सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को दी शराब की होम डिलीवरी की सलाह, तो हाईकोर्ट ने गहलोत सरकार को थमाया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में लॉकडाउन के दौरान शराब की दुकान खोलने को बताया डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन का उल्लंघन, सोशल डिस्टेन्सिंग सहित अन्य नियमों का हवाला देते हुए शराब की दुकानों को बंद करने की मांग, हाईकोर्ट ने 12 मई तक मांगा राज्य सरकार से जवाब

Supreme Court High Court
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पॉलिटॉक्स न्यूज. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को शराब की सीधी बिक्री करने की जगह होम डिलीवरी जैसे उपायों या इसी तरह के दूसरे तरीकों पर विचार करने की सलाह दी है. अदालत ने ये सलाह लॉकडाउन के भीतर शराब की दुकानों पर उमड़ी भीड़ के मामले में दी है. हालांकि कोर्ट ने राज्य सरकारों को सीधे कोई आदेश देने से मना कर दिया लेकिन शराब की सीधी बिक्री के बजाय होम होम डिलीवरी या दूसरे तरीकों पर विचार करने को कहा. गुरुस्वामी नटराज नाम के याचिकाकर्ता की याचिका पर केंद्र सरकार के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी जिसमें शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है. याचिकाकर्ता के अनुसार, शराब की दुकानों पर जिस तरह से भीड़ उमड़ पड़ी. वहां सोशलिस्ट डिस्टेंसिंग का जरा भी पालन नहीं हो रहा है, जो बहुत खतरनाक है.

इसी कड़ी में राजस्थान हाईकोर्ट ने लॉकडाउन में शराब की दुकान खोलने पर गहलोत सरकार को नोटिस भेजा है और 12 मई तक जवाब मांगा है. याचिका में शराब दुकानों को खोलने के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे डब्ल्यूएचओ ने गाइडलाइन का उल्लंघन बताया गया है. बता दें कि 4 मई को लॉकडाउन 3.0 लागू होने के साथ ही देशभर में शराब की दुकानें खोलने के निर्देश दो दिन पहले ही जारी हो गए थे. लॉकडाउन के चलते 40 दिन बंद रहने के बाद जैसे ही शराब की दुकानें खुली, ग्राहकों की भीड़ टूटकर पड़ी. लंबी लंबी लाइनें लग गई और सोशल डिस्टेन्सिंग सहित अन्य नियमों की खुलकर छज्जियां उड़ी. उसके बाद अधिवक्ता निखिलेश कटारा की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में पीआईएल लगाई गई. पीआईएल में सीएस, एसीएस होम, संयुक्त आबकारी सचिव व आबकारी आयुक्त को पक्षकार बनाते हुए लॉकडाउन के दौरान शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने का आग्रह किया है.

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प्रार्थी की ओर से कहा गया कि केंद्र सरकार ने कॉलोनी की दुकानों को खोलने के लिए कहा था लेकिन राज्य सरकार ने सभी जगह पर शराब की दुकानों को खोल दिया गया है. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान शराबों की दुकानों को बंद कर शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने की बात कही गई है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एजी एमएस सिंघवी ने कहा कि शराब की दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना की जा रही है और हर दुकान पर आबकारी विभाग का गार्ड लगा दिया गया है. सीजे इंद्रजीत महंति व जस्टिस एसके शर्मा की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनकर शराब की दुकानों को खोलने व शराब की बिक्री करने के मामले में राज्य सरकार को 12 मई तक शपथ पत्र सहित जवाब देने के लिए कहा है.

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वहीं इसी तरह की एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दाखिल की गई है. गुरुस्वामी नटराज नाम के याचिकाकर्ता की याचिका में केंद्र सरकार के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी जिसमें शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है. याचिकाकर्ता के वकील साईं दीपक का कहना था शराब की दुकानों पर जिस तरह से भीड़ उमड़ पड़ी, यह बहुत खतरनाक है. वहां सोशलिस्ट डिस्टेंसिंग का जरा भी पालन नहीं हो रहा है. सच बात यह है कि दुकानों की संख्या के मुकाबले शराब के खरीदार बहुत ज्यादा हैं. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो पाना बहुत मुश्किल है.

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याचिका कर्ता के वकील ने सीधी बिक्री की जगह दूसरे उपाय अपनाने पर ज़ोर देते हुए कहा कि हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि शराब की दुकानों को खोल देने से जो परिस्थितियां बनी हैं, उससे आम आदमी के स्वास्थ्य और जीवन को खतरा न हो. इसलिए कोर्ट गृह मंत्रालय या नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी से कहे कि वह शराब की बिक्री को लेकर स्पष्टीकरण जारी करें. राज्य उस स्पष्टीकरण के मुताबिक चलें. कम से कम जब तक लॉकडाउन जारी है, तब तक शराब की दुकानों को न खोला जाए.

इस पर 3 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अशोक भूषण ने सुनवाई के अंत में कहा कि हम इस मामले में सीधे कोई आदेश नहीं देंगे. लेकिन राज्य सरकारें याचिका में कही गई बातों पर विचार करें. वह यह देखें कि क्या शराब की सीधी बिक्री न करते हुए होम डिलीवरी या कोई और उपाय अपनाया जा सकता है, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन सुनिश्चित हो सके.

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