मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री (Madha Pradesh CM) कमलनाथ (Kamalnath) के सामने परेशानियां बढ़ने वाली हैं. कांग्रेस नेता चिदंबरम (Chidambaram) को जेल भेजने के बाद अब गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने अपना ध्यान कमलनाथ की तरफ केंद्रित कर दिया है. मुख्य लक्ष्य कमलनाथ (Kamalnath) की सरकार को अस्थिर करना है. इसलिए सीधे मुख्यमंत्री पर निशाना साधने की रणनीति तैयार हो चुकी है. इसके तहत कमलनाथ (Kamalnath) के खिलाफ 1984 के दंगों से संबंधित मामले फिर से खोले जाएंगे. सूत्रों के मुताबिक अमित शाह ने पुराने मामले खोलने की मंजूरी दे दी है. कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी आगस्ता वेस्टलैंड मामले में पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं.

गौरतलब है कि 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिख विरोधी दंगे हुए थे. उस समय कांग्रेस नेता सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर सहित अनेक कांग्रेस नेताओं के खिलाफ भीड़ को उकसाने के आरोप लगे थे. उनमें कमलनाथ का नाम भी शामिल है. कमलनाथ ने हमेशा इस बात से इनकार किया है कि उनकी दंगों में कोई भूमिका थी. जब कांग्रेस ने कमलनाथ को मप्र में मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया था, तब यह मामला उभरकर आया था. जिस दिन कमलनाथ (Kamalnath) ने भोपाल में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उस दिन मध्य प्रदेश और पंजाब में उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए थे.

सिख विरोधी दंगों के मामलों की सुनवाई के दौरान गवाहों ने कहा था कि जब दंगे हो रहे थे, उस समय दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे के बाहर कमलनाथ दंगाई भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे. उनकी मौजूदगी में दो सिखों की हत्या हुई थी. दंगों की जांच कर रहे नानावटी आयोग ने कमलनाथ को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था. उस समय आयोग ने दो गवाहों की सुनवाई की थी. इनमें इंडियन एक्सप्रेस के तत्कालीन संवाददाता संजय सूरी भी शामिल थे. उन्होंने कहा था कि मौके पर कमलनाथ मौजूद थे. कमलनाथ ने माना कि वह वहां मौजूद थे, लेकिन भीड़ को शांत करने का प्रयास कर रहे थे. पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट सिख विरोधी दंगों में 88 लोगों को दोषी मान चुकी है.

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गौतरलब है कि मोदी 2.0 में गृहमंत्री बनने के बाद अमित शाह अपने अलग ही मूड में है. पहले ही सत्र में जम्मूकश्मीर पुनर्गठन, तीन तलाक और UAPA जैसे एक के बाद एक बड़े बिल पास करवाए. अभी जम्मूकश्मीर के नजरबंद नेता बाहर भी नहीं आये की उससे पहले अपनी पुरानी अदावत का हिसाब चुकता करते हुए शाह ने चिदम्बरम को जेल भिजवाया. उसके बाद नम्बर आया डीके शिवकुमार का, अभी शिवकुमार ED की हिरासत में हैं. कयास लगाए जा रहा थे कि अब अगला नम्बर शायद उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत का होगा, लेकिन अमित शाह ने 1984 के दंगों से संबंधित पुराने मामले फिर से खोलने की मंजूरी देकर सबको चौंका दिया. शायद अमित शाह पहले वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ को हटाने के मूड में हैं, इसके बाद निवर्तमान मुख्यमंत्री रावत पर ध्यान देंगे.

भाजपा की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) ने कमलनाथ (Kamalnath) के खिलाफ मामला फिर से खोलने की मंजूरी का स्वागत करते हुए इसे सिखों की जीत बताया है. अकाली नेताओं का कहना है कि जिन मुकदमों को गलत तरीके से बंद कर दिया गया था, उन्हें फिर से खोलना स्वागत योग्य है. कमलनाथ को उनके किए की सजा मिलनी चाहिए.

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