प्रशांत किशोर ने दी अमित शाह को चुनौती, कहा- परवाह नहीं तो लागू कीजिए सीएए-एनआरसी

गृहमंत्री अमित शाह की लखनऊ रैली पर साधा निशाना, जदयू उपाध्यक्ष हैं पीके लेकिन सीएए पर कम नहीं किए तीखे तेवर

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. बिहार के वैशाली में गृहमंत्री अमित शाह की रैली में दिए बयान ‘नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा चुनाव’ के बाद लग रहा था कि अब जदयू और बीजेपी के बीच सब कुछ ठीक होने लगा है. लेकिन लगता है कि प्रशांत किशोर CAA को लेकर अपने विरोधी रवैये पर कायम हैं. नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ लगातार आवाज उठाने वाले जदयू नेता प्रशांत किशोर ने गृह मंत्री अमित शाह को इसे लागू करने की चुनौती दी है. प्रशांत किशोर ने अमित शाह को चुनौती देते हुए कहा कि अगर आप नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ विरोध करने वालों की परवाह नहीं कर रहे हैं तो फिर क्यों नहीं आगे बढ़ जाते हैं और इसे लागू करने की कोशिश करते हैं? बता दें कि इससे पहले भी प्रशांत किशोर एनआरसी और सीएए को लेकर आवाज मुखर कर चुके हैं.

बुधवार को ट्वीट करते हुए पीके ने लिखा, ‘नागरिकों की असहमति को खारिज करना किसी भी सरकार की ताकत का संकेत नहीं हो सकता. अमित शाह अगर आप सीएए और एनआरसी का विरोध करने वालों की परवाह नहीं करते हैं तो आगे बढ़िए और उस क्रॉनोलॉजी में सीएए और एनआरसी को लागू करिए, जो आपने राष्ट्र के लिए इतनी बड़ी घोषणा की है‘.

पीके के ट्वीट से स्पष्ट है कि वो क्या कहना चाह रहे हैं. दरअसल, मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह ने सीएए के समर्थन में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रैली की थी. यहां उन्होंने कहा था कि जिसको विरोध करना है करे, मैं डंके की चोट पर कहता हूं सीएए कानून वापस नहीं होगा. जबकि प्रशांत किशोर शुरू से सीएए के विरोध में रहे हैं. जदयू ने जब लोकसभा में सीएए के प्रस्ताव का समर्थन किया था, तब भी प्रशांत किशोर ने विरोध करते हुए अपने इस्तीफे की पेशकश तक कर दी थी. हालांकि नीतीश कुमार और अन्य नेताओं के समझाने पर उन्होंने जदयू के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिया. लेकिन अपने तीखे तेवर कम भी नहीं किए.

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हाल ही में बिहार के बीजेपी नेता के पूर्व मंत्री संजय पासवान ने नीतीश कुमार को थका हुआ चेहरा बताते हुए अकेले ही चुनाव जीतने की बात कही थी. इस पर जदयू और बीजेपी नेताओं में आपस में ठन गई थी लेकिन अमित शाह ने तुरंत बात संभालते हुए बिहार का दौरा कर नीतीश के नेतृत्व में बिहार चुनाव फतेह करने की बात कही. इस मौके पर गृहमंत्री ने नीतीश और उनके पार्टी के विरोधाभास वाले बिंदूओं पर जुबान तक नहीं खोली. बता दें, नीतीश एनआरसी के मुद्दे पर हमेशा से बीजेपी से जुदा रहे हैं और शाह ने भाषण में एनआरसी और एनपीआर पर एक शब्द भी नहीं कहा, हां सीएए पर जरूर बोले.

अब बिहार चुनाव एनडीए के बैनर तले लड़ने की बात कन्फर्म हो चुकी है, इस बीच पीके फिर से दोनों पार्टियों के बीच आ गए हैं. नीतीश और केंद्र सरकार सीएए के समर्थन में हैं, जबकि प्रशांत किशोर विरोध में. अमित शाह को सीधी चुनौती देकर वे जदयू और बीजेपी गठबंधन के बीच आ रहे हैं. पीके जदयू के उपाध्यक्ष भी हैं, ऐसे में नीतीश कुमार पर भी पूरा दवाब है कि इस मुद्दे पर कोई स्टैण्ड लें और वो भी जल्दी.

गौरतलब है कि पीके की कंपनी आई-पैक (I-PAK) इस समय दिल्ली में आम आदमी पार्टी और सीएम अरविंद केजरीवाल के चुनावी प्रचार और उनकी रणनीति पर काम कर रही है. वहीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी उनकी कंपनी को आगामी चुनावों के लिए हायर किया है. ये दोनों ही राज्य सीएए के विरोध में हैं और खुद पीके भी. ऐसे में उनकी सोच जदयू से मैच नहीं खा पा रही है. दिल्ली में दो सीटों पर चुनाव लड़ रही जदयू की स्टार प्रचारक लिस्ट में भी प्रशांत किशोर का नाम शामिल नहीं है. ऐसे में पूरे कयास लगाए जा रहे हैं कि सीएए पर लगातार विरोध उन पर भारी पड़ सकता है. वहीं अगर पीके के विरोधी कटाक्ष बीजेपी पर ऐसे ही बदस्तूर जारी रहे तो बिहार में जदयू और बीजेपी गठबंधन पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है.

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