Ashok Gehlot’s for working women. राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की एंट्री के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महिलाओं को राहत प्रदान करने के लिए उनकी रसोई का खर्चा कम करने का वायदा किया था. अपनी एक घोषणा में सरकार ने रसोई गैस सिलेंडर 500 रुपए में देने की बात कही थी. यानी रियायती दरों पर घरेलू गैस सिलेंडर दिए जाने का वादा प्रदेश की जनता से कर दिया. प्रदेश की करीब 10 लाख महिलाओं को मुफ्त मोबाइल और डेटा पैक देने की घोषणा पिछले बजट में पहले ही की जा चुकी है, जो अभी प्रक्रियाधीन है. अब सरकार महिलाओं को एक और गिफ्ट देने जा रही है जिसकी घोषणा आगामी बजट में किए जाने की पूरी पूरी उम्मीद है. राज्य सरकार महिलाओं को उनके पीरियड्स के दिनों में वर्क फ्रॉम होम देने की घोषणा करने जा रही है.
आपको बता दें कि राज्य समाज कल्याण बोर्ड ने सरकार को इस हेतु प्रस्ताव भिजवाया है. भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार, सरकारी महकमों में कार्यरत महिलाओं को पीरियड्स के दौरान वर्क फ्रोम होम की सुविधा देने का सुझाव दिया गया है. इसके लिए सेवा नियमों में बदलाव करके वर्क फ्रोम होम का प्रावधान जोड़ने का सुझाव है. समाज कल्याण बोर्ड की साधारण सभा की बैठक में यह प्रस्ताव सरकार को भेजने का फैसला किया गया.
बोर्ड बैठक में पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाली दिक्कतों का जिक्र करते हुए उन्हें घर से काम करने की सुविधा देने का प्रावधान करने को कहा है. फिलहाल सरकारी दफ्तरों में अभी महिलाओं को डिलीवरी पर मैटरनिटी लीव मिलती हैं, लेकिन पीरियड्स में छुट्टी सहित किसी तरह कोई रियायत नहीं मिलती. बोर्ड का तर्क है कि पीरियड्स के दौरान कई बार वर्क प्लेस पर महिलाओं को भारी परेशानी होती हैं, इसलिए उन्हें वर्क फ्रोम होम की सुविधा देनी चाहिए.
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अगर यह प्रस्ताव पास होता है तो सरकारी दफ्तरों में कार्ररत कामकाजी महिलाओं को पीरियड्स के दौरान वर्क फ्रोम होम की सुविधा मिल सकेगी. इससे संबंधित घोषणा 9 जनवरी से शुरू हो रही राजस्थान विधानसभा सत्र में पेश किए जाने वाले आगामी बजट में की जा सकती है.
इस संबंध में राज्य समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष अर्चना शर्मा का कहना है कि समाज कल्याण बोर्ड का गठन महिला और बच्चों के कल्याण के लिए प्रभावी नियम बनाकर उन्हें लागू करने के मकसद से किया है. बोर्ड समय-समय पर सुझाव देता है. महिलाओं को पीरियड्स में घर से काम करने की सुविधा देने का सुझाव भी सरकार को भेजा जा रहा है. बोर्ड ने इसी तरह के कुल नौ तरह के प्रस्ताव सरकार को भेजने का फैसला किया है.
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फैमिली काउंसलिंग सेंटर और यशोदा पालनागृह योजना का प्रस्ताव भी शामिल
प्रदेश सरकार को भेजे गए 9 सुझावों में फैमिली काउंसलिंग सेंटर बनाने और यशोदा पालनागृह योजना चलाना भी शामिल है. इस बारे में शर्मा ने कहा कि सामाजिक बदलावों के कारण पारिवारिक तनाव बढ़ रहे हैं. इसका वैवाहिक रिश्तों पर भी असर पड़ रहा है. इसके लिए फैमिली काउंसलिंग सेंटर बनाने की जरूरत है. इन सेंटर पर महिलाओं की काउंसलिंग की जाए और जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता भी दी जाए.
इसके साथ-साथ समाज कल्याण बोर्ड ने यशोदा पालनागृह योजना चलाने का प्रस्ताव दिया है. इस योजना में छह महीने से लेकर छह साल तक के बच्चों की देखभाल के साथ-साथ, बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी. बोर्ड ने इंटरनेशनल लेंग्वेज लर्निंग सेंटर खोलने का भी प्रस्ताव तैयार किया है. इस सेंटर में दुनिया भर की भाषाएं सिखाए जाने की सुविधा होगी.
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स्कूलों में जल्द होंगे गुड टच-बैड टच पर अवेयरनेस प्रोग्राम
इस संबंध में जानकारी देते हुए बोर्ड अध्यक्ष अर्चना शर्मा ने कहा कि बच्चों के साथ बढ़ते यौन अपराधों में कमी लाने के उद्देश्य से राज्य में सभी कॉलेजों, स्कूलों में राज्य स्तर, जिला स्तर और पंचायत समिति स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम किए जाएंगे. इसमें गुड टच-बैड टच के साथ अन्य जागरूकता कार्यक्रम शुरू करने के साथ साथ कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी.
चुनावी साल में महिला वोट बैंक को साधने पर फोकस
चूंकि यह चुनावी साल है और राजस्थान में इसी साल अक्टूबर-नवंबर के करीब विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सत्ताधारी पार्टी महिला वोट बैंक को भुनाने में लगी हुई है. यही वजह है कि राज्य के सरकारी कर्मचारियों के बाद महिलाओं को तरह तरह की सुविधाएं देने की कोशिश की जा रही है. महिलाओं की रसोई से लेकर सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं की जानकारी महिलाओं तक पहुंचाने के लिए मुफ्त मोबाइल एवं डेटा के बाद इस तरह की योजनाएं महिलाओं के बीच सत्ताधारी सरकार की छवि को मजबूत करने का काम करेगी.
बता दें कि राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अर्चना शर्मा भी यात्रा में शामिल हुईं थी. इस दौरान राहुल गांधी से भी उन्होंने मुलाकात कर आगामी समय में सरकार को भेजे जाने वाले कुछ सुझावों पर चर्चा की थी. अब बजट सत्र शुरू होने से पहले इस तरह के सुझाव सरकार को भेजने की कवायत शुरू हो गई है ताकि बजट में अधिक से अधिक घोषणाओं के माध्यम से महिला वोट बैंक को साधा जा सके.