मंत्रिमंडल को लेकर धुक-धुकी, किसका कटेगा टिकट, किसको सत्ता की चाबी, आलाकमान करेगा फिक्स

मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल पर सभी की नजरें, गहलोत के 'जहाज' में किसकी सीट बचेगी और किसकी जाएगी इस पर शुरू हुआ 'महामंथन', विवादों के चलते कई दिग्गज गंवा सकते हैं अपनी पॉजीशन, अपने सिपहसालारों की किलेबंदी में जुटे 'सरदार', सत्ता और संगठन में बैलेंस पर भी फोकस, सत्ता के 'रक्षक' भी लगाएं हैं जादूगर से आस, सबकुछ आलाकमान करेगा फिक्स !

किसका कटेगा टिकट, किसको सत्ता की चाबी
किसका कटेगा टिकट, किसको सत्ता की चाबी

Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में मुख्यंमत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच मंत्रिमंडल फेरबदल और विस्तार को लेकर जारी विवाद अब सुलझता दिख रहा है. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की हरी झंडी मिलने के बाद जुलाई के अंत तक या अगस्त के पहले हफ्ते में गहलोत मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल हो सकता है. करीब 5 मंत्री हटाए जा सकते हैं और 13-14 नए मंत्री बनाए जा सकते हैं. फेरबदल और मंत्रियों के हटाए जाने पर मुहर खुद शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के वायरल वीडियो ने लगा दी है. इस वीडियो में लाचार से दिख रहे डोटासरा खुद कह रहे हैं कि ‘जो करवाना है करवा लो, मैं दो-पांच दिन का मेहमान हूं’.

‘नाथी के बाड़ा’ वाले डोटासरा तो विदाई के भी दे चुके संकेत!
हटाए जाने की संभावना वाले मंत्रियों की लिस्ट में सबसे ऊपर हैं सीएम गहलोत सरकार के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा. एक साल पहले ही डोटासरा को पीसीसी चीफ बनाया गया था. ‘एक व्यक्ति- एक पद’ सिद्धांत और विवादों में घिरे रहने के कारण माना जा रहा है इनकी विदाई तय मानी जा रही है. ताजा वायरल वीडियो से पहले भी पिछले एक साल में गोविंद सिंह डोटासरा कई बार विवादों में रहे हैं. उनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहे हैं. वैसे तो डोटासरा की ताजपोशी ही विवादों के बीच हुई थी. रीट भर्ती परीक्षा अभ्यर्थियों से अभद्रता, ज्ञापन देने पहुंचे शिक्षकों को बुरा भला कहना और उनके घर को नाथी का बाड़ा कहने वाला वीडियो, बीकानेर में एक महिला कार्यकर्ता से बहस और सबसे बड़ा RAS भर्ती परीक्षा में परिजनों के इंटरव्यू में समान नंबर मिलने का मामला डोटासरा की गले की हड्डी बना हुआ है. डोटासरा की बहू प्रतिभा और प्रतिभा के भाई गौरव एर बहन प्रभा को आयोग की परीक्षा के इंटरव्यू में अस्सी अस्सी अंक मिले थे और इसकी बदौलत ये तीनों प्रशासनिक अधिकारी भी बन गए. विवाद इसलिए हुआ क्योंकि तीनों के लिखित परीक्षा में पचास प्रतिशत से कम अंक थे और इस परीक्षा की टॉपर मुक्ता राव को भी इंटरव्यू में सिर्फ़ 77 अंक मिले थे. इन विवादों को लेकर डोटासरा बीजेपी के निशाने पर तो हैं ही, साथ ही सोशल मीडिया पर भी ट्रोल होते रहे हैं. हालांकि डोटासरा के पीसीसी अध्यक्ष पद को खतरा नहीं है. लेकिन अगर राजस्थान में भी पंजाब असम और उत्तराखंड़ का फॉर्मूला लागू किया जाता है तो इनकी टीम में विस्तार संभव है. इनके साथ 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं.

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‘एनकाउंटर’ की भेंट चढ़ेगा मंत्री पद !
वहीं राजस्व मंत्री हरीश चौधरी का नाम भी चर्चाओं में है. हरीश चौधरी बाड़मेर में हुए कैलाश प्रजापति एकाउंटर केस में घिरते जा रहे हैं. इस केस की जांच सीबीआई कर रही है. प्रजापति के परिवार ने व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के चलते चौधरी पर एकांउटर कराने का आरोप लगाया है. इस पूरे मामले में हरीश चौधरी और उनके भाई पर कमलेश के भाई ने गंभीर आऱोप लगाए हैं. एनकाउंटर का वीडियो वायरल है जिसमें पुलिस कार्यशैली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. इधर इस मामले में चौधरी पहले ही क्लीयर कर चुके हैं कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. वो तो खुद चाहते हैं कि पीड़ित परिवार को न्याय मिले. हालांकि इससे पहले एक बार चौधरी ने संगठन में काम करने की इच्छा जताई थी.

भाया, विश्नोई, जाटव और बामणिया भी चर्चाओं में

खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया को भी विवादों के चलते बदलने की चर्चाएं हैं. प्रमोद जैन भाया के खिलाफ हाईकमान के पास भी विभाग से जुड़ी गंभीर शिकायतें पहुंचीं हैं. विधायक भरत सिंह ने लंबे समय से मोर्चा खोल रखा है. भाया की कार्यशैली पर बीजेपी भी हमलावर रही है. वहीं वन राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई और सीएम गहलोत के संबंध भी सहज नहीं हैं. विश्नोई के पुत्र का नाम अभी एक व्यापारी के अपहरण मामले में भी आया है. मंत्री पुत्र भूपेन्द्र पर 50 लाख की फिरौती मांगने का आरोप है. सुखराम विश्नोई के ड्रॉप होने से बचने का एक सियासी संयोग है, वे एकमात्र विश्नोई मंत्री हैं और दूसरे विश्नोई विधायक पहली बार जीते हुए हैं, इसलिए सुखराम ड्रॉप होने से बच भी सकते हैं.

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इसके साथ गृह रक्षा और नागरिक सुरक्षा राज्य मंत्री जनलाल जाटव और जनजातिय विकास मंत्री अर्जुन सिंह बामणिया परफॉर्मेंस और राजनीतिक समीकरणों के वजह से बदले जा सकते हैं. अर्जुन बामणिया के जिले और बागड़ क्षेत्र में कांग्रेस कमजोर है. बीटीपी (भारतीय ट्राइबल पार्टी ) का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. भजनलाल जाटव भी परफॉर्मेंस और सियासी समीकरणों के चलते बदले जा सकते हैं. बदलने वालों में भंवरसिंह भाटी का भी नाम है, लेकिन शांत स्वभाव के भाटी पर कोई आरोप नहीं है.

‘सत्ता’ से ‘संगठन’ की ओर होगा पलायन!

सूत्रों की मानें तो सत्ता- संगठन में तालमेल और बैलेंस बनाने के लिए कुछ मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटाकर संगठन में भेजने की चर्चा है. संगठन को कैसे मजबूत किया जाए इसको लेकर मंथन जारी है. इस लिहाज से स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश को संगठन में जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चा है. कमलेश एनकाउंटर मामलें में घिरे मंत्री हरीश चौधरी पहले भी संगठन में काम करने की इच्छा जता चुके हैं.

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मैं किस खेमे में हूं, क्या मेरी सीट बचेगी!

सीएम अशोक गहलोत मंत्रिमंडल और विस्तार में दिलचस्प बात ये भी है कि सचिन पायलट कोटे से गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों पर भी तलवार लटकी है. ऐसे 6 मंत्री हैं जिन्हें पायलट अब अपने कोटे में नहीं मानते हैं. गहलोत के बचाव करने पर ही मंत्री पद बच सकता. पायलट कोटे के ये मंत्री अब कह रहे हैं कि वे पार्टी आलाकमान के कोटे में हैं. अब इनका भविष्य रायशुमारी के दौरान तय होना माना जा रहा है.

‘सियासी संकट’ के तारणहारों की सुध लेंगे गहलोत !

वहीं सूत्रों की माने तो कांग्रेस सरकार के तारणहार और रक्षक निर्दलीय विधायकों और और बीसएपी से कांग्रेस में आए विधायकों को मंत्रिमडंल में शामिल करने पर अभी सहमति नहीं बनी है. लेकिन सीएम अशोक गहलोत खुद के कोटे से निर्दलीय और बीसएपी से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को मंत्रीमंडल में भागीदारी देना चाहते हैं. गहलोत मंत्रिमडंल में कुल 30 मंत्री बन सकते हैं. अभी 21 हैं. यानी 9 नए मंत्री बन सकते हैं. अब इस पूरे घटनाक्रम में कितने मंत्री हटाए जाते हैं औऱ कितने नए बनाए जाते हैं ये तो वक्त ही बताएगा.

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