बज गई दिल्ली की चुनावी रणभेरी, क्या बिना मुख्यमंत्री चेहरे के चुनाव लडेगी बीजेपी? अभी तक तय नहीं नाम, पांच नेताओं की दावेदारी

वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने जीत की गारंटी वाला मुख्यमंत्री का चेहरा ही भाजपा के लिए सबसे बडी चुनौती है, आखिरकार कौन होगा केजरीवाल के सामने भाजपा से सीएम चेहरा?

पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो. देश की राजधानी दिल्ली के विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है, दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 8 फरवरी को होगा चुनाव. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तारीखों का एलान किया. वहीं जैसे तैसे हरियाणा में इज्जत बचाने के बाद पहले महाराष्ट्र फिर झारखंड में सिंहासन गवां चुकी भाजपा के चाणक्य अमित शाह की इन चुनावों को लेकर नींद उडी हुई है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का चेहरा है इसकी बडी वजह है. चुनाव से पहले भाजपा अपने आपको एकजुट दिखाने की भरपूर कोशिश कर रही है लेकिन जानकारों की मानें तो पार्टी के अंदर सबकुछ सही नहीं चल रहा है.

सबसे पहले तो वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने जीत की गारंटी वाला मुख्यमंत्री का चेहरा ही भाजपा के लिए सबसे बडी चुनौती है. आखिरकार कौन होगा केजरीवाल के सामने भाजपा से सीएम चेहरा? मीडिया के इस सवाल पर भाजपा के केंद्रीय नेताओं की बोलती बंद हो जाती है. सभी नेता इस सवाल को टालकर सीएए और एनआरसी के मुददे पर आ जाते हैं. गौरतलब है कि बीजेपी ने हाल में हुए हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा क्रमशः मनोहर लाल खट्टर, देवेन्द्र फडणवीस और रघुबरदास के नामों की घोषणा कर दी गई थी. लेकिन दिल्ली में नाम तय करने की हिम्मत अभी अमित शाह नहीं कर पाए हैं.

चार के चक्रव्यूह में उलझी भाजपा

जानकारों की मानें तो दिल्ली बीजेपी में मुख्य रूप से तीन से चार नामों की चर्चा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए चल रही है. इसमें मनोज तिवारी के अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल, केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन व नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का नाम प्रमुख रूप से लिया जा रहा है. इनमें पूर्वांचल का चेहरा होने व प्रदेश अध्यक्ष के रहते दो चुनावों (नगर निगम व लोकसभा) में जीत दिलाने से भोजपुरी गायक मनोज तिवारी की दावेदारी अधिक है.

वहीं, विजय गोयल भले ही राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं, लेकिन उनकी मुख्यमंत्री बनने की उनकी महत्वाकांक्षा किसी से छुपी नहीं है. केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन खुले तौर पर तो कोई गतिविधि अपनी उम्मीदवारी को लेकर नहीं करते, लेकिन उनके समर्थक उनके लिए अंदरखाने अभियान चलाते नजर आते रहते हैं. विजेंद्र गुप्ता चूंकि नेता प्रतिपक्ष हैं तो उनके समर्थक भी उन्हें मुख्यमंत्री के पद पर देखना चाहते हैं.

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वहीं सांसद गौतम गम्भीर भी पाल बैठे सीएम बनने का सपना

आम चुनाव से जस्ट पहले बीजेपी में आए और चुनाव लड़कर क्रिकेटर से सांसद बने गौतम गंभीर भी राजनीति में आते ही दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने का सपना आंखों में पाल बैठे हैं. हाल में एक मीडिया संस्थान ने जब गौतम से सवाल किया गया कि क्या वे उत्तर प्रदेश जैसी व्यवस्था पर सहमति जताएंगे जहां तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनने के लिए कहा गया था? इस पर गौतम ने गंभीर होते हुए कहा कि एक बड़ी जिम्मेदारी सम्मान की बात होगी और यह एक मुकम्मल सपना होगा. बता दें, गौतम गंभीर दिल्ली के स्थानीय स्थानीय निवासी हैं और स्टार क्रिकेटर रहने की वजह से दिल्ली के युवा उनकी स्टाइल और बेबाक छवि के फैन हैं

अब बीजेपी के ये नेता दिल्ली की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का सपना तो देख रहे हैं लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी और वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पार पाना है. दिल्ली में जिस तरह लगातार जनहित के फैसले आ रहे हैं, उससे राजधानी की जनता बेहद खुश है. महिलाओं के लिए फ्री बस सुविधा, छात्रों के लिए फ्री वाईफाई, बिजली के बिलों में बेसिक छूट, सरकारी स्कूलों का बदला वातावरण और बेरोजगारों के लिए फ्री ट्रेनिंग सेंटर्स आप सरकार के ऐसे कुछ फैसले हैं जिन पर केन्द्र की बीजेपी सरकार भी सवाल नहीं उठा सकती. ऐसे में उन्हें सत्ता की कुर्सी से हिला पाना नामुमकिन से नजर आ रहा है.

4 दिन पहले किरणबेदी को लाकर चारों खाने चित हुई थी भाजपा

बीजेपी ने साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के केजरीवाल के खिलाफ पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी के चेहरे को आगे कर दिल्ली में चुनाव लड़ा था. बिलकुल लास्ट के समय में बीजेपी संसदीय दल बोर्ड ने किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था. बीजेपी ने किरण बेदी को केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की सीट कृष्णानगर से चुनाव लड़ाया था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इतना ही नहीं किरण बेदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने से बीजेपी को कोई लाभ नहीं मिला था. बीजेपी को महज 3 सीट ही दिल्ली में मिल सकी थीं, जबकि केजरीवाल की आप ने 70 में से 67 सीट लेकर जबरदस्त जीत हासिल की थी.

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15 फरवरी तक सरकार का होना है गठन

दिल्ली की 70 सीटों पर 8 फरवरी को चुनाव होंगे, 11 फरवरी को नतीजे आएंगे और 15 फरवरी तक सरकार का गठन होना है. ऐसे में चुनाव आयोग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. वहीं आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के नेता भी चुनावी मोड में आ गए हैं. 2015 के विधानसभा चूनावों में 70 सदस्यों वाली दिल्ली विधानसभा में आप पार्टी ने 67 सीटों पर और बीजेपी ने 3 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं 15 साल लगातार दिल्ली की गद्दी पर राज करने वाली कांग्रेस को जनता ने शून्य के अंक से नवाजा था. पिछली बार 7 फरवरी 2015 को चुनाव हुए थे और 14 फरवरी को अरविंद केजरीवाल की सरकार बनी थी.

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