राहुल गांधी का टीशर्ट पहनना एक संयोग या प्रयोग, कुछ भी हो काम कर गया! बीजेपी को भी दिया मैसेज

राहुल गांधी से ज्यादा लाइमलाइट में रही उनकी टीशर्ट ने बदली राहुल गांधी की नॉन सीरियस नेता वाली छवि, टीशर्ट ने विपक्ष, आमजन के साथ मीडिया को भी खींचा अपनी तरफ, फ्रंट फुट पर खेलते हुए अब टीशर्ट को ही बनाया बीजेपी के खिलाफ हथियार, संयोग था या प्रयोग हुआ सफल!

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RahulGandhiTShirt. सात सितंबर को सबसे पहले जब भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से शुरू हुई थी, बीजेपी ने अपनी आदत के अनुसार राहुल गांधी पर हमला बोला. जिस मुद्दे पर पहला हमला किया गया, वो थी राहुल गांधी की सफेद रंग की हाफ बाजू टीशर्ट. इस बात को तीन महीने से अधिक का समय हो चुका है लेकिन राहुल गांधी ने इस टीशर्ट को नहीं बदला. भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी से ज्यादा उनकी ये टीशर्ट लाइमलाइट में रही. दक्षिण भारत तक तो ठीक था लेकिन जैसे जैसे भारत जोड़ो यात्रा उत्तर भारत में बढ़ी, सर्दी का मौसम और सर्दी वाले प्रदेश बढ़ते गए. ऐसे में कड़ाके की ठंड में जहां सभी कांग्रेस नेता जैकेट और मफलर में नजर आए, वहीं राहुल गांधी इसी टीशर्ट में दिखे. यहीं से चर्चा शुरू हो गई. इस बात पर बीजेपी ने हमला किया तो मीडिया भी इस राज को जानने में जुट गई कि इतनी ठंड में भी वे सिर्फ हाफ टीशर्ट में कैसे यात्रा कर रहे हैं. अब ये टीशर्ट पहनना एक संयोग रहा या प्रयोग लेकिन राहुल गांधी ने अपने इस संयोग/प्रयोग से जहां मीडिया सहित आम आदमी का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब हुए वहीं बीजेपी को एक पॉलिटिकल मैसेज भी पास कर दिया.

दरअसल, राहुल गांधी पर पिछले कई सालों में बीजेपी और भाजपा की आईटी सेल आरोप लगाते रहे हैं कि वे एक नॉन सीरियस नेता हैं. राहुल के रहन सहन, लोगों से मिलने के तरीके, उनके भाषण और उनके विदेश के दौरे पर भी निशाने साधे जाते रहे हैं. इस बात में भी कोई गफलत नहीं है कि बीजेपी ने उनकी इमेज को धूमिल करने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया है. बीजेपी की मीडिया टीम द्वारा राहुल गांधी से जुड़े कई वायरल वीडियो इस बात के सबूत हैं. लेकिन जब से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत हुई है, तब से उनकी छवि में बदलाव देखा जा रहा है.

केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे दक्षिण के राज्यों में तो समर्थन की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी यात्रा में जमकर भीड़ आई. राहुल गांधी इन सभी जगह सफेद हाफ टीशर्ट में ही दिखाई दिए. सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक राहुल गांधी और उनकी टीशर्ट की खूब चर्चाएं होने लगीं.

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बता दें, दक्षिण से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा में बीजेपी ने जिस मुद्दे पर सबसे पहले हमला बोला, उसमें राहुल की टीशर्ट भी शामिल थी. व्हाइट हाफ टीशर्ट पर निशाना साधते हुए बीजेपी ने एक तस्वीर ट्वीट की. इसमें एक ओर राहुल गांधी हाफ टीशर्ट पहने हुए थे, तो दूसरी ओर उस टीशर्ट का कथित दाम लिखा हुआ था. बीजेपी ने दावा किया कि यह टीशर्ट 41,257 रुपए की है. इसके बाद यह भी हो सकता था कि विवाद खत्म करने के लिए राहुल ने टीशर्ट बदल देते, लेकिन कांग्रेस पूरे मुद्दे पर हावी रही और बीजेपी पर जवाबी हमला बोलती रही. इस दौरान कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी के दस लाख रुपए के सूट और गृहमंत्री अमित शाह के छह लाख रुपए के मफलर का जिक्र करते हुए उल्टा बीजेपी को ही घेरने की कोशिश की. नतीजा यह निकला कि हमलावर हो रही बीजेपी बैकफुट पर लौट गई और कुछ दिनों तक राहुल गांधी या भारत जोड़ो यात्रा पर बयानबाजी से बचती रही.

इस तरह टीशर्ट के जरिए से राहुल गांधी ने बीजेपी को मैसेज भी देने की कोशिश की है कि वे बीजेपी के हमलों से वे बैकफुट पर नहीं जाने वाले और फ्रंटफुट पर खेलते हुए टीशर्ट को ही एक हथियार बना लेंगे. यह आदत कुछ कुछ पीएम मोदी से मिलती जुलती है. नरेंद्र मोदी भी अपने उपर हुए वार को हथियार बनाकर विरोधी पर उसे ही इस्तेमाल करते हैं. कुछ यही अंदाज राहुल गांधी ने भी इस टीशर्ट के जरिए किया और इसी को ही हथियार बनाकर मीडिया लाइमलाइट में आ गए.

याद दिला दें कि लालकिले के भाषण में टीशर्ट को किसानों से कनेक्ट करते हुए भी राहुल गांधी ने बीजेपी को जमकर घेरा. यहां तक की पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी समेत कइयों की समाधि स्थल का दौरा करने के दौरान भी राहुल गांधी इसी सफेद रंग की हाफ टीशर्ट में नजर आए. वाजपेयी जी की समाधि स्थल का दौरा करके राहुल ने संदेश दिया कि उनके मन में सभी के लिए सम्मान है, फिर भले किसी वे किसी अन्य विचारधारा से क्यों न हों. जानकारों का मानना है कि राहुल ने अपनी एक मजबूत इंसान की छवि दिखाने की भी कोशिश की है.

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पिछले दो दशकों से प्राय: यह देखा जा रहा है कि जब भी चुनाव आते हैं, तब बीजेपी राहुल बनाम पीएम मोदी करने की कोशिश करती है और इसमें बीजेपी को सफलता भी मिली है. एक के बाद एक चुनावी हार की वजह से राहुल की पॉलिटिकल इमेज को भी डेंट लगा, जिसे अब वे यात्रा के जरिए बदलने की कोशिश में हैं. यात्रा के दौरान वे खुद को बेहद ही सिंपल रख रहे हैं. रात को कंटेनर में रुकना, एक ही कलर की टीशर्ट पहनना और हजारों किलोमीटर की यात्रा करना, इन सबके जरिए राहुल खुद की छवि को एक परिपक्व राजनीतिज्ञ के तौर पर भी स्थापित करने का प्रयत्न कर रहे हैं.

इसी टीशर्ट में राहुल गांधी ने आरएसएस और बीजेपी के सबसे मजबूत एवं कामयाब अस्त्र हिन्दुत्व को भी अपनाकर एक तपस्वी की छवि को भी धारण करने की कोशिश की. कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत, वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद सहित कई नेता भी राहुल को तपस्वी बता चुके हैं. हाल ही में खुर्शीद ने बयान दिया, जिसमें टीशर्ट का भी जिक्र आया. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी एक सुपरह्यूमन हैं. जब हम सब ठंड महसूस कर रहे हैं तो वह यात्रा में सिर्फ टीशर्ट पहन रहे हैं. वे एक योगी की तरह हैं, जो पूरे फोकस के साथ अपनी तपस्या कर रहे हैं.

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अब जब भारत जोड़ो यात्रा अपने आधे से ज्यादा का सफर तय कर चुकी है, तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि राहुल गांधी की टीशर्ट काफी लाइमलाइट में रह रही है, जिससे आखिरकार उन्हें ही फायदा हो रहा है. मीडिया, सोशल मीडिया में जब भी टीशर्ट पर चर्चा होती है तो उस दौरान यात्रा और राहुल गांधी का भी जिक्र होता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि यात्रा से पहले भले ही राहुल गांधी के लिए टीशर्ट एक संयोग रही हो, लेकिन अब हर ओर चर्चा मिलने के बाद यह प्रयोग में बदल गई है.

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो कांग्रेस को एकजुट करने में जितनी भूमिका भारत जोड़ो यात्रा की रही है, उतनी ही भूमिका राहुल गांधी की टीशर्ट ने भी निभाई है. ऐसे में इतनी लाइम लाइट में आने के बाद संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में भी यात्रा के दौरान राहुल इसी टीशर्ट में नजर आएंगे और मीडिया अब भी यही जानने की कोशिश करेगी कि आखिर राहुल गांधी इसी टीशर्ट में रहकर क्या संदेश देना चाह रहे हैं.

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