गहलोत की कुंठा बताते-बताते खुद की कुंठा को नहीं रोक पाए ओम माथुर, पार्टी के प्रति झलकी गहरी नाराजगी

पायलट से लड़ाई के चलते गहलोत असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और कहीं ना कहीं कुंठित हैं- माथुर, लेकिन खुद की पार्टी में माथुर भी हैं कुंठित, नहीं मिला मेहनत का वो श्रेय और इनाम, बातों में झलकी कुंठा

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रेस कॉउन्सिल ऑफ इंडिया द्वारा नोटिस दिए जाने के मामले पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद ओम माथुर ने कहा कि, ‘मैं मुख्यमंत्री गहलोत को कॉलेज के जमाने से जानता हूँ, वो पहले ऐसे नहीं थे लेकिन सचिन पायलट से लड़ाई के चलते वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और कहीं ना कहीं कुंठित हैं. जिसके कारण वो बार-बार ऐसे बयान दे रहे हैं.

ओम माथुर गुरुवार को जयपुर में पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे. इस दौरान खुद माथुर की बातों में बीजेपी नेतृत्व के प्रति उनकी नाराजगी की झलक भी साफ दिखाई दी. हाल ही में अमित शाह के जोधपुर दौरे के दौरान वहां लगे पोस्टर्स और कार्यक्रम में रही उनकी अनुपस्थिति पर माथुर ने कहा, ‘आजकल पोस्टर की राजनीति अधिक और होमवर्क कम हो गया है और पोस्टर राजनीति में मेरा विश्वास नहीं है. मुझे यह बात कहने में संकोच नहीं है कि कार्यक्रम भी व्यक्ति केन्द्रित हो जाते हैं. व्यक्ति के अनुसार कार्यक्रम हो रहे हैं जो पार्टी के लिए ठीक नहीं है.

इससे पहले पत्रकारों के सवाल पर ओम माथुर ने कहा कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एनएसयूआई के जमाने से जानते हैं, लेकिन उन्होंने गहलोत को पहले कभी इस तरह की भाषा बोलते हुए नहीं देखा, जिस तरह की भाषा मुख्यमंत्री इस समय बोल रहे हैं. ओम माथुर ने कहा कि उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आपस की लड़ाई में कहीं न कहीं कुंठा झलक रही है और ऐसा एक बार नहीं बल्कि की बार हो चुका है कि सीएम अपनी मर्यादा भूलकर इस तरह की भाषा बोल चुके हैं. माथुर ने कहा पायलट के कारण गहलोत कहीं ना कहीं स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश में यह पहला उदाहरण है, जब किसी मुख्यमंत्री के बयान पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने नोटिस देकर जवाब मांगा हो. माथुर ने कहा कोटा के मामले में भी मुख्यमंत्री गहलोत ने ऐसा ही बयान दिया, जबकि उनको समझना चाहिए कि वो प्रदेश के मुखिया हैं और जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है.

वहीं राज्यसभा सांसद ओम माथुर ने 3 जनवरी को हुई अमित शाह की जोधपुर रैली में शामिल नहीं होने और वहां उनके पोस्टर नहीं होने के सवाल पर कहा है कि, ‘पोस्टर राजनीति में मेरा विश्वास नहीं है, आजकल पोस्टर की राजनीति अधिक और होमवर्क कम हो गया है. मुझे यह बात कहने में संकोच नहीं है कि पार्टी के कार्यक्रम भी व्यक्ति केन्द्रित हो जाते हैं, व्यक्ति के अनुसार पार्टी के कार्यक्रम होते हैं, जबकि होने पार्टी के अनुसार ही चाहिए वरना यह पार्टी के लिए ठीक नहीं है.’ सांसद ओम माथुर ने बताया कि अमित शाह के कार्यक्रम का उन्हें निमंत्रण मिला था, लेकिन उस दिन उनका जन्मदिन था और बड़ी संख्या में आस पास के जिलों के कार्यकर्ता आए हुए थे, इसलिए वे उस दिन जोधपुर नहीं जा सके.

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लेकिन यहां ओम माथुर के बयान से उनकी अपने पार्टी नेतृत्व के प्रति नाराजगी साफ नजर आती है और सुधीजनों की मानें तो माथुर की यह नाराजगी वाजिब भी है. जिस तरह की मेहनत पार्टी के लिए यूपी, गुजरात, राजस्थान और अभी हाल ही में झारखंड में ओम माथुर कर चुके हैं, उस तरह का पार्टी ने श्रेय या इनाम माथुर को दिया नहीं. बात करें राजस्थान में उनके प्रभुत्व की तो एक समय बिल्कुल ऐसा लगने ही लगा था कि राजस्थान की कमान अब ओम माथुर के हाथ में आ जाएगी और दिल्ली से लेकर जयपुर तक माथुर की राह में बड़े-बड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं ने पलक-पावडे बिछा दिए थे, लेकिन हुआ इसके विपरीत कमान तो दूर की बात दुआ सलाम के भी लाले पड़े रहे.

यहां यह बात सबसे दिलचस्प है कि सांसद ओम माथुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुंठा और मनोदशा का जिक्र करते-करते खुद के अंदर की कुंठा और भड़ास को निकालने से नहीं रोक पाए. हालांकि उन्होंने अपने पार्टी नेतृत्व पर सीधा अटैक ना करके बहुत सधे हुए शब्दों में अपनी कुंठा जाहिर कर दी.

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