‘एक दिन भगवान राम सपने में आए और उन्होंने कुछ चुनिंदा लोगों को बताया कि मस्जिद के गुंबद के नीचे मेरा जन्मस्थान है. हिंदू पक्ष कुछ ऐसी दलीले पेश कर रहा है.’ ये कहना है वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन (Rajiv Dhawan) का, जो सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामला (Ayodhya Case) के तहत चल रही 28वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की ओर से दलीलें पेश कर रहे थे. शुक्रवार को भी सुन्नी वक्फ बोर्ड और मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन की दलीलें जारी रही. हालांकि ये सुनवाई केवल 80 मिनिट के छोटे से अंतराल के लिए ही चली लेकिन इस दौरान मुस्लिम पक्षकार ने हिंदू पक्ष की दलीलों का जमकर माखौल उड़ाया.

राम जन्मभूमि (Ram Janambhumi) और बाबरी मस्जिद के विवादित स्थल की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कहा, ‘बाबरी मस्जिद केवल इसलिए गिराने गयी क्योंकि इसका मकसद केवल हकीकत मिटाना था. इसके बाद कोर्ट में दावा किया जा रहा है कि ये जमीन हिंदूओं की है. इससे साफ होता है कि मस्जिद बेवजह नहीं बल्कि नया राम मंदिर (Ram Mandir) बनाने के ​इरादे से ध्वस्त की गई थी.’

धवन ने कहा, ‘हिंदू पक्ष दलील दे रहा है कि भगवान राम किसी के सपने में आए और बताया कि उनका जन्मस्थान मस्जिद के केंद्रीय गुंबद के नीचे है. क्या इस पर विश्वास किया जा सकता है?’ 

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि बाबरनामा के अनुसार मस्जिद को बाबर के आदेश पर उसके कमांडर मीर बाकी ने बनवाया था. तीन शिलालेखों में भी इसका जिक्र है. इन पर हिंदुओं ने आपत्तियां उठाई है लेकिन ये सही नहीं, क्योंकि इनका जिक्र विदेशी यात्रियों के वर्णन और गजेटिरों में है. धवन ने दस्तावेजों के आधार पर दावा किया कि मस्जिद बाबर ने ही बनवाई थी. विवादित ढांचे पर अरबी व फारसी शिलालेखों पर ‘अल्लाह’ लिखा हुआ है.

उनकी इस दलील पर जस्टिस एस.ए.बोबड़े ने कहा कि पुरानी मस्जिदों में संस्कृत में लिखावट मिल रही है. उसके बारे में आपका क्या कहना है? इस पर धवन ने कहा कि चूंकि बनाने वाले मजदूर-कारीगर हिंदू होते थे और वे अपने तरीके से इमारत बनाते थे. काम शुरू करने से पहले वे विश्वकर्मा और अन्य की पूजा भी करते थे और काम पूरा होने के बाद यादगार के तौ पर कुछ लेख भी अंकित करते थे. ये लिखावट उन्हीं की लिखी हुई है. इसका अयोध्या से कोई लेना देना नहीं है.

पुरानी सुनवाई के लिए पढ़ें यहां

मामले की अगली सुनवाई 23 सितम्बर को होगी. सोमवार को भी मुस्लिम पक्षकार की दलीलें जारी रहेंगी.

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