Politalks.News/VicePresident/JagdeepDhankhar. आज राजस्थान के लिए बहुत बड़े गौरव की बात है कि एक साधारण से किसान परिवार में जन्मा गुदड़ी का लाल देश के दूसरे सर्वोच्च पद ‘उपराष्ट्रपति‘ के लिए चुन लिया गया है. जी, हां उपराष्ट्रपति पद के लिए आज हुए मतदान में एनडीए प्रत्याशी जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गेट अल्वा को हराकर चुनाव जीत लिया है. मार्गरेट अल्वा को मात्र 182 वोट ही मिले जबकि 527 वोटों के साथ जगदीप धनखड़ ने जीत हासिल की. ऐसे में जगदीप धनखड़ राजस्थान से उपराष्ट्रपति के पद तक पहुंचने वाली दूसरी बड़ी शख्सियत होंगे. उनसे पहले देशभर में ‘बाबोसा‘ के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले बीजेपी के कद्दावर नेता भैरों सिंह शेखावत उपराष्ट्रपति रह चुके हैं. स्व.भैरों सिंह शेखावत 2002-2007 तक देश के उपराष्ट्रपति रहे थे. बता दें, इससे पहले भैरों सिंह शेखावत तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर चुके थे. वहीं धनखड़ की जीत के बाद देश के दो बड़े संवैधानिक पदों पर अब राजस्थान का दबदबा दिखेगा. पहली बार लोकसभा अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति राजस्थान से होंगे. छात्र राजनीति से निकले बीजेपी के ही कद्दावर नेता और कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र के सांसद ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष हैं.
देश के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में चुने गए जगदीप धनखड़ का जन्म राजस्थान राज्य के झुंझुनूं जिले के एक छोटे से गांव किठाना में हुआ था. धनखड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से पूरी की और फिर राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद चिड़ावा से करीब सत्रह किलोमीटर दूर स्थित किठाना गांव में उत्सव सा माहौल है. धनखड़ का जन्म किठाना गांव में 18 मई 1951 को गोकुलराम धनखड़ के घर हुआ. गांव के चौक में उनकी पुश्तैनी हवेली भी है.
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आपको बता दें, जगदीप धनखड़ की प्रारंभिक शिक्षा भी इसी गांव के सरकारी स्कूल में हुई. एनडीए प्रत्याशी जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद पर जीत की सूचना मिलने के साथ ही गांव में खुशी का माहौल है. गांव के हर घर में मिठाई बांटी जा रही है और महिलाएं मंगल गीत गा रही है. चारों तरफ पटाखे छोड़े जा रहे हैं और पैतृक घर में देसी घी के दीपक जलाए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता रहे धनखड़ ने उच्च शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय से पूरी की. राजस्थान यूनिवर्सिटी से एलएलबी करने के बाद वे वकालत करने लगे. राजस्थान हाईकोर्ट में वर्षों तक वकालत की तथा 1986 में राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे.
राजनीतिक जीवन: बता दें कि भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से उपराष्ट्रपति बने जगदीप धनखड़ नौंवीं लोकसभा (1989 से 1991) के लिए राजस्थान में झुंझुनू संसदीय सीट से जनता दल उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए थे. उसी दौरान कुछ समय के लिए धनखड़ वी.पी. सिंह गठबंधन सरकार में संसदीय कार्य मंत्रालय में उप मंत्री बने. इसके बाद जगदीप धनखड़ ने 1991 में जनता दल छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ले ली. धनखड़ ने 1991 में कांग्रेस के टिकट पर अजमेर से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन भाजपा के रासासिंह रावत से हार गए. लेकिन फिर 1993 में जगदीप धनखड़ राजस्थान विधानसभा चुनाव में अजमेर जिले की किशनगढ़ विधानसभा चुनाव से कांग्रेस टिकट पर लड़ कर विजयी हुए. उन्होंने भाजपा के जगजीतसिंह को एक हजार नौ सौ 58 वोटों से हराया था. 1998 में वे झुंझुनू से कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ कर तीसरे स्थान पर रहे थे. 2003 में उन्होंने वसुंधरा राजे के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने पर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. बता दें, गत विधानसभा चुनावों में जगदीप धनखड़ के कांग्रेस में शामिल होने की अफवाह भी उड़ी थी, मगर उन्होंने भाजपा नहीं छोड़ी.
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जगदीप धनखड़ का जन्म राजस्थान में झुंझुनू जिले के किठाना गांव में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था. इनके पिता चौधरी गोकुलचंद धनखड़ खेती करते थे. धनखड़ ने सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ व राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से शिक्षा ग्रहण की थी. उन्होंने 1977 से राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत करनी शुरू कर दी थी. 1986 में मात्र 35 वर्ष की उम्र में ही जगदीप धनखड़ राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बन गए थे. वे बार कौंसिल के भी सदस्य रहे है. धनखड़ सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भी रह चुके हैं तथा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन पेरिस के सदस्य हैं. राजस्थान के जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग में आरक्षण दिलाने में धनखड़ की महत्ती भूमिका रही थी. जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होने पर उनके गांव किठाना गृह जिले झुंझुनू सहित राजस्थान के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है.
सार्वजनिक जीवन: आपको बता दें, उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो चुके जगदीप धनखड़ जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो एक राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जाति है, जो कई उत्तर भारतीय राज्यों में वोटों को प्रभावित करती है. जगदीप धनखड़ ने सुदेश धनखड़ से शादी की है और उनकी एक बेटी है.
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ममता बनर्जी से रहा है 36 का आंकड़ा
यहां आपको यह भी बता दें कि जगदीप धनखड़, जिन्होंने अतीत में एक ‘अनिच्छुक राजनेता’ होने का दावा किया है, का पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के साथ एक अशांत संबंध रहा है. टीएमसी नेतृत्व ने अक्सर उन पर ‘बीजेपी के एजेंट’ के रूप में काम करने का आरोप लगाया है, लेकिन जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह चुनाव के बाद की हिंसा से लेकर संसद में पारित विधेयकों की स्वीकृति में देरी तक कई मुद्दों पर नियम पुस्तिका और संविधान का पालन करते रहे हैं.