100 से 106 वाली ‘राजनीतिक जादूगरी’ पर संकट का साया

जैसे, मानेसर में एसओजी को नहीं मिले 2, क्या फेयरमाउंट में ईडी को भी नहीं मिलेंगे 6, बीएसपी के इन 6 विधायकों के कांग्रेस में मर्ज होने के बाद कांग्रेस के सचिन पायलट ने ही कहा था कि बीएपी के 6 विधायक बिना किसी शर्त या पद के लालच के कांग्रेस में हुए हैं शामिल

Ashok Gehlot (2)
Ashok Gehlot (2)

PoliTalks.news/Rajasthan. राजस्थान विधानसभा का चुनाव-2018 तो सबको याद ही होगा. कांग्रेस के 100 विधायक चुनाव जीतकर आए. अशोक गहलोत ने अपनी जादूगरी से कई विधायकों को जुटाकर सरकार बनाई. इनमें 6 विधायक बहुजन समाजवादी पार्टी के भी थे. गहलोत की जादूगरी यहीं नहीं रूकी. 17 सितंबर, 2019 को की रात 10 बजे बीएसपी के इन 6 विधायकों का कांग्रेस में विलय हो गया. इस तरह कांग्रेस के विधायकों की संख्या 100 से बढ़कर 106 हो गई. यानि कांग्रेस का अपना पूरा बहुमत हो गया.

बीएसपी के इन 6 विधायकों के कांग्रेस में मर्ज होने के बाद कांग्रेस के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट (जिन्हें हाल ही में कांग्रेस ने पद से बर्खास्त किया है) ने कहा था कि बीएपी के 6 विधायक बिना किसी शर्त या पद के लालच में कांग्रेस में शामिल हुए हैं. पायलट ने ये भी कहा कि सभी विधायक अपनी मर्जी से कांग्रेस में शामिल हुए हैं, उन्हें तोड़ने की कोशिश नहीं की गई है. उधर, बीएसपी सुप्रीमो मायावती इस घटना के बाद आग बबूला हो गई. मायावती ने कांग्रेस पर उसके विधायकों को लालच देकर कांग्रेस में शामिल करने का आरोप लगाया.

मुख्यमंत्री गहलोत इससे पहले भी अपनी जादूगरी दिखा चुके हैं. वे राजस्थान में जीते हुए 13 में से 12 निर्दलीय विधायकों को भी अपने साथ पहले ही ला चुके हैं. यानि सत्ता की गणित में 101 से 120 के उपर पहुंच चुके गहलोत पूरी तरह निश्चिंत थे. लेकिन 14 महीने भी नहीं बीते कि सरकार की गाडी के सबसे मुख्य टायर से हवा निकलने की आवाज सुनाई दी. यह पंचर नहीं बल्कि टायर फटने जैसा था जो आज तक नहीं सुधर पा रहा है. गाड़ी जहां है, वहीं अटकी पड़ी है. आगे जाने का नाम ही नहीं ले रही.

यह भी पढ़ें: ‘प्रजातांत्रिक मूल्यों की आत्मा है संविधान’ के साथ ठुकराया प्रजातांत्रिक सरकार का तीसरा प्रस्ताव

Patanjali ads

सरकार की गाडी के इस टायर की हवा निकालने के काम को अंजाम देना वाला शख्स कोई और नहीं वही था जिसने बीएसपी के विधायकों के शामिल होते समय कहा था कि किसी को भी पद की कोई लालच नहीं दी गई है. सभी अपनी मर्जी से कांग्रेस में शामिल हुए हैं. यह शख्स इन दिनों मानेसर में 18 विधायकों के साथ है. राजनीति का तालमेल इतना बड़ा और गहरा है कि पायलट की लड़ाई देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी लड़ती हुई नजर आ रही है.

गजब की बात है, क्या ऐसा भी होता है. बिलकुल राजनीति में ही वो सब होेता है, जिसके बारे में हम कभी सोच भी नहीं पाते. अब, आगे ऐसा हुआ कि बीएसपी की तकलीफ को अपना दर्द महसूस करते हुए भाजपा विधायक मदन दिलावर विधानसभा स्पीकर के पास पहुंचे. स्पीकर ने दिलावर का दर्द ही नहीं सुना. बिना दर्द सुने दवा कर दी. इसी दवा के खिलाफ मदन दिलावर फिर से हाईकोर्ट पहुंच गए. दो याचिका लगाई और दोनों स्वीकार हो गई. कुछ देर बाद बीएसपी की ओर से भी याचिका दाखिल कर दी गई. सुनवाई शुरू हो गई है. कोर्ट सुनवाई के बाद महत्वपूर्ण फैसला भी देगा लेकिन अब नई बात सुनने में आ रही है.

पुख्ता खबर नहीं है, लेकिन आ रही है. बीएसपी ईडी के पास जाएगी. यानि केंद्र सरकार के पास सहयोग मांगने जाएगी. बीएसपी का कहना है कि उनके विधायकों को पैसा देकर खरीदा गया है, इसकी जांच होनी चाहिए. बीएसपी हाईकोर्ट भी 10 महीने बाद इसलिए ही गई है कि जो विधायकों का मर्जर हुआ है, वो असंवैधानिक है.

यह भी पढ़ें: अब चाहे 21 दिन हो या 31 जीत हमारी होगी, मेरी सरकार पूरी मजबूती से चलेगी 5 साल- सीएम गहलोत

अब यह तो कोर्ट तय करेगा कि संवैधानिक है या नहीं. लेकिन अगर मामला ईडी तक गया तो फिर केंद्र सरकार तुरंत कार्रवाई शुरू कर सकती है. जांच हो सकती है. इन 6 विधायकों से पूछताछ की जरूरत भी हो सकती है. पूछताछ के लिए ईडी को फेयरमाउंट होटल भी जाना पड़ सकता है जैसे एसओजी गई थी मानेसर. लेकिन वहां जिन दो विधायकों से पूछताछ के लिए गई थी, वो वहां मिले ही नहीं. उससे पहले हरियाणा पुलिस एसओजी का दो घंटे तक रास्ता रोके खड़ी रही. ऐसे ही ईडी भी जा सकती है 6 विधायकों से बीएसपी की शिकायत पर पूछताछ के लिए.

हे लोकतंत्र, सोचकर ही दिमाग चकरा जाता है. कैसे निष्कर्ष निकलेगा, कौन निकालेगा. बहुत पहले लोकतंत्र को परिभाषित करते हुए एक विचारक ने कहा था कि इसे जनता का शासन नहीं बल्कि जिसकी लाठी, उसकी भैंस की कहावत से समझिए.

जैसे, मानेसर में एसओजी को नहीं मिले 2
क्या, फेयरमाउंट में ईडी को नहीं मिलेंगे 6

Leave a Reply