क्या विधायकों के रक्षा सूत्र से बचेगी गहलोत की सियासत?

रक्षा बंधन का पर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने जैसलमेर के अभेद किले में ठहरे उनके समर्थक विधायकों के साथ मनाने का फैसला करके साफ संकेत दे दिया है कि राजनीति की इस आर-पार की लड़ाई में वो कोई भी मौका या समय की चूक नहीं करेंगे

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Politalks.News/Rajasthan. देश की आजादी के बाद के राजनीतिक इतिहास का यह पहला मौका होगा, जब एक राज्य सरकार, अपने ही राज्य के एक शहर में सुनसान स्थान पर बने किले रूपी होटल में रक्षा बंधन का पर्व मनाएगी. सरकार यानि मुख्यमंत्री, केबिनेट मंत्री और विधायक, गहलोत सरकार पर मंडराए सियासी संकट के बीच यह पहली मर्तबा होगा, जब सभी एक दूसरे की कलाई पर रक्षा का सूत्र बांधकर वचन मांगेगे.

वचन वहीं होगा, जो पपौराणिक और एतिहासिक घटनाक्रमों में मांगा जाता रहा है, एक दूसरे की रक्षा का वचन. गहलोत सरकार के लिए यह राखी किसी वरदान से कम नहीं लगती. बहुमत के संख्या बल में मजबूत चल रहे गहलोत जानते हैं कि एक-दो भी इधर से उधर हो गए तो सरकार का जाना तय है.

राजनीतिक तराजू में दोनों पलड़े आस-पास ही है. ऐसे में रक्षा बंधन का पर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने जैसलमेर के अभेद किले में ठहरे उनके समर्थक विधायकों के साथ मनाने का फैसला करके साफ संकेत दे दिया है कि राजनीति की इस आर-पार की लड़ाई में वो कोई भी मौका या समय की चूक नहीं करेंगे.

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गहलोत सरकार समर्थक सारे विधायक एक साथ होंगे, लेकिन रक्षा बंधन के इस पर्व पर उनका परिवार साथ नहीं होगा. पहले राज्यसभा चुनाव के दौरान 12 दिन और फिर अब राज्य के सियासी घमासान के दौरान लगभग 23 दिन से होटल में बंद विधायकोें के लिए राखी का यह त्योंहार बहुत ही अनोखी यादें सजाएगा.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रणनीतिकार रक्षा के सूत्र का उपयोग रिश्तों को निभाने के लिए करेंगे. वचनों का आदान-प्रदान होेगा. 14 अगस्त से शुर होने वेक विधानसभा सत्र के दौरान आज दिया गया एक-एक विधायक का वचन और उसका रक्षा सूत्र गहलोत सरकार का भविष्य तय करेगा.

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