दिल्ली में चली एक गोली ने खड़े किए सैकड़ों सवाल, हवा में घुल रहा नफरत का ‘वायरस अटैक’

आरोपी बोला- किए पर पछतावा नहीं, चाहे मेरा एनकाउंटर कर दो, कट्टरवादिता की सोच लिए इस तरह के कृत्य के पीछे नहीं किया जा सकता नेताओं की बयानबाजी होने से इनकार

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. दिल्ली में चली एक गोली ने देश में पनप रहे वर्तमान हालातों पर सैकड़ों सवाल खड़े कर दिए. गुरूवार दोपहर एक बजे घटी इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. जामिया के छात्र जो सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, इसी दौरान भीड़ में एक लड़के ने फायर कर दिया. घायल अस्पताल में है. वहीं आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. गोली मारने वाला नाबालिग है और 12वीं का स्कूली छात्र है. फायर करने से पहले वो चिल्लाया, ‘तुम्हे आजादी चाहिए ना, मैं देता हूं तुम्हे आजादी, ये लो आजादी’. पुलिस की हिरासत में उसने पुलिस से कहा कि उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं, फिर चाहे मेरा एनकाउंट कर दो. देश के एक युवा जिसने 18 सावन भी पूरे नहीं किए, उसका ऐसा कहना और हजारों की संख्या में भीड़ और हथियार से लैस पुलिस कर्मियों के सामने उसका इतना बड़ा कदम उठाना कोई छोटी मोटी घटना नहीं है. (Virus Attack)

सबसे बड़ी और खास बात ये भी रही कि जामिया मिलिया इस्लामिया से आई इस भीड़ पर रामभक्त बताए जाने वाले गोपाल नामक युवक के फायर करने के बावजूद प्रदर्शनकारियों की भीड़ में कोई घबराहट नहीं हुई और न ही कोई भगदड़ मची जबकि इस घटना के बाद उन्हें आतंकित होना चाहिए था. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. स्कूल के एक मासूम के मुंह से ऐसी बातें और उसमें इतना साहस आना समझ से परे हैं. (Virus Attack) गौर करने वाली बात ये है कि एक स्कूली छात्र के दिमाग में ऐसी बात आई भी कहां से, जबकि ये भी बताया जा रहा है कि वो इसकी तैयारी कई दिन से कर रहा था. इसके पीछे मौजूदा राजनीति के नेताओं के भड़काउ भाषणों का हाथ नहीं तो क्या हो सकता है.

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हाल में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपनी एक सभा में ‘देश के गद्दारों को…गोली मारो..’ को नारा लगवाया. इसके बाद दिल्ली सांसद प्रवेश वर्मा ने बयान दिया ‘वह आपके घरों में घुसेंगे, आपकी बहनों और बेटियों के साथ बलात्कार करेंगे, उन्हें मारेंगे. आज वक्त है. मोदी जी और अमित शाह कल आपको बचाने नहीं आएंगे’. इसके बाद वर्मा ने फिर से बयान देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवला को आतंकी बताते हुए कहा, ‘अगर अपनी बहन-बेटियों को बचाना है तो उन्होंने भगाना होगा. अगर दिल्ली में से उनकी सत्ता नहीं आई तो मादीपुर की सड़कें शाहीन बाग बन जाएंगी’. इससे पहले एक बीजेपी नेता ने कहा था कि अगर 11 फरवरी को दिल्ली में बीजेपी की सत्ता आती है तो केवल एक घंटे के अंदर शाहीन बाग खाली करा दिया जाएगा. वहीं कपिल मिश्रा ने दिल्ली चुनाव को भारत-पाकिस्तान का मैच बताया.

इस तरह के बयान इन दिनों सत्ता और घमंड से चूर राजनेताओं के मुंह से निकलते देखे गए हैं. बीजेपी नेताओं के मुंह से निकले इन बयानों के बीच अब कांग्रेस नेता धीरज गुर्जर ने बीजेपी को ही आतंकवादी संगठन बताते हुए एक बयान ट्वीटर पर शेयर किया और लिखा, ‘अब उस गोली चलाने वाले आतंकवादी संगठन बीजेपी के भगवा आतंकवादी गोपाल को दिल्ली पुलिस नाबालिग़ ठहराने के बाद मानसिक विकृत बतायेगी और फिर किसी सुधार गृह में भेज देगी. वहां से वो कुछ दिनों में आतंकवादी गोपाल निकलेगा और उसका स्वागत फूल मालाओं से किया जायेगा’. (Virus Attack) वहीं यूपी के बीजेपी विधायक ने शाहीन बाग को पिकनिक स्पॉट बताया और शर्जील इमाम जैसे लोगों को बीच चौराहे गोली मारने की बात कह दी.

इसमें कोई शक नहीं कि इस तरह के हिंसक बयान किसी भी नौजवान को बरगला सकत हैं. ये भी सच है कि नेताओं के हालिया बयानों ने देश में कट्टरतावाद इतना भर दिया है कि जाने अनजाने में कोई भी जवान खून खुद-ब-खुद इस तरह के कृत्यों में शामिल हो सकता है. कांग्रेस और माकपा ने देश में हो रही इस तरह की घटनाओं के लिए बीजेपी नेताओं की जहरीली बयानबाजी को जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने जहरीली राजनीति और नाथूराम गोडसे की विचारधारा के साथ गोडसे फैन क्लब तैयार कर दिया है. वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी संघ के नेता ने बयान दिया, ‘जल्दी से समेट लो साहीन बाग और जामिया…गोपाल सिर्फ एक नहीं है’. बढ़ती नफरत के साथ अपराध शायद इसी का असर है. कहना गलत तो नहीं कि देश की आबोहवा में नफरत का ‘वायरस अटैक’ (Virus Attack) घुलता जा रहा है.

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इसी तरह के वायरस अटैक की चपेट में आए जामिया के हमलावर गोपाल के दिमाग में कई दिनों से इस तरह की वारदात की खुरापात चल रही थी. यह जहर इस कदर उसकी सोच और नसों में घुल गया था कि उसने गोली चलाने से पहले प्रदर्शनकारियों के बीच से फेसबुक लाइव किया और लिखा कि वह चंदन गुप्ता का बदला ले रहा था. 2018 में कासगंज में हुई झडप के दौरान चंदन की मौत हुई थी. हालांकि चंदन और गोपाल के बीच न कोई रिश्ता है और न कोई जानकारी. गोपाल कश्मीरी पंडितों के उत्पीड़न से जुड़ी पोस्ट सोशल मीडिया पर पढ़ता था और उससे भी आहत था. यह कट्टरपंथी नहीं तो क्या है.

हमलावर गोपाल के बारे में बताया जा रहा है कि वह खुद भी एक राम भक्त है और हिंदूवादी संगठन से जुड़ा हुआ है. गोपाल अखाड़े में कुश्ती लड़ने भी जाता रहा है और लगातार रामलीला में हिस्सेदार रहा है. गोपाल के पिता यूपी के जेवर में पान की दुकान करते हैं. उसके घर में उसी दिन शादी समारोह था जिस दिन वह दिल्ली पहुंचा था. वह स्कूल जाने की बात कहकर घर से निकला और स्कूल जाने की जगह दिल्ली पहुंच घटना को अंजाम दिया. 16-17 साल के युवक के पास हथियार होना और उसे बेखौफ होकर चला देना किसी दिलेरी से कम नहीं है. कट्टरवादिता से ओत प्रोत होकर इस तरह का कदम उठाने के पीछे किस विचारधारा का हाथ हो सकता है, शायद अब इसे बताने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए.

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