कृषि व किसान को समर्पित रहा मोदी सरकार के आर्थिक पैकेज का तीसरा चरण, जानिए किसको क्या मिला

कृषि के बुनियादी ढांचे को रफ्तार देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के वित्तपोषण की सुविधा, किसानों के जीवन स्तर को सुधारने पर होगा फोकस, माइक्रो फूड इंटरप्राइज के लिए 10 हजार करोड़ की मदद

वित्तमंत्री सीतारमण और राज्य वित्तमंत्री अनुराग ठाकुर
वित्तमंत्री सीतारमण और राज्य वित्तमंत्री अनुराग ठाकुर

पॉलिटॉक्स न्यूज. कोरोना संकट काल में अर्थव्यवस्था को पावर बूस्ट देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया गया था. शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन राहत को लेकर विस्‍तार से जानकारी दी. मीडिया से मुखातिब हुए वित्तमंत्री सीतारमण और राज्य वित्तमंत्री अनुराग ठाकुर ने आर्थिक पैकेज में किसानों और ग्रामीण भारत के लिए दी गई राहतों को लेकर जानकारी दी. वित्तमंत्री की ओर से राहत पैकेज की तीसरी किस्त में कृषि सेक्टर पर फोकस किया गया है. साथ ही इस किस्त में मछुआरों को भी जगह मिली है. वित्तमंत्री ने कृषि के बुनियादी ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है.

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केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, लॉकाडाउन के दौरान पीएम किसान फंड में 18,700 करोड़ ट्रांसफर किए गए है. PM फसल बीमा योजना के तहत 6,400 करोड़ का क्लेम पेमेंट हुआ. लॉकडाउन के दौरान 5000 करोड़ की अतिरिक्त लिक्विडिटी का लाभ किसानों को हुआ है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 8 ऐलान कृषि सेक्टर से जुड़े बुनियादी ढांचे से जुड़े हैं. कृषि के बुनियादी ढांचे को रफ्तार देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के वित्तपोषण की सुविधा दी जाएगी. कृषि अवसंरचना परियोजनाओं को इसका लाभ मिलेगा.

आइए जानते हैं राहत के तीसरे पिटारे से कौन कौन सी राहत बाहर आई है.

किसानों के लिए हुए ये ऐलान

  • किसानों की निश्चित आय, जोखिम रहित खेती और गुणवत्ता के मानकीकरण के लिए एक कानून बनाया जाएगा. इससे किसानों का उत्पीड़न रुकेगा और किसानों के जीवन में सुधार आएगा.
  • एक केंद्रीय कानून आएगा जिससे किसान अपने उत्पाद को आकर्षक मूल्य पर दूसरे राज्यों में भी बेच सकें. अभी सिर्फ लाइसेंसी को ही बेचा जा सकता है. अगर वह किसी को भी बेच सके तो उसे मनचाही कीमत मिलेगी, ऐसी सुविधा दी जाएगी.
  • आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में लागू हुआ था, अब देश में प्रचुर उत्पादन और निर्यात भी होता है इसलिए इसमें अनाज, तिलहन, प्याज, आलू आदि को इससे मुक्त किया जाएगा.
  • ऑपरेशन ग्रीन का विस्तार टमाटर, प्याज और आलू के अलावा बाकी सभी फल और सब्जियों के लिए भी किया जाएगा.
  • हर्बल पौधों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 4,000 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. इन पौधों की ग्लोबल डिमांड है. लगभग 10 लाख हेक्टेयर में हर्बल प्रोड्क्टस की खेती होगी. इससे 5,000 करोड़ की आय किसानों को होगी. गंगा के किनारे 800 हेक्टेयर भूमि पर हर्बल प्रोडक्ट्स के लिए कॉरिडोर बनाया जाएगा.
  • 53 करोड़ पशुओं के टीकाकरण की योजना जिसमें 13,343 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
  • लॉकडाउन के दौरान भी किसान काम करते रहे है. छोटे और मंझोले किसानों के पास 85 फीसदी खेती है. ऐसे में कृषि के बुनियादी ढांचे को रफ्तार देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के वित्तपोषण की सुविधा दी जाएगी, कृषि अवसंरचना परियोजनाओं को इसका लाभ मिलेगा.
  • फॉर्म गेट के तहत जिसमें कृषि से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स शामिल होंगे. इसके अलावा एग्रीग्रेटर्स जैसे प्राइमरी एग्रीकल्चर कॉआपरेटिव सोसाइटी (PACS), फॉर्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ), एग्रीकल्चर एन्टरप्रेन्योर्स और स्टार्ट अप आदि के लिए होगा.
  • फॉर्म गेट और एग्रीग्रेशन प्वाइंट के विकास को गति देने के लिए सस्ती और आर्थिक रूप से व्यवहार्य पोस्ट फसल प्रबंधन के बुनियादी ढांचे को तैयार किया जाएगा. यह फंड तुरंत उन्हें मुहैया कराया जाएगा.
  • पीएम किसान फंड में 18,700 करोड़ ट्रांसफर किए गए है. PM फसल बीमा योजना के तहत 6,400 करोड़ का क्लेम पेमेंट हुआ. लॉकडाउन के दौरान 5000 करोड़ की अतिरिक्त लिक्विडिटी का लाभ किसानों को हुआ है.

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गवर्नेंस और रिफॉर्म के सुधार

  • मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपये की सहायता. इससे मधुमक्खी पालन के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण किया जाएगा. इससे 2 लाख पालकों की आय बढ़ेगी.
  • एनिमल हसबैंड्री इन्फ्रास्ट्रक्चर डेलेवपमेंट फंड में 15,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. दूध उत्पादन, वैल्यू एडिशन के लिए खर्च किए जाएंगे.
  • 20 हजार करोड़ की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, जिसकी घोषणा बजट में की गई की, कोरोना की वजह से इसे तत्काल लागू किया जा रहा है. इसमें समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन के लिए और 9,000 करोड़ रुपये इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के विकास में लगाया जाएगा.
  • मछुआरों को नई नौकाएं दी जाएंगी, 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. इससे भारत का निर्यात दोगुना बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा. अगले 5 साल में 70 लाख टन अतिरिक्त मत्स्य उत्पादन होगा.
  • माइक्रो फूड इंटरप्राइज के लिए 10,000 करोड़ की स्कीम लाई गई है. बिहार में मखाना के क्लस्टर, केरल में रागी, कश्मीर में केसर, आंध्र प्रदेश में मिर्च, यूपी में आम से जुड़े क्लस्टर बनाए जा सकते हैं. इसका फायदा करीब 2 लाख माइक्रो फूड इंटरप्राइज को मिलेगा.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन वोकल फॉर लोकल को अमल में लाने के उद्देश्य से 2 लाख माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज की मदद के लिए एक योजना शुरू की जाएगी.
  • स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों में सुधार और खुदरा बाजारों के साथ एकीकरण जैसे मुद्दों पर फोकस किया जाएगा.

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