कोरोना के संभावित कहर के ख़ौफ़ के बीच चाइना में लॉन्च हुआ एक ओर खतरनाक ‘हंता’ वायरस, जानिए ‘हंता’ के बारे में पूरा सच

कोरोना जितना खतरनाक नहीं है लेकिन उससे 24 फीसदी ज्यादा मारक है हंता, एक की हो चुकी है मौत, 32 संदिग्ध, हवा के जरिए नहीं बल्कि सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करता है हंता वायरस

पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. देश और दुनिया इन दिनों कोरोना वायरस के खौफ और कहर से जूझ रही है. कोरोना वायरस अब तक दुनिया में 17 हजार से ज्यादा जानें लील चुका है. भारत में भी इस वायरस से मरने वालों की संख्या 11 हो गई है. कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या दुनिया में चार लाख से भी अधिक है, जबकि भारत में ये आंकड़ा 600 के करीब पहुंच गया है. कोरोना का कोई उपचार नहीं बल्कि बचाव ही एक मात्र उपाय है. यही वजह है कि देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन लागू किया गया है. लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं हंता वायरस की, जी हां जहां एक और देश और दुनिया पहले से कोरोना जैसे खतरनाक वायरस के संभावित ख़ौफ़ से डरी बैठी है, वहीं इसी बीच चाइना ने एक और नया हंता वायरस लॉन्च कर दिया है. जिसके बाद देश और दुनिया में डबल हड़कम्प मचा हुआ है. बता दें, चीन के यूनान प्रांत में हंता वायरस की वजह से 23 मार्च को एक शख्स की मौत हो चुकी है और 32 संदिग्ध बताए जा रहे हैं. बताया यह भी जा रहा है कि हंता वायरस से संक्रमित शख्स जिस बस में सवार था, उसमें सवार 32 लोगों की जांच की गई है. यूएस सेंटर फॉर डिजीस एंड कंट्रोल ने हंता वायरस की तस्वीरें भी जारी की हैं.

हालांकि ज्यादा घबराने की बात नहीं है क्योंकि आमतौर पर हंता वायरस कोरोना की तरह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं जाता लेकिन हंता वायरस से मौत का खतरा कोरोना से 24 फीसदी अधिक है. जहां कोरोना संक्रमण का पता चलने में कुछ दिन लगते हैं, वहीं हंता के संक्रमण का पता लगने में एक से आठ हफ्तों का वक्त लग सकता है. अगर कोई व्यक्ति हंता संक्रमित है तो उसे बुखार, दर्द, सर्दी, बदन दर्द, उल्टी जैसी दिक्कते हो सकती हैं.

यहां हम आपको बता दें, हंता वायरस कोई एक वायरस नहीं है बल्कि कई वायरसों के समूह को हंता वायरस कहा जाता है. ये वायरस आमतौर पर चूहों में पाया जाता है लेकिन इस वायरस से चूहों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता. हंता वायरस दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पहले से मौजूद है जिनमें एशिया, अफ्रिका से लेकर अमेरिका तक शामिल हैं. यह वायरस मुख्यत: फेफेड़ों को प्रभावित करता है. हंता वायरस के संक्रमण से हल्का बुखार, फ्लू, सांस की बिमारी, फैफड़ों में पानी भरना, लो ब्लडप्रेशर, लगातार खून बहने और किडनी की बीमारी हो सकती है. इस बीमारी का कोई ‘स्पेसिफिक ट्रीटमेंट’ नहीं है.

सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, हंता वायरस चूहों से फैलता है लेकिन अलग अलग देशों में किए गए शोध के मुताबिक चूहों, छछूंदर व गिलहरी की प्रजाति पर अलग-अलग हंता वायरस पनपता है. यह उनके मल, मूत्र, लार के संपर्क में आने या उनके काटने से हो सकता है. अलग-अलग चूहों की प्रजातियों में अलग-अलग हंता वायरस पाए जाते हैं. कुछ मौकों पर यह वायरस हवा में भी पाए जाते हैं लेकिन आमतौर पर ये वायरस चूहों के चूरिन और मल में पाए जाते हैं जिनके संपर्क में आने से ये वायरस इंसानों में पहुंच सकता है.

अगर कोई इंसान चूहों के मल-मूत्र या लार को छूने के बाद अपने चेहरे पर हाथ लगाता है तो हंता संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है. ये भी बताया जा रहा है कि हंता वायरस सांस के जरिए शरीर के अंदर प्रवेश करता है. यदि कोई व्यक्ति चूहों या गिलहरी के मल, पेशाब आदि को छूने के बाद अपनी आंख, नाक और मुंह को छूता है तो उसके जरिए वायरस शरीर में जा सकत है.

यूरोप, एशिया और अफ्रिका में पाए जाने वाले हंता वायरस को ओल्ड वर्ल्ड हंता वायरस कहते हैं. इनसे लगातार खून बहने और किडनी की बीमारी हो सकती है. वहीं, अमेरिका में पाए जाने वाले हंता वायरस को न्यू वर्ल्ड हंता से सांस की गंभीर बीमारी हो सकती है. इसे हंता वायरस पल्मनेरी सिंड्रोम (HPS) भी कहते हैं.

जनवरी, 2019 में हंता वायरस से संक्रमित 9 लोगों की पेटागोनिया में मौत हो गई थी. एक अनुमान के मुताबिक़, हंता वायरस से संक्रमित लोगों के अब तक 60 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें 50 को क्वारंटीन रखा गया है. सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के एक ट्वीट के अनुसार, ‘हंता वायरस का शिकार बना व्यक्ति शैनडोंग राज्य से बस से आ रहा था. रास्ते में उसकी तबियत बिगड़ गई. जांच होने पर वह हंता वायरस से पीड़ि‍त पाया गया. इस बस में सवार 32 अन्य लोगों की भी जांच की गई’.

विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस की तरह हंता वायरस घातक नहीं है लेकिन जानलेवा जरूर है. कोरोना की तरह ये छूने से नहीं फैलता लेकिन इंसान के चूहे या गिलहरी के संपर्क में आने से फैलता है. इसके शुरुआती लक्षण में व्यक्ति को ठंड लगने के साथ बुखार आता है और इसके बाद मांसपेशियों में दर्द के साथ सूखी खांसी आती है. कोरोना की तरह ही सांस लेने के तकलीफ होने लगती है. खासतौर पर ये बिमारी चीन के ग्रामीण इलाकों में ज्यादा होती है.

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अधिकतर बिमारियां चीन में ही क्यों होती है? ये सवाल अधिकतर लोगों के दिमाग में है. दरअसल चीन में जिंदा जीव-जंतुओं को खाने की परंपरा है. वहां के लोग कई जिंदा जीव जंतुओं को खाते हैं जिनमें चूहें और गिलहरी भी शामिल हैं. ऐसे में चीनियों के हंता वायरस के संपर्क में आने की आशंका अधिक है. चूंकि चीन कोरोना वायरस का दंश झेल चुका है, अब चीनी लोगों में डर और ज्यादा बढ़ गया है. वहां के लोग यही कह रहे हैं कि अगर चीन के लोग जिंदा जानवरों को खाना बंद नहीं करेंगे तो ये सब होता रहेगा. हाल में एक जिंदा चूहे को खाते एक चीनी व्यक्ति का वीडियो भी काफी वायरल हुआ था.

वैसे माना यही जा रहा है कि हंता वायरस कोई नया नहीं है, ये काफी पुराना है. अमेरिका में जो सबसे खतरनाक हंता वायरस पाया जाता है, उसका नाम है सिन नोंबर. यह चूहों की खास प्रजाति डीर माउस से फैसला है. अमेरिका में 1993 में हंता वायरस से होने वाली बीमारियों पर निगरानी की प्रक्रिया शुरु हुई क्योंकि तब ये वायरस कई क्षेत्रों में फैल गया था. बाद में अमेरिकी सरकार ने हंता वायरस से पनपी हंता वायरस पल्मनेरी सिंड्रोम को उन बीमारियों की सूची में शामिल किया था जिनकी जानकारी सरकार को देनी जरूरी होती है.

अगस्त, 2012 में अमेरिका के योसेमिते नेशनल पार्क में घूमने वाले लोगों में हंता वायरस के संक्रमण पाए गए थे. वहीं जनवरी, 2017 में अमेरिका के सात राज्यों में 17 लोगों के हंता वायरस से संक्रमित होने का पता चला था. इन 17 मामलों के पीछे हंता वायरस का एक खास प्रकार सिओल वायरस को वजह बताया गया था.

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