महाराष्ट्रः बीजेपी की अंदरूनी कलह में चंद्रकांत पाटिल ने लगाया ‘मेगा भर्ती’ का तड़का, कहा- इसी से पहुंचा पार्टी को नुकसान

पुणे में आयोजित एक समारोह में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने इशारों इशारों में साधा देवेंद्र फडणवीस पर निशाना, निष्ठावान नेताओं को साइड लाइन करने का लगाया आरोप, एकनाथ खडके और पंकजा मुंडे पहले ही जता चुके हैं नाराजगी

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र में अतिआत्मविश्वास में सत्ता गंवा चुकी बीजेपी में चुनाव के बाद मची अंतर्कलह थमने का नाम नही ले रही है. बल्कि अब ये खुलकर सामने आने लगी है. महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल (Chandrakant Patil) ने पूर्व सीएम फडणवीस पर निशाना साधते खुलेआम अपनी ही पार्टी पर ‘मेगा भर्ती’ का आरोप लगाते हुए कहा कि इसी वजह से बीजेपी की संस्कृति बिगड़ी है. उन्होंने ‘मेगा भर्ती’ शब्द लोकसभा और विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस और एनसीपी से बीजेपी में शामिल हुए लोगों के लिए किया है.

पुणे के पास पिंपरी चिंचवड़ में एक समारोह के दौरान आयोजित रैली में चंद्रकांत पाटिल (Chandrakant Patil) ने बिना नाम लिए लेकिन इशारों इशारों में पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा और कहा कि पार्टी के निष्ठावान लोगों के बजाय बाहरी लोगों को टिकट दिए जाने से उन्हें ठेस पहुंची है. दरअसल दलबदलुओं को बीजेपी में शामिल करने की रणनीति पर फडणवीस की ही थी.

बता दें, विधानसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले कांग्रेस और एनसीपी के करीब 20 नेता महाराष्ट्र बीजेपी में शामिल हुए थे. इनमें से 15 को टिकट मिला था जिनमें से 12 जीतकर विधानसभा पहुंचे. लेकिन अब सूत्र बता रहे हैं कि इनमें से अधिकतर नेता फिर से पुरानी पार्टियों में जाने का मन बना रहे हैं. वजह साफ है सत्ता में उनकी पुरानी पार्टी की सरकार है. ऐसे में जो मलाई उन्हें वहां वापिस जाने से मिल सकती है, उसके यहां अभी चांस नहीं बन रहे.

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पाटिल ने आगे कहा कि पाटिल (Chandrakant Patil) ने कहा कि चुनाव के टिकट दिये जाते वक्त पार्टी के करीब नेताओं के बजाए दिल के करीब रहे नेताओं को ज्यादा तरजीह दी गई. उनका सीधा सीधा इशारा बीजेपी के दिग्गज नेता विनोद तावड़े, एकनाथ खडसे और चंद्रशेखर बवनकुले की ओर है. इनके अलावा भी पुराने और निष्ठावान नेताओं के टिकट महाराष्ट्र वि.स. चुनाव में काट दिए गए जो आने वाले वक्त में पार्टी विरोधी भी बन सकते हैं. इनमें प्रकाश मेहता और राज पुरोहित भी शामिल हैं जिन्हें बेटिकट रखा गया.

इसे समझने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए कि पाटिल (Chandrakant Patil) का ये कटाक्ष फडणवीस की ओर था. दरअसल, बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के चुनाव में जीतने की प्रबल संभावना के चलते फडणवीस पूरी तरह आत्मविश्वास से भरे हुए थे कि उनकी सत्ता वापसी करना तय है. हुआ भी कुछ ऐसा ही लेकिन मुख्यमंत्री सीट के बंटवारे को लेकर बीजेपी और शिवसेना में पड़ गई दरार और फिर महाराष्ट्र में बन गई महाविकास अघाड़ी की सरकार.

चुनाव परिणाम के बाद भी बीजेपी की कलई खुलकर सामने आने लगी थी जब पार्टी नेता एकनाथ खडसे ने खुलकर देवेंद्र फडणवीस पर खुद को साइडलाइन करने का जड़ा. इसके बाद परली सीट से हारने वाली बीजेपी के उम्मीदवार पंकजा मुंडे ने भी पूर्व सीएम पर नाराजगी जाहिर की थी. अब बीजेपी के अधिकांश नेता फडणवीस के रवैये और उनकी चुनावी रणनीति पर सवाल उठा रहे हैं. इनमें से कई नेताओं ने अपनी शिकायत पार्टी आलाकमान तक भी पहुंचाई है.

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अभी तक महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार गठबंधन के तीन पहियों पर चल रही है. कांग्रेस और शिवसेना के बीच नेताओं की तनातनी और वैचारिक मतभेद लगातार बने हुए हैं. ऐसे में अगर पार्टी कुछ नेता टूटकर अपनी पुरानी पार्टी में वापसी करते हैं या सत्ताधारी पक्ष की ओर चले जाते हैं तो गठबंधन सरकार को मजबूती ही मिलेगी लेकिन इसका कड़ा खामियाजा बीजेपी को जरूर भुगतना पड़ेगा.

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