एक बार फिर से प्रदेश में किसानों की जमीन नीलाम होने लगी है, जिससे किसानों में आक्रोश पनपा तो ऐसे में अशोक गहलोत ने नीलामी को रोकने का फैसला लिया, लेकिन किसानों का कर्जामाफी का वादा पूरा नहीं किया.’ सतीश पूनियां ने कहा कि, ‘अशोक गहलोत से पूछना चाहता हूं कि जिन किसानों की जमीनों की नीलामी हो चुकी हैं, जिन किसानों के परिवारों में हताशा और निराशा है उनका क्या होगा?’

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मीडिया से बात करते हुए डॉ सतीश पूनियां ने प्रदेश की गहलोत सरकार से सवाल किया और पूछा कि, ‘राजस्थान के लगभग 59 लाख किसान 1 लाख 20 हजार करोड़ के कर्जे के नीचे हैं, इस कर्जा माफी के समाधान का कांग्रेस सरकार के पास क्या रोडमैप है? मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर चिट्ठी चिट्ठी खेलते हैं, मुझे लगता है राहुल गांधी के 2018 के जालोर, जोधपुर की सभाओं के वादे को याद रखना चाहिए और राजस्थान के किसानों का पूरा कर्जा माफ करना चाहिए.’

आपको बता दें कि दौसा और थानागाजी में कर्ज के नाम पर कुछ किसानों की जमीन नीलाम करने के मामले ने बुधवार को तूल पकड़ लिया. रामगढ़ पचवारा में एक किसान ने सरकार द्वारा किसानों के कर्ज माफी की घोषणा के कारण बैंक केसीसी नहीं चुकाई, जिसकी कीमत उसे जमीन नीलाम कराकर चुकानी पड़ी. इस मामले में पीड़ित परिवार के आत्महत्या करने की चेतावनी देने के बाद मामला गरमा गया. इस पुरे मामले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा अधिकारियों को इसे रोकने के निर्देश दिए हैं.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कल ही मेरी जानकारी में आया कि प्रदेश में कई किसान अपना बैंक का कर्जा नहीं चुका पा रहे हैं. जिसकी वजह से उनकी जमीन की नीलामी हो रही है. जानकारी में आने के साथ ही तत्काल प्रभाव से हमने प्रदेश में किसानों की जमीन नीलामी पर रोक लगा दी है. लेकिन केंद्र सरकार को चाहिए कि इसमें भी वह सहयोग करें.

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इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बाड़मेर जिले के कई प्रोजेक्टों के शिलान्यास और लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘किसानों की जमीन नीलामी के खिलाफ हमारी सरकार विधानसभा में एक्ट लेकिन आई थी लेकिन उसे केंद्र सरकार लागू नहीं कर रही है. अगर केंद्र सरकार उस बिल को लागू करे तो किसी एडीओ या तहसीलदार की हिम्मत नहीं की वह किसान की जमीन नीलाम कर दे.’

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