बच्चों की मौत के मामले में सीएम गहलोत के विवादित बयान के बाद गर्माई राजनीति, पूर्व सीएम राजे सहित राठौर और पूनियां ने साधा निशाना

प्रदेश के मुखिया का यह बयान सुनकर मन बहुत आहत हुआ- राजे, संवेदनहीनता की हद है, बयान की जितनी भतर्सना की जाये उतनी कम है- राठौर, यह बयान बहुत ही शर्मनाक है- पूनियां, बयान को गलत तरीके से चलाया जा रहा है जो निंदनीय है- गहलोत

मुख्यमंत्री गहलोत
मुख्यमंत्री गहलोत

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान के कोटा स्थित जेके लोन अस्पताल में पिछले 24 दिनों में हुई 77 बच्चों की मौत के मामले के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है. इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शनिवार को दिए एक बयान कि, ‘देश-प्रदेश के हर अस्पताल में प्रतिदिन होती है तीन से सात मौतें, कोई नई बात नहीं है जयपुर में भी होती है मौतें‘, के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है.

मुख्यमंत्री गहलोत के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, “बच्चों की मौत तो होती रहती है, इसमें कोई नई बात नहीं है. प्रदेश के मुखिया का यह बयान सुनकर मन बहुत आहत हुआ, यह कथन उन माताओं के जख्मों पर नमक है जिनकी कोख कोटा जेके लोन अस्पताल में सरकारी लापरवाही के कारण सुनी हुई.”

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड ने कहा कि, “एक ही दिन में 10 बच्चों की मौत गहलोत सरकार पर कलंक है. सीएम गहलोत का बयान प्रत्येक दिन राजस्थान के प्रत्येक अस्पताल में 3 से 4 बच्चे मरते है बच्चे तो मरते ही रहते है. बच्चों की मौत के आंकडे गिनाकर सियासत करना ये संवेदनहीनता की हद है. सीएम गहलोत के इस बयान की जितनी भतर्सना की जाये उतनी कम है. गहलोत सरकार को चाहिए की मौत के कारणों को खोजे की एक ही दिन में इतनी मौतें क्यों हुई. इतनी मौत होने से राजस्थान शर्मसार हुआ है.”

वहीं सीएम अशोक गहलोत के बयान को शर्मनाक बताते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी का यह बयान की अस्पतालों में तो बच्चों की मौतें होती रहती है. प्रदेश के मुखिया को इस तरह का बयान देना शोभा नहीं देता है. यह बयान बहुत ही शर्मनाक है. पूनियां ने आगे कहा कि जनता व दूसरों के बच्चों की मौत पर इस तरह का बयान निंदनीय है. जिन माता-पिता ने अपने बच्चे खोए है, उन पर मुख्यमंत्री का यह वक्तव्य किस तरह का असर करेगा और कितनी पीड़ा देगा. यह राजस्थान की आम जनता इस सरकार का भविष्य तय कर सकती है.

विपक्ष द्वारा सीएम गहलोत के बयान की जमकर आलोचना के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने शाम को एक ट्वीट करते हुए कहा कि कुछ लोगों द्वारा जान-बूझ कर मीडिया में जो चलाया जा रहा है, वह निंदनीय है. जबकि निरोगी राजस्थान को लेकर हमारी सरकार ने प्रदेश में स्कीम शुरू की हुई है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में राजस्थान सिरमौर बने उसके लिए हम लगे हुए हैं.

निरोगी राजस्थान हमारा ध्येय है, पूरा फोकस इसी पर है. हमने दवाइयां फ्री की हुई हैं, जांचे फ्री हैं जो देश में कहीं नहीं है, राजस्थान देश का एकमात्र राज्य है जहां आउटडोर पेशेंट्स को भी दवाई फ्री मिल रही हैं. आयुष्मान भारत स्कीम भी सिर्फ भर्ती होकर इलाज करने वाले पेशेंट्स के लिए है.

हमने सरकार में आते ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो कदम उठाए उस कारण इस वर्ष पिछले 5 वर्षों में ये आंकड़े कम हुए हैं. आगे प्रयास है, आईएमआर व एमएमआर कम हो, इसके लिए हम संकल्पित हैं.
एक बच्चे की जान जाना भी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होता है, मां और बच्चा सुरक्षित रहे ये हमारी टॉप प्रायोरिटी है.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोटा अस्पताल में हुई बच्चों की मौत पर शनिवार को कहा था कि अगर आंकडों की बात करे तो पिछले 6 सालो में सबसे कम जाने इस साल गई है. एक बच्चे की मौत होना भी दुर्भाग्यपूर्ण होता है लेकिन प्रदेश में एक साल में 1500 मौतें भी हुई है, 1400 और 1300 भी. इस साल करीब 900 मौतें हुई हैं, पर 900 भी क्यों हुई, मौत तो एक भी नहीं होनी चाहिए. प्रदेश के हर अस्पताल में प्रतिदिन तीन से सात मौतें होती है, कोई नई बात नहीं है जयपुर में भी होती है. मैंने पूरी तरह इस मामले की जांच करवाई है ओर इस पर एक्शन भी हम कर रहे हैं. हम ध्यान देंगे किस प्रकार से प्रदेश में बच्चों की मौत का आंकडा कम हो. राजस्थान के अंदर जब हमने कहा है निरोगी राजस्थान उसमें ये प्वाइंट भी आएगा. प्रदेश में ना मां मरे, ना बच्चा ये हमारी सोच है.

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