अयोध्या मामला: फिर से शुरू हुई राम मंदिर की सुनवाई, 10 दिसम्बर तक धारा 144 लागू

अंतिम चरण में पहुंची अयोध्या मामला की सुनवाई, सिर्फ चार दिन का काउंटडाउन बाकी, संभावित फैसले को देखते हुए इलाके में भारी सुरक्षा बलों के साथ अलर्ट जारी

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. अयोध्या मामला (Ayodhya Case) में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद की विवादित जमीन की सुनवाई सोमवार को फिर से शुरू हो गई. मामले की अंतिम सुनवाई 4 अक्टूबर को हुई थी. उसके बाद दशहरे की छुट्टी के चलते अदालत 10 दिन के अंतराल के बाद आज फिर से खुल गई है. अब केवल चार दिनों का काउंटडाउन शेष है. आज कोर्ट खुलने के साथ ही अयोध्या मामले की सुनवाई अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है. संभावित फैसले को देखते हुए प्रशासन ने भारी सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ हाई अलर्ट घोषित कर दिया है. इलाके में धारा 144 भी लागू कर दी गई है.

अयोध्या मामला की सुनवाई अब केवल चार दिन और चलेगी. 17 अक्टूबर को हिंदू पक्ष और निर्मोही अखाड़ा के पक्षकार सामूहिक अपना दावा पेश करेंगे. सोमवार और मंगलवार को मुस्लिम पक्ष अपना पक्ष रखेगा. 16 को हिंदू पक्ष अपना सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में पेश करेंगे. 17 अक्टूबर को सभी पक्षकारों की तरह से बहस पूरी होगी. वहीं सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 17 नवंबर तक अपना फैसला सुना देगी.

इस मामले में अब तक 37वें सुनवाई हो चुकी है. पहले इस विवादित मामले की सुनवाई समाप्त करने की नियत तिथि 18 अक्टूबर थी लेकिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एक दिन घटाकर सुनवाई 17 अक्टूबर तक निर्धारित कर दी. गौरतलब है कि रंजन गोगोई 19 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में वे 25 साल पुराने इस केस को निपटाना चाहते हैं.

अयोध्या मामला में मुस्लिम पक्ष में भी दो फाड़ है. मुस्लिम समुदाय का एक पक्ष विवादित जमीन होने के चलते इस स्थान को हिंदू पक्ष को देने की पैरवी कर रहा है तो वहीं पर्सनल लॉ बोर्ड को अयोध्या की जमीन को छोड़ना नामंजूर है. बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद किसी भी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई. लिहाजा, शरीयत कानून के हिसाब से यह जमीन न किसी को हस्तांतरिक की जा सकती है न बेची जा सकती है. बोर्ड के सदस्य खािलद रशीद फिरंगी महली ने कहा कि वे कोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे.

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पुरानी सुनवाई के लिए यहां पढ़ें

बता दें, पूर्व की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने हिंदू पक्ष, मुस्लिम पक्ष और निर्मोही अखाड़ा पक्ष को अपनी दलीलें रखने के लिए 17 अक्टूबर तक का समय निश्चित किया है. इसके बाद फैसला सुनाने के लिए एक महीने का समय रिजर्व रखा है. सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर्ड हो रहे हैं. ऐसे में वे चाहते हैं कि 25 साल से अधिक पुराना ये महत्वपूर्ण मामला अपने अंतिम अंजाम तक पहुंचा सकें. संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस.ए.बोबडे, न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस.अब्दुल नजीर शामिल हैं.

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