ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर सीएम गहलोत की उम्मीदों को सीतारमण ने दिया जोर का झटका! जानें माजरा

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सीएम अशोक गहलोत को दी फ्री स्कीम न चलाने की सलाह, ओल्ड पेंशन स्कीम पर सुनाया बड़ा फैसला, गलत बजट पढ़ने को लेकर भी साधा तीखा निशाना, विशेष राज्य के दर्जे से जुड़े सवाल को टाला लेकिन पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने को लेकर राज्य सरकार को लिया आड़े हाथ

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Nirmala Sitharaman’s blow on Ashok Gehlot’s OPS: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सबसे महत्वकांक्षी योजना पुरानी पेंशन योजना (OPS) को राज्य में लागू करने की उम्मीद को बड़ा झटका लगते हुए दिख रहा है. एक तरफ सीएम गहलोत ओपीएस को राजस्थान के बाद देश के अन्य राज्यों में लागू करने के लिए केंद्र पर लगातार दबाव बना रहे हैं तो वहीं केंद्र की मोदी सरकार ने राज्य सरकार को फ्री की स्क्रीम न चलाने की सलाह देते हुए न्यू पेंशन स्कीम यानी एनपीएस का पैसा देने से साफ इनकार कर दिया है. बजट पर संवाद कार्यक्रम में भाग लेने जयपुर पधारीं केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने न सिर्फ ओपीएस पर सीएम गहलोत को झटका दिया बल्कि विधानसभा में गलत बजट भाषण पढ़ने को लेकर भी सीएम गहलोत पर निशाना साधा और कहा कि भगवान की कृपा रहे कि ऐसी गलती किसी वित्त मंत्री से नहीं हो. सीतारमण ने ये भी कहा कि मैं उनकी इज्जत करती हूं लेकिन कांग्रेस के सीएम की डिक्शनरी एक ही है और वह हर चीज का राजनीतिकरण कर देते हैं. वहीं राजस्थान को विशेष राज्य के दर्जे से जुड़े सवाल को वित्तमंत्री टाल गयीं, राजस्थान लंबे समय से इसकी मांग कर रहा है.

यहां आपको बता दें कि सीएम गहलोत काफी समय से केंद्र सरकार से एनपीएस का पैसा देने की मांग कर रहे हैं. लेकिन अब सीतारमण के बयान से स्पष्ट है कि राजस्थान सरकार को न्यू पेंशन स्कीम्स का केंद्र के ट्रस्ट में जमा 45 हजार करोड़ रुपए नहीं मिलेंगे. ऐसे में सीतारमण के इस बयान से गहलोत सरकार की ओल्ड पेंशन स्कीम को भी धक्का लगा है.

दरअसल, केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण प्रदेश की राजधानी जयपुर के एक होटल में बजट चर्चा के बाद मीडिया से बातचीत कर रहीं थीं. यहां उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत की ओल्ड पेंशन योजना लागू करने पर पलटवार करते हुए एनपीएस का पैसा राज्य सरकारों को देने से साफ इनकार कर दिया. सीतारमण ने स्पष्ट तौर पर कहा कि राजस्थान सरकार को न्यू पेंशन स्कीम्स का केंद्र के ट्रस्ट में जमा 45 हजार करोड़ रुपए नहीं मिलेगा. केंद्रीय वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि कोई राज्य अगर किसी कारण से यह डिसीजन लेता है कि एनपीएस का फंड है वो इकट्ठा दे देना चाहिए तो वह नहीं मिलेगा.

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एनपीएस पर वित्त मंत्री ने निर्मला सीतारमण ने साफ कहा कि वह कर्मचारी का पैसा है, ब्याज कमा रहा है, वह पैसा रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के हाथ में आएगा. इकट्ठा पैसा राज्य सरकार के हाथ नहीं आएगा, यह असंभव है. जब सही समय आएगा, तभी यह पैसा कर्मचारी को दिया जाएगा. गौरतलब है कि पीएफआरडीए में एनपीएस के तहत राजस्थान के कर्मचारियों का 39 हजार करोड़ रुपए जमा है. पीएफआरडीए के काननू के मुताबिक, यह पैसा केवल कर्मचारियों को ही दिया जा सकता है. कर्मचारी चाहें तो प्री मेच्योर विड्रॉल कर सकते हैं. गहलोत सरकार ने पिछले साल ही कर्मचारियों के एनपीएस का पैसा निकालने पर रोक लगा दी थी. इसके साथ ही उन्होंने राज्य में ओल्ड पेंशन योजना लागू करने का फैसला लिया था. अब इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार में तकरार चल रही है.

सरकार पर पास पैसा हो, तभी चलाएं फ्री स्कीम
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्य की गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि फ्री स्कीम्स के लिए राज्य उसका भार किसी और पर डाल रहे हैं, यह गलत है. ऐसी स्कीम्स लाने के लिए राज्य अपने संसाधन से फंड जुटाएं, टैक्स से कमाएं. आगे उन्होंने कहा कि जब सरकार की वित्तीय हालात ठीक हो, उसका पैसा आपके पास हो, तभी ऐसी फ्री स्कीम चलाएं. केंद्रीय मंत्री ने सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि आप अगर आपके राज्य के वित्तीय हालात ठीक नहीं है, आप बजट में भी प्रावधान नहीं कर रहे हो, उसके लिए कर्ज ले रहे हो, यह ठीक नहीं है. फिर उसका पैसा कौन देगा?

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केंद्रीय वित्तमंत्री सीतारमण ने कांग्रेस की सरकार पर जनता से झूठे वादे करने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि बिजली सेक्टर को हम पिछले पांच साल से री-स्ट्रक्चर कर रहे हैं. आपने जनता से वादा किया, उन झूठे वादों से सरकार बनाई, लेकिन बिजली कंपनियां कर्ज से दब गईं. बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों ने डिस्कॉम से बकाया मांगा, तब डिस्कॉम के पास पैसा नहीं था. सरकार ने यह पैसा नहीं दिया तो फिर बिजली उत्पादन का खर्च कौन देगा.

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पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लेना जीएसटी काउंसिल पर निर्भर
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पेट्रोल-डीजल लाना या न लाना, इसका फैसला जीएसटी काउंसिल तय करती है. अकेले केंद्र सरकार ही नहीं जीएसटी काउंसिल में सभी राज्य हैं. यदि कांग्रेस सरकारें चाहती हैं कि यह जीएसटी में शामिल हो तो वे रेट बताएं, जीएसटी काउंसिल में चर्चा करें. उन्होंने राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों में चल रही कांग्रेस सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि डीजल-पेट्रोल पर कई राज्य सरकारों ने एक बार भी वैट नहीं घटाया है. वे ही राज्य खड़े होकर केंद्र सरकार से पूछ रहे हैं कि गैस पर पैसा कम नहीं किया. हिमाचल में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ा दिया है. अब वो छत्तीसगढ़ में बैठकर चिंतन करें, लेकिन हमसे सवाल किस मुंह से पूछ रहे हैं.

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गौरतलब है कि राजस्थान में पेट्रोल पर 31.02% और डीजल पर 26.30% वैट है. इसके अलावा एक्साइज ड्यूटी भी लगती है. पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल कर लिया जाएगा तो इस पर महज 28% ही टैक्स रह जाएगा. ऐसे में पेट्रोल और डीजल के दामों में 20 से 25 फीसदी की कमी आ सकती है. इस बात की चर्चाएं काफी समय से चल रही हैं लेकिन निर्णय अभी तक नहीं लिया गया है.

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