Ashok Gehlot on OPS & ACB Order. देशभर की सुर्खियों में रही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दुबारा लागू की गई पुरानी पेंशन योजना को लेकर जहां कई राज्यों की सरकारों ने इसको अपने राज्य में भी लागू करने का फैसला लिया तो वहीं भाजपा लगातार ओपीएस को लेकर सीएम गहलोत के फैसले पर निशाना साधती रही है. वहीं हाल ही में योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को दिवालिएपन की रेसिपी और बेहुदगी भरा फैसला बताते हुए सीएम गहलोत पर हमला बोला था. शनिवार को मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री गहलोत ने अहलूवालिया के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि हमने ओपीएस पब्लिक इंट्रैस्ट में लागू किया. सीएम गहलोत ने कहा कि, ”अगर सरकारी कर्मचारी करप्शन करेंगे, तो अच्छा लगेगा क्या? अगर कर्मचारी को पेंशन नहीं देंगे, तो 35 साल तक वह सोचेगा कि मैं पैसे कैसे कमाऊँ, जिससे मेरा बुढ़ापा ठीक निकले. मानवीय दृष्टिकोण भी है कि वह तकलीफ में रहेगा और टेंशन में काम करेगा. यही नहीं गुड गवर्नेंस में पूरी तरह भागीदारी नहीं निभा पाएगा, ऐसा मेरा मानना है.”
आगे केंद्र की भाजपा सरकार से सवाल करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार ने भेदभाव किया है. आर्मी को ओपीएस और बीएसएफ को ओपीएस नहीं दी, इंडो-तिब्बतियन पुलिस को ओपीएस नहीं रखी, पैरा मिलिट्री फोर्सेज को ओपीएस नहीं, एनपीएस है. ये भेदभाव क्यों किया? इसका जवाब दें वो.’ सीएम गहलोत ने आगे कहा कि हमारी सरकार ने वित्तीय प्रबंधन किया है. कोई काम ऐसा नहीं है, जो हो नहीं सकता है. राज्य कर्मचारी के लिए 60 साल तक ओपीएस लागू करके और पेंशन देकर भी विकास कर सकता है.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या एक इंसान को, एक कर्मचारी, जो नौकरी कर रहा है, उसे बुढ़ापे में सिक्योरिटी महसूस करने का अधिकार नहीं है? वो समझ के परे है. क्यों ह्यूमन राइट कमीशन बोल रहा है कि इनके साथ अन्याय हो रहा है? बुढ़ापे में कर्मचारियों का क्या होगा? जबकि उनके लिए बना कमीशन कह रहा है कि हम लागू नहीं करेंगे. इसका जवाब भी आलोचना करने वालों को देना चाहिए. सीएम गहलोत ने कहा कि 35 साल की सेवा करने के बाद कई घरों में परिस्थितियां और तकलीफ आती हैं. बुढ़ापे में रिटायर्ड व्यक्ति सोचें कि अब हम कहां जाएंगे, पेंशन भी नहीं आ रही है. इसलिए हमने ओपीएस पब्लिक इंट्रैस्ट में किया.
वहीं पिछले दो दिन सियासी बवाल का बड़ा मुद्दा रहे एडीजी एसीबी का आरोपी की पहचान छिपाने वाले आदेश को वापस लेने के फैसले पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि इसमें यू-टर्न जैसी कोई बात नहीं है. मैंने खुदने उदयपुर में कहा था कि इसे दिखवा देंगे. मुझे बताया गया था कि तीन जजों की बेंच का एक फैसला था, उसके कारण आदेश निकाला गया. लेकिन मैंने खुदने कहा कि उस आदेश को वापस ले लेंगे. सीएम गहलोत ने आरोप लगाया कि पिछली बीजेपी सरकार ने कानून पास करके और ऑर्डिनेंस पास करके कहा था कि मीडिया छाप नहीं पाएगा, उसमें और इस आदेश में फर्क था, इसलिए अखबारों ने पिछली सरकार के खिलाफ अभियान चलाया. इस बार मैंने खुदने कहा कहीं अड़चन वाली बात है, तो मैं इसे विड्रॉ करवा दूंगा और कल आदेश विड्रॉ हो ही गया है.
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वहीं प्रदेश भाजपा द्वारा प्रदेशभर के सभी जिलों में गहलोत सरकार के खिलाफ निकाली जन आक्रोश यात्रा को फ्लॉप बताते हुए आगे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अगर हम कोई रिफॉर्म करें, तो विपक्ष को उसे एप्रीशिएट करना चाहिए, तब तो उसकी विश्वसनीयता बढ़ेगी. हर बात को लेकर वो आलोचना करते जाएंगे, तो विश्वसनीयता नहीं रहेगी. यही कारण है कि उनकी जन आक्रोश रैली फेल हुई है. उनके पास एक पॉइंट सरकार के खिलाफ कहने को नहीं है. बल्कि लोगों ने विपक्ष से पूछा कि आक्रोश तो हमारा आपके खिलाफ है, आप यहां पर क्यों आए हो? सीएम गहलोत ने कहा कि बीजेपी की आक्रोश रैली में 200 लोग मुश्किल से इकट्ठा हो रहे हैं. यात्रा ख़त्म होती है, तो 20 लोग बचते हैं, ये स्थिति क्यों हुई? क्योंकि उन्हें हम लोगों ने कोई इश्यू बनाने ही नहीं दिया.