एंटी NRC और NPR प्रस्ताव पास करने वाला पहला एनडीए शासित प्रदेश बना बिहार, बीजेपी विधायकों ने भी दिया समर्थन

बिहार की सत्ता पर काबिज है जदयू-बीजेपी की साझा सरकार, एनपीआर के पुराने फॉर्मेट को ही लागू करने का प्रस्ताव पारित हुआ सदन में

Bihar Vidhansabha
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पॉलिटॉक्स न्यूज/पटना. बिहार देश में पहला एनडीए शासित राज्य बन गया है जहां NRC और NPR के खिलाफ प्रस्ताव पास किए गए हैं. विधानसभा में नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में एनआरसी लागू करने का प्रश्न ही नहीं उठता. इस प्रस्ताव को जदयू समेत भाजपा विधायकों ने भी समर्थन दिया. राजद और कांग्रेस तो पहले से ही एनआरसी लागू करने के विरोध में है. ऐसे में सर्वसम्मति और पूर्ण बहुमत से इस प्रस्ताव को विधानसभा में पास कर दिया गया. इसके साथ ही एनपीआर को कुछ संशोधनों के साथ 2010 के फॉर्मेट के अनुसार कराने का प्रस्ताव भी पास किया गया. विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन बजट पेश करने के बाद ये प्रस्ताव विधानसभा में रखे गए.

एनपीआर पर सदन में बोलते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने 15 फरवरी को केंद्र सरकार को पत्र लिख कर सुझाव दिया है कि लोगों को 2020 के एनपीआर के प्रारूप पर आपत्ति है. इसलिए इस बार भी 2010 के प्रारूप के आधार पर ही एनपीआर कराया जाए. उन्होंने ट्रांसजेंडर के लिए अलग जनगणना करने के प्रारूप को इसमें शामिल करने का सुझाव दिया है जो 2010 में नहीं था. नीतीश कुमार ने सदन में कहा है कि विपक्ष अगर चाहे तो उनके इस पत्र को प्रस्ताव के रूप में पास किया जा सकता है. प्रस्ताव के मुताबिक बिहार में एनआरसी की आवश्यकता नहीं बताई गई है. एनपीआर 2010 के प्रारूप के आधार पर लागू करने का सुझाव केंद्र सरकार को भेजा गया है.

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राजद लगातार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), एनआरसी और एनपीआर वापस लेने की मांग करती रही है. राजद इस पर प्रस्ताव पास करने की वकालत भी करती रही है. सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी यादव ने एनआरसी पर प्रस्ताव पास करने का अनुरोध किया था. नीतीश कुमार भी एनआरसी से परेशान रहे हैं क्योंकि इससे उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि को धक्का लग रहा था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि एनआरसी का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है. इसलिए सदन से प्रस्ताव पास करने में कोई हर्ज नहीं है.

बिहार में एनआरसी के विरोध में प्रस्ताव पास होने को राजद अपनी जीत बात रही है जबकि इससे केंद्र हैरान है. हालांकि वहां से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी इस बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा है.

इसके अलावा तेजस्वी यादव की मांग सीएए को वापस लेने या इसमें मुसलमानों को शामिल करने की भी रही लेकिन सीएम नीतीश कुमार ने इसे एक सिरे से खारिज कर दिया. नीतीश कुमार ने कहा कि सीएए का मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए सुप्रीम कोर्ट का जैसा आदेश होगा उसे मानेंगे. मुख्यमंत्री के मुताबिक, उनकी पार्टी पहले लोकसभा और बाद में राज्यसभा में भी सीएए का समर्थन कर चुकी है.

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प्रस्ताव लागू करने के बाद बिहार एनआरसी लागू नहीं करने का प्रस्ताव पास करने वाला पहला बीजेपी/एनडीए शासित राज्य बन गया है. यहां जदयू-बीजेपी की साझा सरकार है. उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार बीजेपी के हैं. इनके अलावा, केरल, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और पंजाब सीएए के खिलाफ प्रस्ताव विधानसभा में पास करा चुके हैं. वहीं सीएए, एनआरसी और एनपीआर तीनों के खिलाफ प्रस्ताव पास करने वाला राजस्थान देश का इकलौता राज्य है.

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