पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के कार्यकाल में बंद हुई आपसी सौहार्द बढाने की परम्परा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फिर से शुरू करते हुए बुधवार, 31 जुलाई को सभी दलों के विधायकों और ब्यूरोक्रेट्स को रात्रि भोजन पर आमंत्रित किया. मुख्यमंत्री की इस पहल की सभी ने सराहना भी की और किसी हद तक सत्ता और सियासत के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल बना भी हो, लेकिन दूसरे ही दिन विधानसभा में आयोजित एक सेमिनार के दौरान हुए एक घटनाक्रम ने सीएम अशोक गहलोत की डिनर डिप्लोमैसी पर पानी फेर दिया और आग में घी का काम किया विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की टिप्प्णी ने.

बुधवार, 31 जुलाई की रात को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर स्थित सरकारी आवास पर सभी विधायकों और ब्यूरोक्रेसी का डिनर रखा. इसमें सभी पक्ष व विपक्षी दलों के विधायकों को सपत्नी आमंत्रित किया गया था. मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित इस डिनर डिप्लोमेसी पीछे सीएम गहलोत की मंशा पक्ष और विपक्ष के बीच सद्भावना के माहौल को मजबूत करने की थी. सीएम अशोक गहलोत के व्यक्तिगत आमंत्रण पर भाजपा के अधिकांश विधायक डिनर में शामिल हुए. सीएम ने भी कांग्रेस के साथ-साथ एक-एक भाजपा विधायक का सपत्नी स्वागत सत्कार किया. अशोक गहलोत की इस मिलन सरिता की प्रशंसा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित सभी विधायकों ने पूरे मन से की.

लेकिन सीएम अशोक गहलोत की इस डिनर डिप्लोमैसी पर अगले ही दिन एक अगस्त को पानी फिर गया. हुआ यूं कि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की पहल पर राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा और सीएसडीएस के तत्चावधान में विधायकों के लिए सेमीनार का आयोजन किया गया. कायदे से इस सेमीनार में वक्ताओं को विधायी कार्यों पर ही बोलना चाहिए था, लेकिन सेमिनार के दौरान दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की निदेशक प्रो. जोया हसन ने पूरा भाषण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा पर ही केन्द्रित कर दिया.

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प्रो. जोया ने कहा कि भाजपा के पांच वर्ष के शासन में ऐसा लगता है कि अब भारत हिन्दुओं का ही है. सीधे-सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करते हुए जोया ने कहा कि 2014 का चुनाव विज्ञापन के बल पर जीता गया तो 2019 का चुनाव सड़कों, भवन आदि के नाम बदल कर जीत लिया. जोया ने जिस तरह पीएम नरेन्द्र मोदी और भाजपा को निशाना बनाया, उस पर भाजपा विधायकों ने एतराज किया. इस पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि जिसे प्रो. जोया हसन का भाषण नहीं सुनना है, वह बाहर जा सकता है. इस पर भाजपा के सभी विधायक सेमीनार छोड़ कर बाहर आ गए. हंगामे के समय सेमीनार में सीएम अशोक गहलोत भी मौजूद थे.

कांग्रेस की पक्षधर रही हैं जोया हसन:

जानकारों की माने तो सेमीनार में प्रो. जोया हसन को एक रणनीति के तहत बुलाया गया था. प्रो.जोया कांग्रेस की पक्षधर रही हैं. उनके पति को जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी का कुलपति कांग्रेस के शासन में ही बनाया गया. प्रो. जोया स्वयं भी राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से जुड़ी रही हैं. कांग्रेस की गोष्ठियों, सेमीनार आदि में मुख्यवक्ता के तौर पर भाषण देती रही हैं. पूर्व में जिन कलाकारों, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों आदि ने अवार्ड वापस किए, तब प्रो. जोया उनके समर्थन में खड़ी थीं.

चूँकि सीपी जोशी विधानसभा अध्यक्ष बनने से पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे, इसलिए प्रो. जोया उनके सम्पर्क में थीं. यही वजह रही कि प्रो. जोया को रोकने के बजाए जोशी ने भाजपा विधायकों को ही सेमीनार से चले जाने को कह दिया. सवाल उठता है कि जब यह सेमीनार विधायकों को विधायी कार्य को समझाने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी, तो फिर उसमें प्रधानमंत्री और भाजपा की आलोचना क्यों की जा रही थी? क्या सीएम अशोक गहलोत और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की उपस्थिति में कांग्रेस और राहुल गांधी की आलोचना की जा सकती है?

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