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प्रचंड जीत हासिल कर सत्ता में लौटी बीजेपी ने नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार का गठन कर काम शुरू कर दिया है. कैबिनेट को मंत्रालय सौंपे जाने के बाद से ही मोदी का मंत्रिमंडल भी सक्रिय नजर आ रहा है. इस कैबिनेट में हर किसी को हैरत में डालने वाला नाम था विदेश सचिव एस जयशंकर का. तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले जयशंकर को पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी टीम में बतौर विदेश मंत्री शामिल किया है.

बता दें कि उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था. पार्टी अब उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाकर संसद भेजने की कवायद में जुटी है. पहले अटकलें लगाई जा रही थी कि उन्हें उनके गृह राज्य तमिलनाडु से ही संसद भेजा जाएगा, लेकिन वहां बीजेपी की एआईडीएमके के साथ बात नहीं बनी. अब पूरी संभावना है कि पार्टी विदेश मंत्री एस जयशंकर को गुजरात से ही राज्यसभा सदस्य बनाकर संसद पहुंचाएगी. क्योंकि यहां से दो राज्यसभा सांसद लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंच चुके हैं और इन सीटों में से किसी एक पर पार्टी जयशंकर को सदस्य बना सकती है.

गुजरात के कोटे से पहले राज्यसभा सांसद बने अमित शाह और स्मृति ईरानी ने लोकसभा चुनाव जीत लिया है. लिहाजा वे अब राज्यसभा सदस्य के पद से इस्तीफा देंगे. ऐसे में गुजरात में बीजेपी कोटे की ये दोनों सीटें खाली होंगी तो क्यास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी विदेश मंत्री एस जयशंकर को इन्हीं सीटों में से ही एक पर राज्यसभा पहुंचाएगी. क्योंकि जयशंकर के गृहराज्य में एआईडीएमके से पार्टी के समीकरण नहीं बैठ पाए हैं. बता दें कि अमित शाह गुजरात की गांधीनगर और स्मृति ईरानी यूपी की अमेठी संसदीय सीट से सांसद चुने गए हैं.

एनडीए में बीजेपी की सहयोगी पार्टी एआईडीएमके को मोदी कैबिनेट में तरजीह नहीं दी गई है. क्योंकि लोकसभा चुनाव में एआईडीएमके का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. अभी तमिलनाडु की कुल 39 में से 38 संसदीय सीटों पर चुनाव हुए थे. जिनमें बीजेपी की इस सहयोगी पार्टी को मात्र एक थेणी लोकसभा सीट पर जीत मिल पाई है. ऐसे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि एआईएडीएमके पर अपने कोटे की चार राज्यसभा सीटों में से एक सीट अब बीजेपी को देने का दबाव है.

इन सीटों पर अगली 24 जुलाई को राज्यसभा सांसद का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है. बता दें कि लोकसभा चुनाव के पहले हुए समझौते के अनुसार एआईडीएमके को एक अन्य सीट सहयोगी दल पीएमके को देनी होगी. वहीं पार्टी की अंदरूनी खबर ये है कि एआईएडीएमके वेल्लोर लोकसभा सीट और नानगुनेरी विधानसभा सीट पर चुनाव होने तक बीजेपी को राज्यसभा सीट देने के पक्ष में कतई नहीं हैं. वहीं एक नेता द्वारा स्थानीय निकाय के चुनाव में कुछ ही समय होने के कारण कोई निर्णय नहीं लेने की भी बात कही गई है.

वहीं, हाल ही में तमिलनाडु की 22 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में से 13 सीटों पर एआईडीएमके को मात मिली है. जिसके बाद यह तय माना जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव में उसे डीएमके से चुनौती जरूर मिलेगी. बता दें कि इन विधानसभा उपचुनावों में प्रदेश की 22 सीटों में डीएमके को 13, जबकि एआईडीएमके मात्र नौ सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी. ऐसे में बीजेपी के पास मात्र गुजरात ही ऐसा रास्ता है जहां से वे विदेश मंत्री को राज्यसभा तक ले जाने की रणनीति तय कर सकेंगे.

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