राजस्थान (Rajasthan) में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच की अदावत पर आलाकमान के निर्देश कितना ही पर्दा डाल दें लेकिन उसकी झलक कहीं न कहीं से नजर आ ही जाती है. ताजा मामला बसपा छोड़ चुके छः विधायकों का है. इन सभी विधायकों ने अभी तक कांग्रेस की सदस्यता ही नहीं ली है. जबकि इन विधायकों को कांग्रेस पार्टी में शामिल करने को लेकर विधानसभा से स्वीकृति भी मिल गई है और बसपा छोड़ने के बाद से इन सभी विधायकों के गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के चर्चाएं जोरों पर थीं जो फ़िलहाल निकाय चुनाव तक रुक गई हैं.
इससे भी बड़ी बात यह है कि इन सभी विधायकों ने सदस्यता को लेकर अभी तक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट से मुलाकात तक नहीं की है. इससे एक बार फिर यह साफ हो गया है कि बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय करने का सारा मामला संगठन की जानकारी के बिना किया गया है. मतलब ये कि अशोक गहलोत ने बसपा के इन विधायकों से समझौता करने से पहले और इन्हें कांग्रेस में आने का न्यौता देने से पहले एक बार भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से विचार-विमर्श करना भी उचित नहीं समझा.
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बसपा विधायकों (BSP MLAs)के अभी तक कांग्रेस की सदस्यता नहीं लेने के सवाल के जवाब में शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि दलबदल कर कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों ने अभी तक कांग्रेस की सदस्यता नहीं ली है, हमारे यहां तो खुली है सदस्यता, जो आएगा उसे देंगे फिर चाहे वो कोई भी हो. हम एक अक्टूबर से सदस्यता अभियान चलाने जा रहे हैं जिसके तहत हम घर-घर जाकर लोगों को कांग्रेस के विज़न को समझाते हुए उन्हें कांग्रेस का सदस्य बनने के लिये प्रेरित करेंगे.
बता दें, बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए ये विधायक अभी कुछ दिन पहले सचिन पायलट के जन्मदिन के मौके पर बधाई देने उनके आवास पर पहुंचे थे, लेकिन कांग्रेस पार्टी में विलय का ऐलान करने के बाद से अभी तक इन सभी नेताओं ने कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष से मुलाकात तक करने की जेहमत नहीं उठाई है.
वहीं राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) के चुनावों में डॉ.सीपी जोशी (CP Joshi) और रामेश्वर डूडी (Rameshwar Dudi) खेमों के बीच चल रही तनातनी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) के RCA चुनाव लड़ने के संबंध में पायलट ने कहा कि राजस्थान जिला संघों की राजनीति अलग है और पार्टी संगठन की राजनीति अलग है. ऐसे में जो वहां चुनाव लड़ना चाहता है, लड़ सकता है. इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है. वहां जो भी होगा, जो नियम बने हुए हैं, उनके अनुसार ही होगा.
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प्रदेश में होने वाले निकाय चुनावों को लेकर स्पष्ट रूप से तो नहीं लेकिन इशारों में सचिन पायलट ने कहा कि निकाय अध्यक्षों के चुनाव प्रत्यक्ष होंगे या अप्रत्यक्ष, इस बारे में शांति धारीवाल को रिपोर्ट देनी है. पायलट ने कहा कि इस संबंध में कांग्रेसजन की इच्छाओं को ध्यान में रखकर फैसला लिया जाएगा. वहीं पंचायत के चुनावों में शैक्षणिक योग्यता फिर से लागू करने की बात पर उन्होंने कहा कि हमने पहले भी कहा था कि भाजपा ने यह फैसला जल्दीबाजी में लिया था और हमने इसे बदला दिया है. वैसे भी जब एमएमए, एमपी और राष्ट्रपति तक के चुनाव में शैक्षणिक योग्यता नहीं है तो सरपंच बनने के लिए क्यों हो.