नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल के सामने 87 उम्मीदवारों ने ठोकी ताल, बीजेपी की सूची में एक भी चेहरा नहीं मुख्यमंत्री पद का दावेदार

पिछले पांच सालों में मुख्यमंत्री पद के लिए मनोज तिवारी, विजय गोयल, गौतम गंभीर, मिनाक्षी लेखी और डॉ हर्षवर्धन का नाम रहा चर्चा में, केजरी को 6 घण्टे से ऊपर खड़ा रहना पड़ा नामांकन की लाइन में, बीजेपी पर लगाया छिछोली राजनीति का आरोप

पाॅलिटाॅक्स ब्यूरो. दिल्ली विधानसभा के लिए आप, बीजेपी और कांग्रेस सहित अन्य दलों के सभी प्रत्याशियों की घोषणा और नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई है. 70 सीटों पर होने वाले इन चुनावों में इस बार आम आदमी पार्टी (आप) अपना मुकाबला सीधे बीजेपी से मानकर चल रही है और कांग्रेस को चुनावी दौड से बाहर मान कर चल रही है. यानि आप का मनाना है कि उनका मुकाबला सीधा बीजेपी से होने जा रहा है. लेकिन एक तरफ आम आदमी पार्टी के नेता यह तो कह रहे हैं कि इन चुनावों में उनकी सीधी टक्कर बीजेपी से है, वहीं पीएम नरेन्द्र मोदी का नाम नहीं लेकर सावधानी भी बरत रहे हैं.

खैर, बात करें मुख्यमंत्री के चेहरे की तो भाजपा यहां 70 में से 67 सीटों पर चुनााव लड रही है जबकि 3 सीटों उसने अपने सहयोगी जदयू (दो) और एलजेपी (एक) के लिए छोड़ दी है. भाजपा की ओर से घोषित 67 प्रत्याशियों ने राजनीतिक विशेषज्ञों को चौंका दिया है. इस सूची में एक भी वो नाम नहीं है, जो पिछले पांच सालों में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में चर्चा में नहीं रहा हो. यानि जितने भी चेहरे अरविंद केजरीवाल के सामने मुख्यमंत्री के रूप में चर्चा में रहे, उनमें से एक भी चेहरा भाजपा प्रत्याशियों की इस सूची में नहीं है.

सबसे अहम बात यह है कि दिल्ली में चुनाव से पहले बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद के सबसे बडे दावेदार बने भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार और दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का खुद का नाम इस 67 प्रत्याशियों की सूची में नहीं है. मनोज तिवारी के साथ-साथ मुख्यमंत्री पद की सुर्खियों में रहे विजय गोयल, हर्षवर्धन, गौतम गंभीर, मिनाक्षी लेखी या फिर कोई और चेहरा जो अपने आपको मुख्यमंत्री पद के दावे दार के रूप में प्रस्तुत कर रहा था, उनमें से एक का भी नाम भाजपा की इस सूची में नहीं है.

यह भी पढ़ें: सियासत के खेल भी अजब हैं, दोस्ती भी बदल जाती है सत्ता की जंग में

अब जब पूरा चुनाव आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नाम पर केंद्रीत हो गया है, ऐसे में दिल्ली एमसीडी चुनाव और फिर लोकसभा में दिल्ली की सातों सीटें जीतने वाली भाजपा शायद केजरीवाल के खिलाफ बहुत मजूबत रणनीति के साथ नहीं उतर पा रही है. पूरे चुनाव का सबसे बडा चेहरा बने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भाजपा ने सुनील यादव के रूप में एक ऐसा प्रत्याशी उतारा है जो एमसीडी चुनाव के दौरान पार्षद का चुनाव ही हार गया था.

चुनाव का दिलचस्प पहलू यह है कि भाजपा से सीएम पद के लगभग सभी चेहरे लोकसभा या राज्यसभा के सांसद है. कुछ समय पहले मनोज तिवारी ने इस बात के संकेत दिए थे कि कई सांसद भी विधानसभा का चुनाव लड सकते हैं, लेकिन जब सूूची आई तो ऐसा कुछ नहीं दिखा. अब केजरीवाल सहित आप के नेता बीजेपी से पूछ रहे हैं, बताओ कौन है, आपकी बारात का दूल्हा, इस पर भाजपा नेताओं से जवाब देते नहीं बन रहा.

टिकट घोषणा के बाद मनोज तिवारी ने कहा कि भाजपा नरेंद्र मोदी के नाम पर दिल्ली में चुनाव लडेगी. वहीं केजरीवाल कह चुके हैं की, ‘भाजपा दिल्ली विधानसभा के लिए अपना मुख्यमंत्री चेहरे को जनता के सामने लाएं. दिल्ली की जनता ने केंद्र सरकार की जिम्मेदारी मोदी को दी है, वहीं दिल्ली विधानसभा की जिम्मेदारी केजरीवाल को दी है.’ केजरीवाल अब पूरे चुनाव को अरविंद केजरीवाल v/s कौन? के तौर पर लडने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: दिल्ली के बहाने बिहार की गणित सेट की बीजेपी और कांग्रेस ने, बुराड़ी सीट पर बिहार विधानसभा चुनाव की होगी ट्रायल

दिल्ली चुनाव का दूसरा दिलचस्प पहलू यह है कि नई दिल्ली सीट पर सर्वाधिक 88 लोगों ने नामांकन भरा है. इस सीट पर आप से केजरीवाल, कांग्रेस से रोमेश सभरवाल और बीजेपी से सुनील यादव के अलावा 85 अन्य व निर्दलीयों ने अपनी ताल ठोकी है. यहां तक कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब मंगलवार को अपना नामांकन भरने गए तो नई दिल्ली सीट से उनसे पहले 44 लोग निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन दाखिल करने के लिए लाइन में खडे थे, इस वजह से उन्हें 45 नंबर का टोकन मिला. इसके चलते मुख्यमंत्री केजरीवाल को छह घंटे लाइन में खडा रहना पडा. आम आदमी पार्टी ने इसके लिए बीजेपी पर आरोप लगाते हुए इसे बीजेपी की छिछोली राजनीति बताया है. नामांकन प्रक्रिया के बाद आप के नेताओं ने कहा कि दिल्ली चुनाव जीतने के लिए भाजपा की छिछली राजनीति सामने आ रही है, लेकिन इससे कुछ होने वाला नहीं है.