Politalks.News/Maharashtra. महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद मचे सियासी बवाल में फिलहाल कुछ कमी आती नजर नहीं आ रही है. महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत के बाद उद्धव ठाकरे का गुट और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गुट असली शिवसेना को लेकर लड़ रहा है. शिवसेना के 40 से अधिक विधायकों को अपने पाले में करने के बाद शिंदे ने शिवसेना पर दावेदारी को लेकर मुकदमा कर दिया है. यह विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. वहीं उद्धव ठाकरे गुट आगामी एमएलसी चुनाव को लेकर पूरी तरह एक्टिव हो गई है. यही कारण है कि उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को महाराष्ट्र में मराठा संगठन संभाजी ब्रिगेड के साथ पार्टी के गठबंधन की घोषणा की. एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद ठाकरे गुट की ओर से ये बड़ा घटनाक्रम सामने आया है. वहीं गठबंधन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए ठाकरे ने कहा कि, ‘मुझे दमदार सहयोगी मिला है और वह चुनाव में भी कंधे से कंधा मिलाकर काम करना चाहता है, तो क्यों नहीं?’
शुक्रवार को संभाजी ब्रिगेड के अध्यक्ष मनोज साखरे, मुख्य प्रवक्ता गंगाधर बनबरे ने ‘मातोश्री’ आवास पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. इस मौके पर शिवसेना नेता सुभाष देसाई भी मौजूद रहे. संभाजी ब्रिगेड के नेताओं ने बताया कि, ‘शिवसेना और संभाजी ब्रिगेड को मिलकर आगे बढ़ना चाहिए और इसके बाद महाराष्ट्र में संयुक्त सभाएं ली जाएं. यही नहीं संभाजी ब्रिगेड ने किसानों, आदिवासियों, महिलाओं और छात्रों के लिए मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की. शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने संभाजी ब्रिगेड के न्योते को स्वीकार कर लिया. इस बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि, ‘हम संभाजी ब्रिगेड के लड़ाके साथियों का स्वागत और अभिनंदन करते हैं. हम सब शिवप्रेमी हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज हमारे देवता हैं. हिंदुत्व और महाराष्ट्र को लेकर हमारी भूमिका रोखठोक है इसलिए हम एक साथ आए हैं.’
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अपने तल्ख़ अंदाज में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि, ‘महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश में क्षेत्रीय अस्मिता को कुचलने, क्षेत्रीय एवं अन्य दलों को खत्म करने को ही लोकतंत्र कहने वाले कुछ लोग अब बेतुकी बातें और हरकत करने लगे हैं. ऐसे में कई लोग खुद मेरे पास आ रहे हैं और कह रहे हैं कि अब हमें संविधान को बचाने के लिए व क्षेत्रीय अस्मिता को बनाए रखने के लिए एकजुट होना होगा. इसके तहत शिवसेना और संभाजी ब्रिगेड का गठबंधन किया गया है. हम इतिहास बनाएंगे और भूमिपुत्रों के प्रति द्वेष रखने वाले दो मुंहे सापों को दफन कर देंगे.’
पत्रकारों से बात करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि, ‘मुझे यकीन है कि यह गठबंधन सिर्फ चुनावों को ध्यान में रखकर नहीं किया गया है. अगर चुनाव को ध्यान में रखकर युति की गई होती तो आप इस समय नहीं आते. हम सत्ता में थे और आगे सत्ता आनी तय है लेकिन जब कुछ नहीं है तो आप शिवसेना के साथ आए हैं. लड़ते समय जो साथ आते हैं, उनका साथ महत्वपूर्ण होता है.’
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वहीं जब पत्रकारों ने उद्धव ठाकरे से सवाल पुछा कि क्या आप चुनाव में भी कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे?’ तो उद्धव ने कहा कि, ‘विचारों को मजबूत करना है तो वैचारिक गठबंधन सिर्फ सड़कों पर उतरना और नारे लगाना नहीं है. जिन विचारों को लेकर हमने भाजपा के साथ युति की थी, वह किस तरह बहती गई, वह आप जानते हैं. मुझे दमदार सहयोगी मिला है और वह चुनाव में भी कंधे से कंधा मिलाकर काम करना चाहता है, तो क्यों नहीं?’
पत्रकारों ने उद्धव ठाकरे से सवाल पुछा कि ‘क्या संघ की विचारधारा पर चल रही भाजपा?’ इस सवाल का जवाब देते हुए ठाकरे ने कहा कि, ‘हमने हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर 25 से 30 साल तक भाजपा के साथ गठबंधन किया. जहां तक संघ का सवाल है, क्या आपको लगता है कि भाजपा उनकी विचारधारा को लेकर आगे बढ़ रही है? संघ उनकी मातृ संस्था है और यदि वे उनकी विचारधारा को स्वीकार नहीं करते तो यह सवाल मुझसे नहीं उनसे पूछा जाना चाहिए कि क्या संघ की विचारधारा भाजपा को स्वीकार्य है? यदि हां, तो क्या वे वैसा व्यवहार करते हैं? भागवत ने पिछले दो-चार वर्षों में विचार व्यक्त किए उसके अनुसार भाजपा काम कर रही है.’
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उद्धव ठाकरे ने साफतौर पर कहा कि, ‘मुख्यमंत्री चाहे कोई भी हो, उनका संदेश तंत्र मजबूत होना चाहिए. बीच में केंद्र ने निर्णय लिया कि सब कुछ ठेका पद्धति के आधार पर किया जाए. मैंने उनसे कहा फिर क्यों न प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भी ठेका पद्धति पर नियुक्त किया जाए?’ इस दौरान उद्धव ठाकरे ने बड़ा एलान करते हुए कहा कि, ‘दशहरा के आस-पास मैं पूरे महाराष्ट्र का दौरा करूंगा और लोगों से बातचीत करूंगा.’ सत्ता संघर्ष के मामले में उन्होंने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. हम न्याय के देवता पर विश्वास करते हैं. यह शिवसेना के भविष्य का नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक निर्णय होगा जो तय करेगा कि इस देश में लोकतंत्र रहेगा या तानाशाही.’ वहीं कांग्रेस के साथ सरकार चलाने से जुड़े सवाल पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि, ‘जो कुछ हुआ वो अगर नहीं हुआ होता तो हम सफलतापूर्वक पांच साल तक कांग्रेस के साथ सरकार चलाकर दिखा देते. कांग्रेस की सर्वधर्म समभाव और हमारे हिंदुत्व की नीति होते हुए भी हमने सरकार चलाई.’