गुर्जर आरक्षण और कांग्रेस की गुटबाजी पर खुलकर बोले सचिन पायलट, केंद्र को बताया विश्वासघाती

कृषि व्यापार से संबंधित सदन में पास किए गए तीन बिलों को लेकर साधा केंद्र सरकार पर निशाना, मोदी सरकार को बताया किसान विरोधी, एमबीसी आरक्षण पर गहलोत सरकार के संज्ञान लेने की कही बात

सचिन पायलट Vs मोदी सरकार
सचिन पायलट Vs मोदी सरकार

Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने मीडिया के समक्ष गुर्जर आरक्षण और कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी पर खुलकर अपनी राय रखी. पायलट ने कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी पर रूख स्पष्ट करते हुए कहा कि कांग्रेस में किसी तरह की कोई गुटबाजी नहीं है. पायलट ने गुर्जर आरक्षण पर भी बात की और कहा कि खुशी है कि हमारी सरकार ने इस बारे में कानून बनाया और मेरे पत्र पर भी संज्ञान लिया है. पायलट ने संसद में पारित किए गए कृषि संबंधी तीन बिलों के विरोध में केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला और अध्यादेशों को किसान विरोधी कहते हुए केंद्र की मोदी सरकार को विश्वासघाती बताया.

सचिन पायलट ने पार्टी में गुटबाजी से साफ इनकार करते हुए कहा कि कांग्रेस का एक ही गुट है और वो है सोनिया-राहुल गांधी गुट. पायलट ने कहा कि अगले विधानसभा चुनाव में केवल तीन साल हैं, इसके लिए अभी से तैयारी करनी होगी. पायलट ने एमबीसी आरक्षण पर कहा कि इस संबंध में मैंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा और सरकार ने उस पर संज्ञान भी लिया है. पायलट ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि कांग्रेस सरकार ने इस संबंध में कानून बनाया था. राजस्थान के प्रदेश प्रभारी अजय माकन से मुलाकात को पायलट ने सामान्य भेंट बताते हुए कहा कि इस दौरान कोई विशेष बातचीत नहीं हुई.

सचिन पायलट ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमलावर होते हुए केंद्र सरकार द्वारा मंगलवार को सदन में कृषि एवं कृषि व्यापार से संबंधित पास कराए गए तीन बिलों को किसानों के साथ किया गया धोखा बताया. पास कराए गए तीनों कानूनों पर प्रतिक्रिया देते हुए पालयट ने इन्हें कृषि एवं किसान विरोधी बताया. पायलट ने कहा कि कोरोना काल में अध्यादेशों के माध्यम से उक्त कानून लागू किये है, जबकि ऐसी कोई आपात स्थिति नहीं थी. कृषि राज्य का विषय है जबकि केन्द्र सरकार ने इस संबंध में राज्यों से किसी प्रकार की सलाह नहीं ली. इस संबंध में केन्द्र सरकार द्वारा किसान संगठनों एवं राजनैतिक दलों से भी इस सम्बन्ध में कोई राय-मशविरा नहीं किया गया.

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पूर्व डिप्टी सीएम पायलट ने कहा कि मोदी सरकार प्रारम्भ से ही किसान विरोधी रही है. उवर्ष 2014 में मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही किसानों के लिए भूमि मुआवजा कानून रद्द करने के लिए एक अध्यादेश प्रस्तुत किया लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस एवं किसानों के विरोध के कारण मोदी सरकार को पीछे हटना पड़ा. मोदी सरकार ने इन तीन नए कानूनों से किसान, खेत-मजदूर, कमीशन एजेंट, मण्डी व्यापारी सभी पूरी तरह से समाप्त हो जायेंगे. उन्होंने कहा कि एपीएमसी (APMC) प्रणाली के समाप्त होने से कृषि उपज खरीद प्रणाली समाप्त हो जायेंगी. किसानों को बाजार मूल्य के अनुसार न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिलेगा और न ही उनकी फसल का मूल्य.

पायलट ने कहा कि यह दावा सरासर गलत है कि अब किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच सकता है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 की कृषि जनगणना के अनुसार देश में 86 प्रतिशत किसान 5 एकड से कम भूमि के मालिक है. ऐसी स्थिति में 86 प्रतिशत अपने खेत की उपज को अन्य स्थान पर परिवहन या फेरी नहीं कर सकते हैं. इसलिए उन्हें अपनी फसल निकट बाजार में ही बेचनी पड़ती है. मण्डी सिस्टम खत्म होना किसानों के लिए बेहद घातक सिद्ध होगा. उन्होंने कहा कि अनाज-सब्जी बाजार प्रणाली की छंटाई के साथ राज्यों की आय का स्त्रोत भी समाप्त हो जाएगा.

सचिन पायलट ने कहा कि कि नये कानून के अनुसार आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन कर खाद्य पदार्थों की भंडारण सीमा को बहुत ही विशेष परिस्थितियों को छोड़कर समाप्त कर दिया गया हैं. इससे पूंजीपतियों द्वारा कृषि व्यापार पर नियंत्रण कर लिया जाएगा और वे पूंजी के आधार पर सम्पूर्ण कृषि उपजों को भण्डारों में जमा कर लेंगे तथा कृत्रिम कमी दर्शाकर उपभोक्ताओं से मनचाहे दाम वसूलेंगे. इससे कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा.

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पायलट ने कहा कि संविदा खेती में सबसे बड़ी कठिनाई छोटे किसानों के समक्ष उत्पन्न होगी जब वे कम्पनियों के नौकर बनकर रह जायेंगे. इसके विकल्प में सरकार को ग्राम स्तर पर छोटे किसानों की सामूहिक खेती के विकल्प पर विचार करना चाहिए और सामूहिक खेती के साथ गौ-पालन को आवश्यक बनाने पर जोर देना चाहिए जिससे देश में दूध का उत्पादन बढाया जा सके. पायलट ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि राजनैतिक दलों, किसान संगठनों, मण्डी व्यापारियों और कृषि विशेषज्ञों से विस्तृत चर्चा कर इन कानूनों में संशोधन पर विचार करें जिससे देश के किसान की वास्तविक दशा में बदलाव आ सकें.

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