राजस्थान (Rajasthan) में सचिन पायलट (Sachin Pilot) को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष (PCC Congress President) पद से हटवाने की मुहिम अब लगता है ठंडी पड़ गई है, क्योंकि कांग्रेस हाईकमान की तरफ से इस तरह के प्रयासों को समर्थन नहीं दिया जा रहा है. सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) फिलहाल राजस्थान में पार्टी संगठन में फेरबदल करने के पक्ष में नहीं हैं. इससे नेताओं के आपसी मतभेद बढ़ सकते हैं, जिससे पार्टी को ही नुकसान होगा.

सचिन पायलट (Sachin Pilot) प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के साथ ही उप मुख्यमंत्री पद भी संभाले हुए हैं. पिछले दिनों सचिन पायलट के जन्मदिन से ठीक पहले गहलोत समर्थक मंत्री हरीश चौधरी (Harish Choudhary) ने मीडिया में एक व्यक्ति एक पद का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था कि पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का नियम लागू होना जरूरी है. हालांकि वह खुद गहलोत सरकार में मंत्री होने के साथ ही एआईसीसी सचिव होने के नाते पंजाब में कांग्रेस के प्रभारी बने हुए हैं. पायलट समर्थकों का कहना था कि जो व्यक्ति यह मुद्दा उठाता है, सबसे पहले उसे एक पद छोड़ना चाहिए.

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एक अखबार में एक कांग्रेस पदाधिकारी के हवाले से खबर छपी है कि एक व्यक्ति एक पद का मुद्दा गहलोत ने उठवाया था, क्योंकि वह सचिन पायलट (Sachin Pilot) से खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. पहले राजीव गांधी की जयंती पर और हाल ही सचिन पायलट के जन्मदिन समारोह में भी पायलट और गहलोत में दूरियां स्पष्ट हो चुकी हैं. गहलोत सोनिया गांधी के नजदीक माने जाते हैं, जबकि सचिन पायलट की राहुल गांधी से मित्रता है. राहुल गांधी ने भले ही कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया हो और सोनिया ने बागडोर संभाल ली हो, लेकिन पार्टी में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का दखल बना हुआ है, इसलिए पायलट को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाना मुश्किल प्रतीत होता है.

सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने के बाद उम्मीद थी कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का महत्व बढ़ेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है. न तो राजस्थान में सचिन पायलट का कद कम हो रहा है और न ही मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य (Jyotiraditya Scindia) के समर्थकों के बगावती तेवरों में कमी आई है. राजस्थान में कानून-व्यवस्था की स्थिति पहले ही डांवाडोल हो रही है, ऊपर से गहलोत और पायलट की खींचतान से पार्टी संगठन भी लड़खड़ा रहा है. यह स्थिति कांग्रेस के लिए विकट है.

हाल ही अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) दिल्ली गए थे, तब सोनिया गांधी ने उन्हें मुलाकात का समय नहीं दिया. गहलोत राजस्थान में 13 सितंबर को कांग्रेस (Congress) की एक वेबसाइट लांच होने के मौके पर सोनिया गांधी को आमंत्रित करना चाहते थे. वह सोनिया गांधी से समय मिलने का इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें निराश होकर जयपुर लौटना पड़ा. बताया जाता है कि सोनिया गांधी ने राजस्थान की यात्रा करने से इनकार कर दिया.

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समझा जाता है कि राजस्थान में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए गहलोत ने सोनिया के पास तीन नामों का पैनल भेजा है, जिनमें हरीश चौधरी (Harish Choudhary) का नाम भी शामिल है, जो खुद चुनाव हार गए थे. पार्टी पर भी उनकी मजबूत पकड़ नहीं है. हरीश चौधरी के अलावा लालचंद कटारिया और महेश जोशी के नाम भी पैनल में शामिल हैं. गहलोत के प्रस्ताव पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन इससे यह स्पष्ट है की गहलोत प्रदेश में पार्टी पर भी अपना नियंत्रण चाहते हैं, जो पायलट के कारण संभव नहीं हो पा रहा है. पंचायत चुनाव नजदीक हैं और उम्मीदवार तय करने में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की अहम भूमिका रहती है.

गौरतलब है कि सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री होने के बावजूद सरकार चलाने की प्रक्रिया में सक्रिय नहीं हैं. सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों में पायलट की कोई भूमिका नहीं रहती है. इसके अलावा गहलोत की तरफ से जारी होने वाले विज्ञापनों में सचिन पायलट का जिक्र नहीं होता है. इस परिस्थिति में गहलोत और पायलट की खींचतान कम होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

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