हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को किया तलब, 25 नवम्बर से पहले कैसे होंगे जयपुर नगर निगम के चुनाव?

अनुच्छेद 243यू के अनुसार हर नगर निगम का कार्यकाल केवल 5 साल का ही होता है, केवल राष्ट्रीय आपदा को छोड़कर कर इस अवधि को किसी भी तरह से बढ़ाया नहीं जा सकता

High Court summoned to State Election Commission

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) से दो दिन यानि 19 नवम्बर तक जवाब मांगा है कि वह जयपुर में 25 नवंबर से पहले नगर निगम के चुनाव कैसे कराएंगे क्योंकि राज्य सरकार ने जयपुर, जोधपुर कोटा में दो-दो नगर निगम बनाने का फैसला किया है. जबकि अभी तक तीनों शहरों में बनने वाले दो-दो निगमों के वार्डों का परिसीमन तक तय नहीं हो पाया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश महेंद्र कुमार गोयल की खंडपीठ ने जयपुर दी बार एसोसिएशन के महासचिव सतीश कुमार शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग से 19 नवंबर तक जवाब तलब किया है.

महाअदालत ने राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) से यह भी पूछा है कि उसने राज्य सरकार द्वारा दो-दो नगर निगम बनाये जाने के फैसले को चुनौती क्यों नहीं दी जबकि वह एक स्वतंत्र संस्था है और संवैधानिक तौर पर राज्य में 5 साल के भीतर ही नगर निगम के चुनाव आयोजित करवाने के लिए जिम्मेदार है. दाखिल याचिका में कहा गया है कि जयपुर नगर निगम का विभाजन केवल राजनैतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया है. याचिका में आगे कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 243यू के अनुसार हर नगर निगम का कार्यकाल केवल 5 साल का ही होता है और निगम के भंग होने से पहले 5 साल के भीतर ही नया निगम गठित करने के लिए चुनाव आयोजित किए जाने चाहिए, इस अवधि को किसी भी तरह से बढ़ाया नहीं जा सकता है.

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(State Election Commission) याचिका में बताया गया है कि 10 जून, 2018 को राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए नोटिस में कहा गया था कि 10 लाख से 15 लाख की जनसंख्या रखने वाले म्यूनसिपल वार्डों को 100 और इससे ज्यादा जनसंख्या वाले वार्डों को 150 सीटें मिलेंगी. जयपुर में 2011 की जनगणना के आंकड़ों को आधार मानते हुए राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन के जरिए जयपुर में 91 से बढ़ाकर 150 सीटें कर दीं. वहीं 14 सितम्बर को जॉइंट सैक्रेटरी ने 150 नए वार्डों के परिसीमन और गठन के लिए नियमानुसार नोटिस जारी कर आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित किए परन्तु 18 अक्टूबर को निदेशक, स्वायत्त शासन विभाग ने 14 सितम्बर को दिए गए नोटिस व आदेश को रद्द करते हुए जयपुर को दो नगर निगम, जयपुर ग्रेटर और जयपुर हैरिटेज में बांटने का आदेश भी पारित कर दिया.

वहीं सरकार ने यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि 10 जून 2019 को जारी नोटिफिकेशन भी रद्द कर दिया गया है या बरकरार है और क्या जयपुर में 91 वार्ड है या नये फॉर्मूले के अनुसार 150 वार्ड हैं. इतने सारे झोल के बीच राज्य सरकार ने 31 अक्टूबर, 2019 को घोषणा भी कर दी कि प्रदेश की 49 नगर निगमों में 16 नवंबर को चुनाव (State Election Commission) कराये जाएंगे.

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अधिवक्ता आनंद शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि राज्य सरकार को इन नए वार्डों का परिसीमन तय करने में अगले साल मार्च तक का समय लग सकता है जबकि राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) को हर हाल में 25 नवंबर से पहले जयपुर, जोधपर और कोटा नगर निगम के चुनाव कराने ही होंगे क्योंकि 25 नवंबर को तीनों शहरों का नगर निगम का 5 साल का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा. इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक पीठ किशन सिंह तोमर बनाम अहमदाबाद म्यूनसिपल कॉरपोरेशन मामले में 2002 में फैसला भी दिया गया है कि निर्वाचन आयोग को 5 साल के भीतर ही चुनाव कराने के लिए प्रोएक्टिव होना चाहिए. केवल राष्ट्रीय आपदा की स्थिति में कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है.

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