छात्रसंघ चुनाव राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ का चुनाव प्रचार थम चुका है. चुनाव मंगलवार, 27 अगस्त को हैं. परिणाम अगले दिन यानि 28 अगस्त को घोषित किए जाएंगे. राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ अध्यक्ष के लिए 5 दावेदार मैदान में हैं. इनमें एनएसयूआई ने उत्तम चौधरी को और एबीवीपी ने अमित कुमार बड़बड़वाल को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया है. एनएसयूआई के बागी मुकेश चौधरी और पूजा वर्मा भी मैदान में हैं, वहीं मनजीत बड़सरा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं.

इस बार के छात्रसंघ चुनावों में एक खास बात ये भी है कि अध्यक्ष पद के 5 दावेदारों में पूजा वर्मा एकलौती महिला उम्मीदवार हैं. अगर विजयश्री उनके हाथ लगती है तो इतिहास अपने आपको एक बार फिर दोहराने में कामयाब होगा. जानकार आश्चर्य होगा लेकिन सच है. मौजूदा छात्रसंघ चुनाव राजस्थान विश्वविद्यालय का 37वां चुनाव है. इससे पहले हुए 36 चुनावों में केवल एक बार ही ऐसा हुआ है जब किसी महिला प्रत्याशी ने छात्रसंघ चुनाव जीता है. कहने का मतलब ये है कि पिछले 36 चुनावों में केवल एक महिला उम्मीदवार ही राजस्थान यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष बनने में सफल हो पायी है.

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जिसने ये कारनामा किया है वो हैं प्रभा चौधरी. प्रभा चौधरी ने 2011-12 के छात्रसंघ चुनावों में न केवल बतौर निर्दलीय उम्मीदवार कदम रखा बल्कि इतिहास रचते हुए जीत भी दर्ज की. हालांकि एनएसयूआई और एबीवीपी की गुटबाजी और बागियों की बदौलत उन्हें ये विजयश्री मिली लेकिन जीत तो आखिर जीत ही होती है. आरयू के सत्र 2011-12 में निर्दलीय प्रत्याशी प्रभा चौधरी लॉ कॉलेज की छात्रा थी. एक महिला उम्मीदवार होने के नाते छात्राओं में उनका जमकर उत्साह था जबकि छात्रों में क्रेज़. प्रभा के कार्यकालय में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.बी.एल.शर्मा थे जिनका विद्यार्थियों में सबसे अधिक विरोध रहा. उस मौके पर प्रभा चौधरी ने आगे आकर कुलपति के कार्य का बहिष्कार किया था. बस यही वजह रही कि उनका प्रभाव छात्रों में काफी अधिक था.

राजस्थान विश्वविद्यालय को प्रभा चौधरी से पहले 28 और बाद में 7 अध्यक्ष तो मिले लेकिन कैंम्पस किसी महिला अध्यक्ष की बांट अब तक जौह रहा है. ऐसा नहीं है कि प्रभा चौधरी के बाद में किसी महिला प्रत्याशी को चुनावी मैदान में आने का मौका नहीं मिला. सच तो ये है कि प्रभा के बाद महिला उम्मीदवारों की लिस्ट लंबी हो गयी. एनएसयूआई ने 2013-14 में शैफाली मीणा, उसके बाद त्रिसला चौधरी और सुनिता मीणा को अध्यक्ष पद का दावेदार बनाया. वहीं एबीवीपी ने मनश्विनी शेखावत पर भरोसा दिखा लेकिन इनमें से कोई इस कारनामे को दोहरा नहीं पाया.

एनएसयूआई के बागी मुकेश चौधरी की दावेदारी के चलते संगठन में टूट है. वहीं एबीवीपी अपने सभी बागियों को मनाने में सफल हुआ है. ऐसे में अमित बड़बड़वाल को अध्यक्ष पद का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है. लेकिन अध्यक्ष के दावेदारों में इकलौती महिला प्रत्याशी होने के नाते पूजा वर्मा पर सबकी निगाहें गढ़ी हुई हैं. यही वजह है कि छात्राओं का उत्साह उनकी तरह अन्य प्रत्याशियों की तुलना में ज्यादा है. पूजा वर्मा और उनके समर्थन सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और अपने उम्मीदवार को जिताने का अथाह कोशिशों में लगे हुए हैं. बता दें, पिछले महीने जयपुर के स्पोर्ट्स् ग्राउण्ड में 6 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल में पूजा वर्मा ने छात्रों की अगुवाई की थी.

राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनावों में भले ही सभी मुख्य मुकाबला एनएसयूआई के उत्तम चौधरी और एबीवीपी के अमित कुमार बड़बड़वाला के बीच बता रहे हों लेकिन सच तो ये है कि मुकाबला अमित कुमार और एनएसयूआई की बागी पूजा वर्मा के बीच है. छात्रा होने के नाते पूजा को छात्राओं के वोट निश्चित तौर पर मिलेंगे. अगर ऐसे वोटर्स जो कॉलेज केवल पढ़ाई करने आते हैं, उनके वोट पूजा को मिल गए तो निश्चित रूप से पूजा यूनिवर्सिटी की दूसरी महिला अध्यक्ष होंगी.

राजस्थान विश्वविद्यालय के 37वें छात्रसंघ चुनाव का परिणाम किसके पक्ष में जाएगा और किसके सिर अध्यक्ष पद का सेहरा बंधेगा, ये तो वक्त ही बताएगा. लेकिन अगर पूजा वर्मा अगर जीतने में कामयाब हो जाती है तो छात्रसंघ इतिहास में ये दूसरा मौका होगा जब कोई महिला अध्यक्ष बन कार्यालय में बैठेगी. अब देखना ये होगा कि क्या पूजा वर्मा इस इतिहास को दोहरा पाती हैं या फिर राजस्थान यूनिवर्सिटी को दूसरी ‘प्रभा चौधरी’ के लिए और इंतजार करना होगा.

 

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