गुजरात कांग्रेस की तरफ से चुनाव आयोग द्वारा राज्यसभा चुनाव के लिए जारी किए गए नोटिफिकेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. बता दें कि चुनाव आयोग ने हाल में खाली हुई राज्यसभा की 6 सीटों पर उपचुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है. इन सीटों में अमित शाह और स्मृति ईरानी के लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई गुजरात की दो राज्यसभा सीटें भी शामिल हैं.

चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन के खिलाफ गुजरात विधानसभा में नेता विपक्ष और अमरेली विधायक परेश धनानी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. कोर्ट धनानी की तरफ से दायर याचिका पर 20 मई को सुनवाई करेगा.

बता दें, साल 2017 में गुजरात में तीन सीटों पर राज्यसभा चुनाव हुए थे जिसमें बीजेपी की तरफ से अमित शाह और स्मृति ईरानी, वहीं कांग्रेस की तरफ से अहमद पटेल सांसद चुने गए थे. अब लोकसभा चुनाव में अमित शाह गुजरात की गांधीनगर और स्मृति ईरानी यूपी की अमेठी सीट से सांसद निर्वाचित हुई हैं. इस वजह से गुजरात की दो राज्यसभा सीटें खाली हुई हैं.

चुनाव आयोग ने गुजरात की इन दो सीटों सहित देश की 6 सीटों पर उपचुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है. चुनाव आयोग की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया कि 5 जुलाई को इन दोनों सीटों सहित खाली हुई सभी 6 सीटों पर उपचुनाव होगा. इन सभी सीटों को ‘सैपरेट वैकेंसी’ मतलब अलग-अलग रिक्तियां मानकर चुनाव होगा.

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अब कांग्रेस आरोप लगा रही है कि चुनाव आयोग बीजेपी के दबाव में सैपरेट वैकेंसी के तौर पर चुनाव करा रहा है. अगर चुनाव में इस प्रणाली से मतदान होगा तो दोनों सीटें बीजेपी के खाते में चली जाएंगी जो सीधे-सीधे चुनाव प्रणाली के खिलाफ है.

राज्यसभा चुनाव में सांसद चुने जाने का एक फार्मुला है. इस फार्मुले के अनुसार, राज्यसभा सांसद के चुनाव के लिए उस राज्य से खाली हुईं राज्यसभा सीटों की संख्या में एक जोड़कर विधायकों की संख्या में भाग दे दिया जाता है. भाग देने पर मिलने वाली संख्या में एक जोड़ दिया जाता है.

इसके बाद आने वाली विधायकों की संख्या, एक सांसद चुनने के लिए आवश्यकता होती है. राज्यसभा चुनाव में खाली हुई सभी सीटों पर एक साथ चुनाव होने पर एक विधायक एक ही बार वोट डाल सकता है क्योंकि इस प्रकिया में विधायक को एक ही बैलेट उपलब्ध कराया जाता है. ऐसे में वह वह एक ही वोट दे पाता है.

अब गुजरात में दो राज्यसभा सीटों पर 5 जुलाई को उपचुनाव होना है. गुजरात विधानसभा में वर्तमान में 175 विधायक हैं. दो सीटों पर चुनाव होना है तो कुल सीटों की संख्या में तीन का (175 में 2+1) का भाग दिया जाएगा. भाग देने पर संख्या 58.33 आएगी. उसमें नियमानुसार एक जोड़ने पर यह संख्या 59.33 हो जाएगी. इसका मतलब सांसद चुने जाने के लिए 60 विधायकों की जरूरत होगी. लेकिन चुनाव आयोग की तरफ से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार चुनाव में जीत 60 विधायकों पर भी नहीं होगी.

क्योंकि खाली हुई इन सीटों को चुनाव आयोग की तरफ से अलग वैकेंसी माने जाने के कारण हर सीट को एक इकाई माना गया है. इसके अनुसार प्रत्याशी को चुनाव जीतने के लिए 92 विधायकों की दरकार होगी. साथ ही सैपरेट वैकेंसी होने के कारण विधायकों को वोट डालने के लिए दो बैलेट उपलब्ध कराए जाएंगे जिसके कारण वो दो प्रत्याशियों को वोट डाल पाएंगे.

गुजरात विधानसभा में फिलहाल 175 विधायक हैं. इसमें बीजेपी के 100, कांग्रेस के 71, एनसीपी के 1, भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2 और एक निर्दलीय विधायक है. ऐसे में दोनों सीटों पर अलग-अलग मतदान होने की स्थिति में दोनों सीटों का बीजेपी के खाते में जाना तय है.

चुनाव आयोग की तरफ से इस विवाद पर बयान दिया गया है जिसमें कहा गया है, ‘अमित शाह को लोकसभा चुनाव में जीत का प्रमाण पत्र 23 मई को ही जारी कर दिया गया जबकि स्मृति ईरानी का प्रमाण पत्र 24 मई को जारी किया गया है. अमित शाह की सीट को 28 मई और स्मृति ईरानी की सीट को 29 मई से खाली माना गया. इस वजह से दोनों के चुनाव के दिन में एक दिन का अंतर है. इसलिए दोनों सीटों को सैपरेट वैकेंसी माना गया है.’

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