महाराष्ट्र में बीजेपी की शिवसेना को दो टूक- नहीं मिलेगा सीएम पद, 122 विधायकों के समर्थन का किया दावा

बीजेपी ने यह स्पष्ट कहा है कि महाराष्ट्र में शिवसेना की दबाव की राजनीति के सामने बीजेपी नहीं झुकेगी, 15 निर्दलीय विधायकों सहित 122 विधायकों के समर्थन का किया दावा

Maharashtra Shiv Sena BJP
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पॉलिटॉक्स ब्यूरो. बीजेपी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) में शिवसेना (Shiv Sena) की दबाव की राजनीति के सामने बीजेपी (BJP) नहीं झुकेगी. न तो बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद की दावेदारी मानी जाएगी और न ही गृह, वित्त, पीडब्लूडी जैसे अहम मंत्रालय देने की जिद मानी जाएगी. हां अगर शिवसेना को मंजूर हो तो उपमुख्यमंत्री पद जरूर दिया जा सकता है और साथी ही केंद्र में उसकी हिस्सेदारी भी बढ़ाई जा सकती है.

विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से महाराष्ट्र (Maharashtra) में शिवसेना (Shiv Sena) और बीजेपी (BJP) के बीच सरकार में भागीदारी को लेकर पेंच फंसता ही जा रहा है. एक जमाने में बिना सरकार के महाराष्ट्र में राज करने वाले बाल ठाकरे के परिवार में से किसी सदस्य के तौर पर पहली बार चुनाव लड़कर आदित्य ठाकरे के चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना ने अपनी निगाह गडा दी है. लेकिन बीजेपी ने शिवसेना के इस सपने पर अपना इरादा एक बार फिर साफ कर दिया है कि यह पद शिवसेना को नहीं मिलने वाला. साथ ही सभी निर्दलीय विधायकों को अपने साथ खड़ा कर बीजेपी अब शिवसेना पर दबाव बनाने में जुट गई है.

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महाराष्ट्र बीजेपी ने दावा किया है कि उसे 15 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिला हुआ है. इसके अलावा छोटे दलों के कुछ और भी विधायक उसके संपर्क में हैं. महाराष्ट्र भाजपा इकाई की प्रवक्ता श्वेता शालिनी ने कहा है कि, “भाजपा के साथ 15 निर्दलीय विधायक खड़े हैं. ये निर्दलीय भाजपा के ही नेता रहे हैं, जो गठबंधन आदि वजहों से टिकट न मिलने के कारण निर्दल लड़कर जीते हैं. इस प्रकार बीजेपी 2014 की तरह ही संख्याबल के आधार पर मजबूत स्थिति में है और उन्हें 122 विधायकों का समर्थन है.” कुल मिलाकर महाराष्ट्र (Maharashtra) में बीजेपी (BJP) शिवसेना (Shiv Sena) को संदेश देने की कोशिश में है कि वह इस चुनाव में किसी तरह से कमजोर नहीं हुई है.

ऐसे में महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीति का पहिया घूमकर एक बार फिर कमोबेश 2014 की स्थिति में पहुंच गया है. उस वक्त भी बीजेपी (BJP) बहुमत के आंकड़े 145 से पीछे थी और शिवसेना (Shiv Sena) की ओर से दबाव बढ़ाना शुरू हो गया था. उस वक्त राकांपा नेता शरद पवार की ओर से सरकार को बाहर से समर्थन देने की बात के बाद शिवसेना ने तत्काल भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने की हामी भर दी थी. कुछ ऐसे ही मौके का इस बार भी बीजेपी को इंतजार है.

बता दें कि मीरा भायंदर सीट से भाजपा का टिकट न मिलने पर निर्दलीय लड़कर जीतीं गीता जैन, बरसी सीट से राजेंद्र राउत, अमरावती जिले की बडनेरा सीट से जीतने वाले रवि राणा ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी है. भाजपा का कहना है कि इन तीनों की तरह अन्य निर्दल विधायकों ने खुद भाजपा से संपर्क कर समर्थन देने की बात कही है, क्योंकि उनका नाता भाजपा से ही रहा है. इससे पहले नतीजे के दिन 24 अक्टूबर को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी 15 निर्दलीयों के संपर्क में होने की बात कही थी. शिवसेना के मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़ जाने के सवाल पर भाजपा प्रवक्ता श्वेता शालिनी ने कहा, “मुख्यमंत्री भाजपा का था, है और आगे भी रहेगा. मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा का रुख साफ है. शिवसेना भी इसे जानती है.”

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गौरतलब है कि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को सबसे ज्यादा सीटें मिलने के बाद भी सरकार बनाने का पेंच तब फंस गया, जब 24 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आने के दिन प्रेस कांफ्रेंस कर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने लोकसभा चुनाव के दौरान तय हुए 50-50 फॉर्मूले की बात उठा दी थी. उन्होंने संकेत दिए कि शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद चाहती है. सीएम कौन होगा? प्रेस कांफ्रेंस में इस सवाल पर उन्होंने कहा था, “यह बेहद अहम सवाल है
चुनाव से पूर्व शिवसेना के मुखपत्र सामना में छपे उद्धव ठाकरे ने अपने इंटरव्यू में भी कहा था कि वह शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं. जिसके बाद से भाजपा-शिवसेना में सरकार बनाने को लेकर अब तक पेंच फंसा हुआ है.

बता दें, सोमवार को बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) दोनों दलों के नेताओं ने महाराष्ट्र (Maharashtra) के राज्यपाल से अलग-अलग भेंट भी की. इससे माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री और सरकार में पदों को लेकर दोनों दलों के बीच पेंच अभी तक फंसा हुआ है.

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