राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) के मुख्य न्यायाधीश एस.रविंद्र भट्ट (S.Ravindra Bhatt) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के न्यायाधीश के तौर पर प्रमोट किया गया है. वे 23 सितम्बर को सर्वोच्य न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे. उनकी नियुक्ति का वारंट बुधवार को जारी हो चुका है. इस नियुक्ति के साथ ही मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान के पांच न्यायाधीश हो गए हैं. उक्त में से दो मूल रूप से प्रदेश के हैं. वहीं भट्ट राजस्थान हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट जाने वाले ओवरऑल 12वें जज हैं.

राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भट्ट का राजस्थान में कार्यकाल करीब साढ़े चार महीने का रहा. उन्होंने हाईकोर्ट की जोधपुर प्रधान पीठ और जयपुर पीठ के बीच वीडियो कांफ्रेसिंग से सुनवाई की शुरुआत की. उन्होंने 5 मई, 2019 को राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ग्रहण की थी. अगस्त के अंतिम सप्ताह में उनको सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की शिफारिश की गयी थी. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही कि उन्होंने कोर्ट में ‘माई लोर्ड’ और ‘योअर ओनर’ कहलवाना बैन कराया था.

भट्ट के अलावा अरुण मिश्रा (राजस्थान में सीजे), नवीन सिन्हा (राजस्थान में सीजे), अजय रस्तोगी (राजस्थान जज) और दिनेश माहेश्वरी (राजस्थान जज) हैं जो सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा न्यायाधीश हैं. इनके अलावा, अब तक तीन चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया (सीजेआई) ऐसे भी रहे जिनका राजस्थान से सीधा संबंध रहा. न्यायाधीश आर.एम.लोढ़ा मूलत: राजस्थान के हैं. न्यायाधीश के.वांचू और न्यायाधीश जे.एस.वर्मा राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे थे. वांचू राजस्थान में 1951 से 1958 तक मुख्य न्यायाधीश रहे जो अप्रैल, 1967 में सीजेआई बने. वहीं वर्मा ने निर्भया कांड के बाद आपराधिक विधियां अधिनियम में संशोधन के लिए रिपोर्ट दी थी.

इनके अलावा, एन.एम.कासलीवाल, न्यायाधीश एस.सी.अग्रवाल, न्यायाधीश ए.के.माथुर, न्यायाधीश जी.एस.सिंघवी भी राजस्थान मूल के सुप्रीम कोर्ट जज रहे. बता दें, एस.रविंद्र भट्ट सहित सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा मुख्य न्यायाधीशों की कुल संख्या अब 30 हो चुकी है. वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाले 213वें न्यायाधीश हैं. इनमें से 23 न्यायाधीशों का संबंध राजस्थान से रहा है. उक्त 23 में से सात मूलत: राजस्थान निवासी रहे.

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