यूपी का असली-नकली कांड: क्या है ‘अनामिका शुक्ला’ की पहेली और क्या है पूरी कहानी, जानिए

मामले में सुप्रिया सिंह जाटव की हुई गिरफ्तारी, सामने आई असली उम्मीदवार तो प्रियंका गांधी ने की मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग, बताया भ्रष्टाचार की इंतिहा

पॉलिटॉक्स न्यूज/यूपी. बीते कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में अनामिका शुक्ला नाम की एक महिला के 25 स्कूलों में नौकरी के दावे और करोड़ों रुपये सैलेरी उठाने के मामले के बीच अब एक नया मोड़ आ गया. मामला कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में नौकरी में होने वाले फर्जीवाड़े का है. मामले में पुलिस ने पहले कासगंज से सुप्रिया सिंह जाटव और प्रयागराज में रीना को पकड़ा. मीडिया में मामले आने के बाद अब असली अनामिका शुक्ला सामने आ गई और गोंडा के बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंच अपने मूल शैक्षिक दस्तावेज दिखाते हुए दावा किया कि वो कहीं नौकरी नहीं कर रही. इसके बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने पीड़िता से माफी मांगने, सरकारी नौकरी एवं मुआवजा देने की मांग की. आखिर क्या है अनामिका शुक्ला नाम की पहेली और क्या है पूरा मामला, आइए जानते हैं पूरी कहानी…

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बात शुरु होती है साल 2017 से जब गोंडा के भुलईडीह में रहने वाली एक युवती अनामिका शुक्ला ने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्वालय (केजीबीवी) में विज्ञान शिक्षक के लिए सुलतानपुर, जौनपुर, बस्ती, मिर्जापुर और लखनऊ में आवेदन किया था. हालांकि उसने न किसी काउंसलिंग में भाग लिया और न ही नौकरी की. बीते शनिवार को बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत जब विभाग ने कार्यरत शिक्षकों का डेटाबेस बनाया तो तीन साल में इस नाम का फर्जीवाड़ा सामने आया. रिकॉर्ड अपलोड होने के बाद पता चला कि अनामिका शुक्ला नाम की शिक्षिका एक ही व्यक्तिगत विवरण के साथ 25 स्कूलों में शिक्षण कर रही है. उसे बीते 13 महीने में एक करोड़ रुपये का वेतन दिया जा चुका है. इसके बाद धरपकड़ का दौर शुरु हुआ.

पकड़ में आयी पहली अनामिका, असली नाम सुप्रिया जाटव

बीते शनिवार पुलिस की पकड़ में आई जनपद कासगंज में अनामिका, जिसका असली नाम सुप्रिया सिंह जाटव है. वो कासगंज के कस्तूरबा विद्यालय बछरांवा में अनामिका शुक्ला के नाम पर नौकरी कर रही थी. मामले सामने आने के बाद बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) ने शिक्षिका के वेतन लेने पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी किया और सुप्रिया के व्हाटसअप पर भी भेज दिया. मौके को भांपते हुए जब कथित अनामिका उर्फ सुप्रिया जाटव अपना इस्तीफा देने शनिवार को बीएसए दफ्तर के बाहर पहुंची, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजलि अग्रवाल की तहरीर पर अनामिका के खिलाफ धोखाधड़ी एवं कूटरचित अभिलेख तैयार करने के मामले में धारा 420, 467 एवं 468 में मुकदमा दर्ज किया है. इसमें 6 विद्यालयों से अनामिका शुक्ला के नाम पर 12,24,700 रुपए का भुगतान भी शामिल है.3

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पता चला गोंडा के रघुकुल विद्यापीठ में बीएससी करते वक्त सुप्रिया की मुलाकात मैनपुरी निवासी राज नाम के व्यक्ति से हुई थी. उसने सुप्रिया को एक लाख रुपए में दस्तावेज पर नौकरी लगवाने का वायदा किया और अगस्त, 2018 में इसे नियुक्ति पत्र भी दिला दिया लेकिन अनामिका शुक्ला के नाम से. चूंकि कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में संविदा पर लगने वाली नौकरी में दस्तावेज की जांच नहीं होती, केवल साक्षात्कार के दौरान ही असली अभिलेख देखे जाते हैं. ऐसे में मार्कशीट पर धुंधली फोटो होने के चलते आसानी से बछरांवा में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में बतौर विज्ञान शिक्षिका नौकरी मिल गई और सेलेरी भी आनी शुरु हो गई. शिक्षिका बनने के बाद में प्रिया ने अनामिका शुक्ला के नाम से कासगंज में खाता खुलवाया. माना जा रहा है कि सुप्रिया ने बैंक खाते में भी फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया.

फिर खुली नई परतें, कहीं श्रीमति तो कहीं कुमारी अनामिका कर रही काम

सुप्रिया से पूछताछ के बाद जब अन्य जानकारियां भी सामने आई तो इस मामले में कई और परते खुलने लगीं. पता चला कि अन्य कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में भी अनामिका शुक्ला नाम से कई शिक्षिकाएं काम कर रही हैं. उन सभी को केवल 6 स्कूलों से ही एक साल में 12 लाख से अधिक का वेतन दिया जा चुका है. इसके बाद बारी आई अन्य अनामिका शुक्ला की. सामने आया कि एक ही दस्तावेजों पर अलग अलग चेहरे नौकरी कर रहे हैं. जांच में यह तथ्य सामने आया है कि अनामिका शुक्ला के दस्तावेज का इस्तेमाल करके वाराणसी, अलीगढ़, कासगंज, अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज, सहारनपुर और अंबेडकरनगर में अन्य जगहों पर अन्य लोगों ने नौकरी हासिल की है.

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इस दस्तावेजों में कहीं अनामिका शुक्ला, कहीं श्रीमति अनामिका शुक्ला तो कहीं कुमारी अनामिका शुक्ला के नाम से नियुक्ति दी गई है. इसी कड़ी में प्रयागराज में रीना को भी पकड़ा गया है जो अनामिका शुक्ला के नाम से नौकरी कर रही थी. पुलिस अब नीतू और अमरकांत नाम की दो कथित अनामिका शुक्ला के साथ असली अनामिका शुक्ला की भी तलाश कर रही है. अन्य विद्वालयों में भी इस नाम से कार्यरत शिक्षिकाओं की जांच चल रही है.

असली अनामिका शुक्ला आई सामने, बोली- कभी नौकरी नहीं की

मामला मीडिया में आया तो मंगलवार को मामले की फिर एक परत खुल गई और असली अनामिका शुक्ला खुद ही गोंडा में बेसिक शिक्षा अधिकारी के सामने पहुंच गई और मूल शैक्षिक दस्तावेज दिखाते हुए दावा किया कि उसके जमा कराए गए दस्तावेजों का दुरुपयोग कर फर्जीवाड़ा किया गया है. उसने किसी भी जिले में नौकरी नहीं की है और वह आज भी बेरोजगार हैं.

शुक्ला ने बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. इंद्रजीत प्रजापति को अपने मूल अभिलेख दिखाते हुए कहीं भी नौकरी न करने का दावा किया है. उन्होंने कहा कि कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में विज्ञान शिक्षक के लिए सुलतानपुर, जौनपुर, बस्ती, मिर्जापुर व लखनऊ में 2017 में आवेदन किया था, लेकिन न तो काउंसिलिंग में हिस्सा लिया और न ही कहीं नौकरी ही कर रही हैं. अनामिका शुक्ला का मायका गोंडा के भुलईडीह में है और 2013 में पिता सुभाष चंद्र शुक्ल ने उनकी शादी धानेपुर के दुर्गेश शुक्ल के साथ कर दी थी. वर्तमान में वह ससुराल में रह रही हैं.

हल हुई अनामिका शुक्ला नाम की पहेली लेकिन खड़ा हुआ नया सवाल

अनामिका के सामने आने के बाद एकबारगी तो गुमनाम अनामिका शुक्ला के नाम की पहेली तो हल हो गई लेकिन एक नया सवाल सामने आकर खड़ा हो गया है. सवाल ये है कि जब अनामिका ने किसी काउंसलिंग में भाग ही नहीं लिया तो प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी बाहर कैसे पहुंची. ऐसा आवेदन भेजते समय हो सकता है. आशंका जताई जा रही है कि अनामिका शुक्ला के आवेदन के साथ लगे प्रमाण पत्रों की फोटोकॉपी का दुरूपयोग किया गया है.

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इधर, बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी का कहना है कि जांच में यह तथ्य सामने आया है कि अनामिका शुक्ला के दस्तावेज का इस्तेमाल करके वाराणसी, अलीगढ़, कासगंज, अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज, सहारनपुर और अंबेडकरनगर में अन्य जगहों पर अन्य लोगों ने नौकरी हासिल की है. हालांकि उनमें से किसी ने कहीं पर जॉइन नहीं किया, कई जगहों पर नियुक्ति लेकर काम नहीं किया. लेकिन उन्होंने अनामिका शुक्ला के दस्तावेज पर नियुक्त हुई शिक्षिकाओं को 12 लाख 24 हजार 700 रुपये का भुगतान होने की बात कही. ऐसे में ‘दाल में अभी भी कुछ काला है’ की बात से इनकार नहीं किया जा सकता.

प्रियंका गांधी ने उठाई शिक्षा विभाग पर अंगुली, नौकरी देने की मांग

कांग्रेस नेता और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने मामले को राजनीति रंग देते हुए सरकार से पीड़िता एवं उसके परिवार से माफी की मांग की है. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार और उनके शिक्षा विभाग की नाक के नीचे चल रही लूट की व्यवस्था ने एक साधारण महिला को अपना शिकार बनाया. ये चौपट राज की हद है. प्रियंका ने अनामिका को न्याय दिलाने की गुहार लगाते हुए मानहानि का मुआवजा दिलाने, सरकारी नौकरी और परिवार को सुरक्षा देने की मांग की है.

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