महागठबंधन की बैठक में लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बिहार महागठबंधन की पहली बैठक पटना स्थित पूर्व मुख्‍यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित हुई. मंगलवार शाम हुई इस बैठक में बिहार महागठबंधन में शामिल सभी दलों के प्रतिनिधि मौजूद रहे. इस बैठक में लोकसभा चुनाव की हार पर चर्चा की गई और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया. बैठक में सभी नेताओं ने एकस्वर में संघर्ष करने की बात कही.

बिहार महागठबंधन की इस बैठक में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव के अलावा कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्‍यक्ष मदन मोहन झा, हिंदुस्‍तानी अावाम मोर्चा (हम) की ओर से राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष पूर्व मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी, राष्‍ट्रीय लाेक समता पार्टी (रालोसपा) की ओर से राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) पार्टी की ओर से मुकेश सहनी मुख्‍य रूप से शामिल हुए.

बैठक के बाद सभी दलाें के प्रतिनिधियों की ओर से जारी हस्‍ताक्षर से प्रेस बयान जारी किया गया है, जिसके अनुसार बैठक में सभी नेताओं ने कहा कि हमारी पार्टियों का यह महागठबंधन महज चुनाव के लिए नहीं था. यह गठबंधन अवाम के सरोकारों को उसकी समेकित पूर्ति के लिए था और हम अपनी सामूहिक जिम्मेवारी को भली भांति समझते हैं. हम सब का यह मानना है कि गरीब गुरबा, पिछड़ा, दलित, वंचित समाज और युवाओं के सरोकारों से मौजूदा केंद्र और राज्य की सरकार को रत्ती भर भी परवाह नहीं है. हम तमाम दलों के लिए हमारी राजनीति सिर्फ चुनाव लड़ने और सीटों के बंटवारे का नाम नहीं है. हमारी समकालीन राजनीति का ताल्लुक सर्वप्रथम इस बात से है कि किस प्रकार इस मौजूदा संकट की घड़ी से राज्य और देश को निकाला जाए.

बैठक में शामिल नेताओं ने कहा, “महागठबंधन के तमाम सहयोगी दल इस बात से भलीभांति परिचित हैं कि मौजूदा दौर में राजनीति के स्वरूप और चरित्र को बदलना भी हमारी जिम्मेदारी है. राज्य और राष्ट्र को एक वैकल्पिक लोकोन्मुख राजनीति का तेवर दिया जाए, ये हम सबों का भरोसा है.” गठबंधन सिर्फ नेताओं के बीच का गठबंधन नहीं, बल्कि समाज के हाशिये पर पड़े लोगों का हाथ पकड़ कर चलने की प्रतिबद्घता का दूसरा नाम है.

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बैठक में मौजूद नेताओं ने कहा कि अर्थव्यवस्था आज़ादी के बाद के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. बेरोजगारी हर घर में दस्तक दे चुकी है, असंगठित क्षेत्र और किसानी लहूलुहान है. सदियों से स्थापित गुरु रविदास के मंदिर को तोड़ा जा रहा है.ग़रीबों की रोज़ी-रोटी और आशियाने को उजाड़ा जा रहा है. आरएसएस एवं बीजेपी सरकार संविधान और आरक्षण को समाप्त करने की साज़िश रच रही है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इस तरह की मंशा भी ज़ाहिर की है. हम सभी यह भी जानते हैं कि सामाजिक सौहार्द किस बदहाली से गुजर रहा है.

महागठबंधन के नेताओं ने कहा कि बिहार में एनडीए गठबंधन 12 वर्ष से अधिक समय से शासन कर रहा है फिर भी बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, पलायन, व्यापार और क़ानून व्यवस्था का बुरा हाल है. आज की इस बैठक में हमने यह निर्णय लिया है कि आने वाले दिनों में हम जनसंघर्षों के माध्यम से जन सरोकार के मुद्दों पर राज्य भर में लोगों को शिक्षित और जागरूक करने के साथ शांतिपूर्ण संघर्ष में उनके सहभागी होंगे. जन सरोकार से जुड़े आंदोलन को हम सबने साथ-साथ लड़ने का निर्णय लिया है.

महागठबंधन में शामिल दलों के अलावा राजद से जगदानंद सिंह, राम चन्द्र पूर्वे, आलाेक महेता समेत अन्य वरीय नेता भी बैठक में पहुंचे. हालांकि बैठक में शामिल होने से पहले हम के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जीतनराम मांझी ने कहा कि बैठक और पहले बुलाई जानी चाहिए थी, बैठक बुलाने में देरी हुई है, जो राजनीतिक चूक है. इस बैठक में आने वाले दिनों में जनसंघर्षो के माध्यम से जन सरोकार के मुद्दों पर राज्य भर में लोगों को शिक्षित और जागरूक करने के साथ शांतिपूर्ण संघर्ष करने का निर्णय लिया गया है.
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