वाकई कोरोना की दहशत या राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से डर गई है मोदी सरकार?

भारत जोड़ो यात्रा ने किया राहुल गांधी की छवि को बदलने का काम, अब पहले से अधिक परिपक्व हो रहे हैं राहुल, वहीं 9 राज्यों से निकल कर दिल्ली पहुंची राहुल की यात्रा में हर राज्य में पिछले से ज्यादा उमड़ा जन सैलाब, गरीब, मजदूर, किसान, युवा से सीधे जुड़ रहे राहुल से, वहीं चीन में कोरोना की बढ़ती दहशत, लेकिन भारत में खतरा ना के बराबर, क्या विदेशी फ्लाइट्स से ज्यादा जरूरी है राहुल की यात्रा को रोकना?

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Modi Government scared of Rahul Gandhi’s Yatra. एक वक्त था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जैसे राजनीति के दिग्गजों ने राहुल गांधी को ‘पप्पू‘ कहकर पुकारा, यही नहीं उसके बाद सोशल मीडिया की शक्ति से मोदी और बीजेपी भक्ति में डूबे भक्तों ने भी राहुल गांधी को उसी नजर से देखा. तो वहीं केंद्र में लगातार दो लोकसभा चुनावों में बुरी तरह मिली हार भी राहुल गांधी की इस छवि की बड़ी वहज बनी. लेकिन अब राहुल गांधी ने आगामी लोकसभा चुनावों से डेढ़ साल पहले कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा (जो की अभी दिल्ली में पहुंची है और कुछ दिनों के ब्रेक के बाद 3 जनवरी से फिर शुरू होगी) निकाल एक इतिहास रचने जा रहे हैं और अपने इस कदम को राहुल ने देश को जोड़ने एवं संविधान बचाने का नाम दिया.

हालांकि शुरूआत में बीजेपी ने इस यात्रा को न सिर्फ नजरअंदाज किया, बल्कि नॉर्थ में पहुंचने से पहले ही इस यात्रा के फ्लॉप होने के बड़े बड़े दावे भी किए. लेकिन कन्याकुमारी से दिल्ली तक 10 राज्यों से निकली राहुल गांधी की भारत जोड़ो जैसे जैसे आगे बढ़ रही है, यात्रा का कारवां और उमड़ता जनसैलाब हर राज्य का रिकॉर्ड तोड़ रहा है. इसके साथ ही जिस तरह राहुल गांधी ग्रामीण स्तर तक लोगों से मिल रहे हैं और यात्रा को किसान, जवान, युवा, उद्यमी, महिला, बच्चे, बूढ़े आदि की भीड़ का जन समर्थन मिला, लगता है कि बीजेपी के आलाकमान तक भी इस यात्रा का शोर सुनाई दे दिया है. ऐसे में राहुल की यात्रा को मिल रही मामूली मीडिया कवरेज भी अब बीजेपी के गले नहीं उतर रही है. शायद यही वजह है कि कोरोना की धमक के बहाने राहुल गांधी की यात्रा को धमकाने की कोशिश की गई है.

हालांकि ये सच है कि चीन में कोविड-19 का फिर से कोहराम मचा है. भारत में भी इसकी हलचल स्वाभाविक है. चूंकि राहुल गांधी की यात्रा में हजारों लाखों की संख्या में लोग जमा हो रहे हैं, ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राहुल गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक चिट्ठी भेजकर भारत जोड़ो यात्रा रोक देने की सलाह दी है. अब गौर करने वाली बात ये है कि इस पत्र के लिखे जाने तक सरकार ने कोरोना को लेकर कोई भी एडवाइजरी जारी नहीं की थी. गुरुवार को एडवाइजरी जारी भी हुई लेकिन उसने कोरोना से सतर्कता बरतने को लेकर जो सुझाव दिए गए हैं, वो केवल सेनेटाइजर का इस्तेमाल और मास्क लगाने को लेकर है. भीड़ जुटने या जुटाने से लेकर ऐसा कुछ भी एडवाइजरी में नहीं है. ऐसे में मोदी सरकार की इस चिट्ठी से जान की चिंता कम जबकि राजनीतिक गंध ज्यादा आ रही है.

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एक तरफ WHO सहित तमाम विश्व स्तरीय स्वास्थ्य संगठन के साथ खुद पीएम मोदी ने भी यह कहा है कि भारत में 98% लोगों की इम्यूनिटी पावर बाकी देशों से कई गुना बेहतर है और यहां कोरोना से पहले जैसा खतरा अब नहीं है. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री मांडविया का राहुल गांधी को चिट्ठी लिखकर यात्रा रोकने की सलाह देना थोड़ा सा अचरज पैदा करता है. यही नहीं चिट्ठी में स्वास्थ्य मंत्री ने लिखा, ‘किसी खास परिवार के लिए सबको खतरे में नहीं डाला जा सकता है. मैं तो सिर्फ स्वास्थ्य मंत्री होने का कर्तव्य निभा रहा हूं. अगर कोई ऐसा सोचता है कि मैं उनसे सवाल कैसे कर सकता हूं तो ये मेरे काम में बाधा डालने जैसा है.’ अब एक बार मान भी लिया जाए कि माननीय स्वास्थ्य मंत्री को लोगों की चिंता है और उन्हें लोगों की भीड़ जुटने में जान का खतरा नजर आता है, तो राजस्थान में सभी 32 जिलों और 200 विधानसभाओं में पहले निकाली गईं जन आक्रोश रैलियां और अब आयोजित की जा रहीं जन आक्रोश सभाएं उनसे कैसे छिपी रह गईं.

यहां तक कि खुद राजस्थान के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि, ‘मुझे या राजस्थान बीजेपी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से अभी तक कोई पत्र नहीं आया है. जब राज्य या केंद्र सरकार कोविड की एडवाइजरी जारी करेगी तो देखेंगे. जनाक्रोश रैली जारी रहेगी.’ आपको बता दें कि भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में एंट्री लेने से पहले से ही जनाक्रोश यात्राएं निकालना शुरू हो गई थी जिसमें प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में भीड़ जमा हो रही है.

अब बीजेपी के नेता जहां एक ओर सैकड़ों की भीड़ को कोविड फैलने की वजह नहीं मानते हैं और स्वास्थ्य मंत्री को भारत जोड़ो यात्रा में जान का खतरा दिखाई देता है. वो भी तब, जब 5 दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद त्रिपुरा में लाखों की भीड़ को संबोधित करके लौटे हैं. बात ये भी गौर करने लायक है कि चीन में कोरोना की फिर से दस्तक देने के बावजूद देश की हवाई सीमाओं को अभी तक बंद नहीं किया गया है, ट्रेनों, बसों में कोई पाबंदी लगाई गया और न ही इससे संबंधित कोई एडवाइजरी जारी हुई है.

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यहां आपको याद दिला दें कि कोरोना की दूसरी जानलेवा और सबसे खतरनाक लहर के दौरान, जबकि तब तक न तो भारत की जनता को वैक्सीन लगी हुई थी और न कोरोना को लेकर आज जैसी जागरुकता ही थी, तब पश्चिम बंगाल को हर हाल में जीतने के लिए कोरोना गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाते हुए अनगिनत रैलियां पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा सहित तमाम बीजेपी नेताओं द्वारा की गई थीं और इस बीच में जब राहुल गांधी ने सर्व सामान्य को संदेश जारी करते हुए कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए सभी बचुनावी रैलियां खत्म करने का ऐलान किया था तो बीजेपी के सभी बड़े नेताओं ने उनका मजाक बनाते हुए उनके इस सुझाव को हवा में उड़ा दिया था.

खैर, अब सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर केंद्र को अचानक से यह सब नाटक करने की क्या आन पड़ी? दरअसल, राजस्थान में जारी राहुल की यात्रा के दौरान यहीं के तीन सांसदों जिनमें पीपी चौधरी पाली, देवजी पटेल जालौर-सिरोही और निहाल चंद श्रीगंगानगर से बीजेपी सांसद हैं, ने पत्र लिखकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से राहुल गांधी की यात्रा को रोकने के लिए पत्र लिखा और मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने भी ने भी उन्ही की भाषा को अपने लेटर हेड पर टाइप करके राहुल गांधी और सीएम गहलोत को भेज दिया, मजे की बात यह कि जब मोदी सरकार का पत्र मिला तब तक भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान से निकलकर हरियाणा पहुंच चुकी थी, अब इसे बकौल सीएम गहलोत एक मजाक से ज्यादा कुछ नहीं समझा जा सकता है.

चूंकि ये बात सर्व विदित है कि राहुल गांधी की ये यात्रा कर्नाटक, राजस्थान और मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में तो कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम करेगी ही, लेकिन इस यात्रा का असली मकसद आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए रखा गया है. वहीं जिस जम्मू कश्मीर में बीजेपी किसी भी हाल में सत्ता प्राप्त करने का सपना देख रही है, अगर राहुल ने अपने वादे के मुताबिक 26 जनवरी को कश्मीर के लाल चौक में तिरंगा फहरा दिया तो जम्मू कश्मीर में नए सिरे से कांग्रेस का उदय होना तय है. वहीं यात्रा में आम आदमी का राहुल गांधी से बढ़ता जुड़ाव वही बीजेपी के लिए चिंता का विषय बन गया है. ऐसे में पाठक खुद ज्यादा समझदार है कि राहुल गांधी की इस यात्रा को रोकने के लिए कोरोना से ज्यादा अच्छा और कोई ऑप्शन हो सकता था क्या.

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खैर, इसमें भी कोई दो राय नहीं कि जब राहुल गांधी इतनी बड़ी यात्रा निकाल रहे हैं तो कोरोना से सावधानी तो कांग्रेस को बरतनी ही चाहिए. प्रोटोकॉल एडवाइजरी एवं सुरक्षा भी यात्रा में रखनी चाहिए. इस बारे में जो सरकार की हिदायतें हैं, उनका सौ प्रतिशत पालन इस यात्रा में भी होना ही चाहिए और कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के शुक्रवार को दिए बयान के मुताबिक भारत जोड़ो यात्रा में सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कोविड प्रोटोकॉल की अकरक्ष पालना करने के निर्देश दे दिए गए हैं. लेकिन स्वास्थ्य मंत्री द्वारा चिट्ठी लिखकर यात्रा रोकने की सलाह देना यहां बिना किसी कारण यात्रा रोकने की एक तरह से धमकी देना प्रतीत होता है, जो बीजेपी की बौखलाहट को बयां करता है.

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