Wednesday, January 15, 2025
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CM सलाहकार लोढा का प्रमोद कृष्णम पर पलटवार- ये सब आपको नहीं देता शोभा, आचार्य ने भी दिया जवाब

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सबसे जुदा है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकर और निर्दलीय विधायक संयम लोढा की सियासी रणनीति, एक तरफ गलत नीतियों पर विधानसभा में जमकर गहलोत सरकार पर उठा रहे सवाल तो वहीं दूसरी तरफ सीएम अशोक गहलोत के प्रति खुलकर निभा रहे वफादारी भी, मतलब साफ है कि प्रदेश की जनता और क्षेत्रवासियों के मुद्दों को लेकर निभा रहे हैं फर्ज, तो वहीं सीएम गहलोत के पुराने वफादार और विश्वासपात्र होने के चलते कोई कमी नहीं आने दे रहे अय्यारी में अपनी, बीते दिनों जहां विधानसभा में संयम लोढा ने पेपरलीक कांड को लेकर गहलोत सरकार को दी बड़ी चेतावनी, कहा- अगर पुख्ता इंतजाम नहीं हुआ और पेपर लीक हो गया तो सरकार को नहीं मिलेगा कोई पानी पिलाने वाला भी,’ इसके साथ ही बुलडोजर नीति सहित अन्य मुद्दों पर भी जमकर बोल चुके हैं गहलोत सरकार पर हमला, तो वहीं सीएम गहलोत विपक्ष या अन्य नेताओं के हमले का भी सबसे पहले दर्द आता है संयम लोढा को, बात करें सचिन पायलट समर्थक कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद द्वारा किए जाने वाले जुबानी हमलों की, तो आचार्य कटाक्ष पर भी सबसे पहला पलटवार होता है संयम लोढा का, ताजा घटनाक्रम के अनुसार तबियत नासाज होने के कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सोमवार को श्रीनगर में हुए भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम में नहीं हो सके शामिल, इसे लेकर सीएम गहलोत ने किया ट्विट- ’26 जनवरी को निमोनिया से संक्रमित हो जाने के कारण किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं हो पा रहा हूं शामिल, मेरी आज श्रीनगर में भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम में शामिल होने की थी दिली इच्छा, परन्तु डॉक्टर्स की सलाह के कारण नहीं जा सका मैं वहां, मैं पुन: भारत जोड़ो यात्रा के सफल आयोजन पर राहुल गांधी एवं समस्त यात्रियों को देता हूं बधाई,’ वहीं सीएम गहलोत के ट्वीट पर रिट्वीट करते हुए पायलट समर्थक वरिष्ठ आचार्य प्रमोद कृष्णम ने तंज कसते हुए, रिट्वीट कर लिखा- आपके उत्तराधिकारी पहुंच गए हैं,’ इस पर संयम लोढ़ा नाराज हो गए और आचार्य को जवाब देते हुए लिखा- सार्वजनिक जीवन में जो व्यक्ति 50 साल पूरे कर चुके हो, कई प्रधानमंत्री के साथ और 3 बार राजस्थान की सेवा कर चुके हो, कोरोना के बावजूद भीतरघात से जनता की सरकार को गिराने का प्रयास विफल कर चुके हो, तो उनकी सेहत पर टिप्पणी करना किसी आचार्य को नहीं देता शोभा,’ फिर आचार्य भी कहां रुकने वाले थे, लिखा- ‘सोनिया जी द्वारा नियुक्त किये गये “पर्यवेक्षकों” की सार्वजनिक “बेइज़्ज़ती” करना देता है शोभा’

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