Karnatka Assembly Election. कर्नाटक में कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है. इन दिनों कर्नाटक की राजनीति में मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान खासतौर पर सुर्खियों में बने हुए हैं. इसी मुद्दे पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और सरकार में मंत्री सीएन अश्वथ नारायण आपस में भिड़ चुके हैं. मंत्री नारायण ने सिद्धारमैया की तुलना टीपू सुल्तान से कर दी थी जिस पर सिद्धारमैया भड़क गए थे. अब कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार कटील ने टीपू सुल्तान को लेकर विवादित बयान दिया है, जिस पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने उनके बयान पर पलटवार करते हुए कटील को चुनौती दे दी.
दरअसल, कटील ने बीते दिन को टीपू सुल्तान पर विवादित बयान देते हुए कहा कि टीपू सुल्तान से प्यार करने वाले लोगों को यहां नहीं रहना चाहिए. इस बयान पर पलटवार करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कटील को चुनौती देते हुए कहा, ‘मैं टीपू सुल्तान का नाम ले रहा हूं. देखता हूं कि आप क्या करते हैं.’ ओवैसी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शामिल करते हुए कहा कि क्या कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष ने जो कहा है, उससे पीएम सहमत हैं? यह हिंसा, हत्या और नरसंहार का खुला आह्वान है. क्या कर्नाटक में भाजपा सरकार इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी? यह नफरत है.
इससे पहले कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष नलिन कुमार कटील ने कोप्पल जिले के येलबुर्गा में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम भगवान राम और हनुमान के भक्त हैं. हम टीपू के वंशज नहीं हैं. हमने उनके वंशजों को वापस भेज दिया. मैं येलबुर्गा के लोगों से पूछता हूं, क्या आप हनुमान की पूजा करते हैं या टीपू के भजन गाते हैं? टीपू के भजन गाने वालों को भगाओगे.’
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उन्होंने आगे कहा, ‘सोचिए कि इस राज्य को टीपू के वंशज चाहिए या भगवान राम और हनुमान के भक्तों के? मैं हनुमान की भूमि पर चुनौती देता हूं. टीपू से प्यार करने वाले यहां न रहें, जो लोग भगवान राम के भजन गाते हैं और भगवान हनुमान को मनाते हैं वे यहां रहें.’ इस पर ओवैसी भड़क गए और उन्होंने कटील को चुनौती देते हुए बीजेपी पर भी निशाना साधा.
मंत्री नारायण ने सिद्धारमैया को बताया टीपू सुल्तान तो पूर्व सीएम ने बता दिया पागल
टीपू सुल्तान के मुद्दे पर ही कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया और सरकार में मंत्री सीएन अश्वथ नारायण आपस में भिड़ चुके हैं. मंत्री अश्वथ नारायण ने सिद्धारमैया और 18वीं सदी के मैसूर शासक टीपू सुल्तान के बीच तुलना की थी. इस पर सिद्धारमैया ने मंत्री नारायण को पागल बता दिया और सरकार से उन्हें गिरफ्तार करने की मांग कर दी. सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री मोदी पर भी सवाल दागते हुए पूछा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2002 (गुजरात दंगों) की तरह अब भी चुप रहेंगे.
इससे पहले शिक्षा मंत्री नारायण ने अपने एक बयान में कहा, ‘टीपू का बेटा सिद्धारमैया आएगा… क्या आप टीपू या सावरकर चाहते हैं? हमें टीपू सुल्तान को कहां भेजना चाहिए? उरी गौड़ा और नांजे गौड़ा ने क्या किया? उसी तरह उन्हें भी बाहर कर दिया जाना चाहिए और भेज दिया जाना चाहिए.’
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इसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने मंत्री सीएन अश्वथ नारायण पर लोगों को उन्हें मारने के लिए उकसाने का प्रयास करने का आरोप लगाया. इसके साथ ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से नारायण को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने और उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया. हालांकि मामले पर तूल बढ़ते देख मंत्री नारायण ने कहा कि उनका बयान व्यक्तिगत रूप से सिद्धारमैया पर निर्देशित नहीं था और अगर कांग्रेस विधायक दल के नेता को चोट लगी है तो वह खेद व्यक्त करेंगे. उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनका मतलब केवल चुनावी रूप से हराना है और कोई शारीरिक नुकसान पहुंचाना नहीं है. इस बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है.
शिक्षा मंत्री के सफाई देने के बाद हुबली में पत्रकारों से चर्चा करते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि नारायण के पास मंत्री के रूप में बने रहने का कोई व्यवसाय नहीं है. मैं राज्यपाल से उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने का अनुरोध करता हूं. सिद्धारमैया ने कहा कि मैं कोई शिकायत दर्ज नहीं करूंगा, लेकिन यह एक उपयुक्त मामला है, जिसमें पुलिस को अश्वथ नारायण के खिलाफ स्वतः कार्रवाई करनी होगी.
राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया ने मंत्री नारायण के विवादित बयान का जिक्र किया. सिद्धारमैया ने कहा, ‘उच्च शिक्षा मंत्री अश्वथ नारायण ने लोगों से अपील की है कि जिस तरह टीपू को मारा गया, उसी तरह मुझे भी मार डालो. उन्होंने कहा कि अश्वथ नारायण, तुम लोगों को भड़काने की कोशिश क्यों कर रहे हो? खुद बंदूक ले आओ.’ पूर्व मुख्यमंत्री ने इस संबंध में कई ट्वीट करते हुए खुले तौर पर लोगों को मारने की अपील करने वाले मंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया.
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पूर्व सीएम ने कहा कि इससे पता चलता है कि मुख्यमंत्री बोम्मई, गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र और उनका कैबिनेट सो रहा है और अश्वथ के साथ समझौता कर रहा है. एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि क्या गुजरात भाजपा की संस्कृति अब कर्नाटक भाजपा में भी समा गई है? सिद्धारमैया ने कहा कि यदि कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो इसका मतलब केवल यह है कि भाजपा अपील से सहमत है या उन्हें लगता है कि अश्वथ नारायण मानसिक रूप से अस्थिर हो गए हैं.