किसानों की कर्जमाफी पर सरकार को घेर रहा विपक्ष, वहीं कर्जमाफी को ही गलत बता रहा RBI

पिछले कई सालों से किसान कर्जमाफी की मांग पर बड़े-बड़े तख्त पलट गए, सभी पार्टियों ने अपने घोषणा पत्रों में किसान कर्जमाफी को सबसे उपर रखा है लेकिन RBI किसानों को दी जाने वाली इस कर्जमाफी को ही गलत बता रहा है

RBI Loan waiver
RBI Loan waiver

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. देश में पिछले कई सालों से किसान कर्जमाफी (Loan Waiver)  की मांग पर बड़े-बड़े तख्त पलट गए. अपनी सत्ता बचाने के लिए राजस्थान में वसुंधरा राजे ने भी किसानों के 50 हजार तक के कर्जे माफ किए थे. वहीं पिछले साल राजस्थान के साथ मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किसान कर्जमाफी को शामिल किया और सत्ता में वापसी की. महाराष्ट्र और हरियाणा में भी सभी प्रमुख पार्टियों ने अपने अपने घोषणा पत्रों में किसान कर्जमाफी को सबसे उपर रखा है लेकिन आरबीआई (RBI) किसानों को दी जाने वाली इस सब्सिडी या कर्जमाफी को ही गलत बता रहा है.

किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी/कर्जमाफी को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक रिपोर्ट जारी कर केंद्र और राज्य सरकारों को अलर्ट जारी किया है. आरबीआई के अनुसार, राज्य सरकारों की ओर से दी जाने वाली कर्जमाफी असल में कर्ज न चुकाने की प्रवृति को बढ़ावा दे रही है. 10 राज्यों में किए गए एक सर्वे के मुताबिक, जहां-जहां कर्जमाफी (Loan Waiver) हुई, वहां गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) एनपीए में तेजी से वृद्धि हुई. आरबीआई ने कृषि ऋण में क्षेत्रीय असमानता के कारणों को समझने और व्यावहारिक समाधान सुझाने के लिए बनाए गए आंतरिक कार्यदल ने कहा कि सब्सिडी नीति पर दोबारा विचार करना जरूरी है.

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कृषि ऋण पर सितंबर, 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 6 वर्षों में 10 राज्यों में 2.4 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण माफ करने की घोषणा हुई है जो ग्रामीण नौकरियों के कार्यक्रम के लिए 2019-20 के बजट का चार गुना या 2019-20 के केंद्रीय बजट का 9 प्रतिशत है. आरबीआई (RBI) के इस सर्वे में राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्रा, तेलंगाना, पंजाब, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडू को शामिल किया गया.

इस (RBI) रिपोेर्ट के अनुसार, भारतीय किसानों पर केवल बैंकों और वित्तीय संस्थाओं का ही कर्जभार नहीं है, अपितु उधारकर्ताओं, परिवार और दोस्तों से भी लिया गया उधार है जो दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. किसानों के कुल कर्ज का 58.4 प्रतिशत संस्थागत और 41.6 फीसदी गैर संस्थागत स्त्रोतों का है. ऐसे में कुछ किसान तो कर्जा लेते ही इसलिए हैं ताकि सरकार माफ करे और वे चुकाने से बच जाएं. ऐसे में उनकी सरकारों की कर्जमाफी (Loan Waiver) उनके कर्ज न चुकाने की प्रवृति को सीधे तौर पर बढ़ाने का काम करती है.

वहीं दूसरी ओर, राज्य सरकारें जब भी किसान कर्जमाफी (Loan Waiver) करते हैं तो निर्धन किसानों से ज्यादा साहुकार या बड़े किसान फायदा सबसे पहले उठाते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे हैं जो काम तो बाहर करते हैं लेकिन गांवों में खेती की जमीन पर ऋण उठा कर्जमाफी का फायदा ले लेते हैं. ऐसे में किसानों का एक तबका मिलने वाले फायदे से महरूम रह जाता है और जिन्हें इसका लाभ मिलना चाहिए, उन्हें नहीं मिलता.

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