बिहार की राजनीति में ‘सुशांत सिंह’ की सॉलिड एंट्री, राजद-जदयू सहित सभी पार्टियों का तुरुप का इक्का

आगामी विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियों को मिला एक ज्वलंत चुनावी मुद्दा, नीतीश-तेजस्वी-मोदी-चिराग-पप्पू यादव सहित सभी मुद्दा भुनाने में लगे, सभी की सीबीआई जांच की मांग लेकिन क्रेडिट कौनसी पार्टी लेगी इस पर संयश बरकरार

Sushant Singh In Bihar Politics
Sushant Singh In Bihar Politics

PoliTalks.news/Bihar. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के निधन को महीनेभर से अधिक हो चुका है लेकिन मामला ठंडा नहीं पड़ा. पहले बी-टाउन सेलेब्स ने नेपोटिज्म कहकर मुद्दे को गर्माए रखा, अब बिहार की राजनीति में सुशांत सिंह मुद्दे की एंट्री हो गई है. राजद और जदयू के साथ पप्पू यादव की पार्टी जाप और चिराग पासवान की पार्टी लोजपा भी सुशांत सिंह सुसाइड मामले को राजनीति रंग देने में लगी हुई है और आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में एक चुनावी मोहरा बनाकर पासा फेंक रही है. सभी पार्टियों के मुखिया दिन में एक बार तो सुशांत सिंह को याद कर ही लेते हैं.

जदयू (JDU) के मुखिया और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष और राजद (RJD) नेता तेजस्वी यादव, जाप (JAP) अध्यक्ष पप्पू यादव, लोजपा (LJP) प्रमुख चिराग पासवान के साथ अन्य पार्टियों के नेता भी सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर चुके हैं. सीएम नीतीश कुमार की पार्टी के नेता और खुद नीतीश भी महाराष्ट्र की उद्धव सरकार से कई बार मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर चुके हैं. दरअसल सुशांत का सीधा संबंध पटना से है. ये भी एक प्रमुख वजह है जिससे बिहार के लोग भावनात्मक तौर पर सुशांत सिंह से जुड़े हुए हैं लेकिन ये तो राजनीति ठहरी, जहां मुर्दों को कभी जलाया नहीं जाता, उन्हें जिंदा रखा जाता है ताकि वे वक्त आने पर बोल सकें. ऐसा ही कुछ सुशांत के साथ भी हो रहा है.

सभी बड़ी राजनीति पार्टियां सुशांत सिंह की मौत के मुद्दे को पूरा सियासी रंग देकर भुनाने की कोशिश में हैं और बिहार के युवा कलाकार को न्याय दिलाने की दुहाई देकर युवाओं को अपनी तरफ करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही. चिराग तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर चुके हैं, वहीं तेजस्वी यादव तो सुशांत के घर तक का रास्ता नाप चुके हैं और परिवार को राजनीति के बहाने ही सही लेकिन सांत्वना दे आए हैं.

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इधर, मामले में सुशांत के पिता ने कथित तौर पर सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती के खिलाफ पटना के एक पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा मामले की जांच की याचिका पटना हाईकोर्ट में लगा दी है. वहीं रिया ने एक याचिका लगातार केस को मुंबई ट्रांसफर करने की अर्जी लगाई है. सुनने में तो ये भी आ रहा है कि कुछ राजनीतिक पार्टियां पर्दे के पीछे से पूरी कोशिश कर रही हैं कि केस पटना में ही रहे ताकि चुनाव होने तक मामले को जिंदा रखा जा सके.

इधर, नीतीश कुमार सरकार में एक मंत्री ने मुंबई पुलिस का बिहार पुलिस को जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाया है. मंत्री जय कुमार सिंह ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार मामले की सीबीआई जांच के लिए पीएम मोदी से भी बात कर सकते हैं. मंत्री जय कुमार ने कहा कि अगर मुंबई पुलिस से पटना पुलिस को पूरी जांच मिल जाती है और पटना पुलिस को मुंबई पुलिस से मिलता है तो इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाएगी. मुझे विश्वास है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीबीआई जांच के लिए कदम उठाएंगे. साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से भी बात करने की बात कही है, साथ ही ये भी कहा कि अगर हमें लगता है कि उद्धव ठाकरे सीबीआई जांच के लिए तैयार नहीं हैं तो नीतीश कुमार सीबीआई जांच के लिए पीएम मोदी से बात कर सकते हैं. ऐसा नहीं है कि अगर महाराष्ट्र सरकार नहीं चाहेगी, तो सीबीआई जांच नहीं होगी.

हाल में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी से इस बारे में बात की है और सीबीआई जांच को लेकर अपना पक्ष रखा है. स्वामी ने तो सुशांत के सुसाइड को ही मर्डर बता दिया. बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने भी सीबीआई जांच का समर्थन करते हुए मुंबई पुलिस पर गंभीर आरोप भी लगाए. उन्होंने कहा है कि सुशांत की मौत के मामले में बिहार पुलिस अपनी तरफ पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन मुंबई पुलिस इसमें सहयोग नहीं कर रही.

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उधर, महाराष्ट्र में सुशांत का मुद्दा प्रदेश के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उठाया है. फडणवीस ने उद्धव सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार चाहती ही नहीं है कि सुशांत की मौत के मामले की सीबीआई जांच हो. पूर्व सीएम ने ये भी कहा कि अगर सीबीआई जांच न हो सके तो कम से कम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ही जांच करा ली जाए, कम से कम कुछ सच तो बाहर आए. उधर, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच को लेकर एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए उन्हें मुंबई हाईकोर्ट जाने को कहा.

खैर…जो भी हो लेकिन सुशांत मामले को सबसे ज्यादा बिहार में ही उठाया जा रहा है. उठाया भी क्यों न जाए, चुनाव तो केवल यही हैं. अन्य राज्य चाहे वो मध्य प्रदेश हो, राजस्थान हो, छत्तीगढ़, गुजरात, पंजाब, उडीसा, तमिलनाडू या दिल्ली हो, कहीं भी सुशांत का मामला नहीं उठाया जा रहा. यहां तक की मुंबई में भी केवल नेपोटिज्म का मामला जरूर गर्म है लेकिन सीबीआई जांच का ज्यादा जोर नहीं है.

इन सबसे उलट बिहार की राजनीति और आगामी विधानसभा चुनावों में सुशांत की मौत के मामले को भी तुरूप का इक्का मानकर आखिर तक भुनाने की कोशिश है. अगर सुशांत सिंह की मौत के मामले में सीबीआई जांच होती है, या किसी तरह का कोई नया खुलासा होता है तो क्रेडिट कौनसी पार्टी लेगी या फिर गठबंधन और महागठबंधन के बीच इस क्रेडिट का भी बंटवारा होगा, अब देखना ये रोचक रहेगा.

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