Aam Aadmi Party in Rajasthan Politics. कहते हैं साइलेंस वर्किंग पॉलिसी..इज द बेस्ट पॉलिसी. चूंकि इस वक्त पर राजस्थान की राजनीति में भी कुछ ऐसा ही चल रहा है. एक तरफ कांग्रेस चुनावी साल में सीएम अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट के उलझे हुए समीकरण को सुलझाने में जूझ रही है. वहीं बीजेपी में सत्ता की बागड़ौर संभालने को लेकर कड़ा मंथन जारी है. जहां एक तरफ बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां और गजेंद्र सिंह हैं तो दूसरी ओर वसुंधरा राजे, जो दो बार सूबे की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. वहीं तीसरे मोर्चे की तरफ बढ़ रहे आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल भी अपने अपने मजबूत क्षेत्रों को गढ़ बनाने का प्रयास कर रहे हैं और लगातार चुनावी सभाएं कर रहे हैं. तो वहीं, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और ओवैसी की AIMIM पहली बार राजस्थान के चुनावी रण में उतरने को तैयार हैं. इन सभी के बीच एक ऐसी पार्टी भी है जो साइलेंस वर्किंग पॉलिसी के जरिए बिना ज्यादा तामझाम के सूबे की राजनीति में सेंध लगाने का प्रयास कर रही है, और वो है अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी.
पिछले 10 साल की राजनीति में आम आदमी पार्टी ने दो राज्यों में सरकार और दो राज्यों में कई विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है. दिल्ली में लगातार तीसरी बार अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने हैं. पंजाब में पार्टी के भगवंत मान मुख्यमंत्री हैं जबकि गोवा में दो और हाल में गुजरात में पांच विस सीट जीतकर आप पार्टी ने राष्ट्रीय पार्टी होने का तमगा भी हासिल कर लिया है. सफलता के इस घोड़े पर सवार पार्टी अब राजस्थान की धरा पर चल रही राजनीति में अपनी सियासी जमीन तलाश रही है. आम आदमी पार्टी सभी 200 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने का मानस बना सियासी समीकरण जोड़ रही है.
राजस्थान में भी आम आदमी पार्टी गुजरात मॉडल पर काम कर रही है. गुजरात में जिस तरह से कांग्रेस और बीजेपी के पूर्व विधायकों, कद्दावर नेताओं और सामाजिक प्रतिष्ठावान चेहरों पर दांव खेला था, उसी तरह राजस्थान में भी इसी फॉर्मूले पर पार्टी काम कर रही है. इसी कड़ी में बीजेपी के पूर्व विधायक देवेंद्र कटारा को आम पार्टी में शामिल किया है. बीजेपी के पूर्व विधायक और एसटी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे देवेंद्र कटारा ने अपने समर्थकों के साथ आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. 2013 से 2018 तक डूंगरपुर से बीजेपी के विधायक रहे कटारा के साथ वागड़ के एक दर्जन से ज्यादा बीजेपी, कांग्रेस और एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने भी आम आदमी पार्टी ज्वाइन की.
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इससे पहले भी दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों के दर्जनभर नेता आम आदमी पार्टी से जुड़ चुके हैं. इससे मिलता जुलता बयान भी पार्टी की ओर से आया है. आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी और दिल्ली से विधायक विनय मिश्रा ने कहा कि यह तो सिर्फ शुरुआत है. राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों के नेता हमारे संपर्क में है, जो जल्द ही आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे. मिश्रा ने कहा कि राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों में भाईचारा देखने को मिलता है. एक तरफ जहां दिल्ली में अदानी को लेकर कांग्रेस विरोध करती है, वहीं दूसरी ओर, राजस्थान में जब आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता अडानी के खिलाफ जांच की मांग करते हैं. तो कांग्रेस की सरकार हम पर लाठीचार्ज करती है. इससे बीजेपी और कांग्रेस के गठबंधन की हकीकत प्रदेश की जनता के सामने आ चुकी है.
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी विनय मिश्रा ने आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को भारी बहुमत से जीत हासिल होने का दावा किया हैे. हालांकि उनका ये दावा कामयाब होगा, इसकी संभावना कम दिखती है लेकिन अन्य राज्यों में सफलता को देखते हुए एक या दो सीटों पर जीत की संभावना बनती दिख रही है. दूसरी ओर, ये भी सच है कि दिल्ली, गुजरात, पंजाब और गोवा के मुकाबले राजस्थान की राजनीति कुछ अलग है. यहां बीजेपी और कांग्रेस के अलावा कुछ स्थानीय दल अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान की 15 फीसदी सीटों पर दमखम रखते हैं.
मौजूदा विधानसभा में कांग्रेस के 106, बीजेपी के 72, हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रित पार्टी के तीन, भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो, कांग्रेस की सहयोगी लोकदल का एक, सीपीआईएम के दो और 6 निर्दलीय विधायक हैं. बीजेपी के गुलाबचंचद कटारिया के असम के राज्यपाल बनने से एक सीट खाली है जबकि बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. निर्दलीय में से 6 विधायक कांग्रेस के समर्थन में हैं.
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इस बार ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, ओवैसी की एआईएमआईएम भी पहली बार राजस्थान की सियासी दंगल में भाग्य आजमा रही है. कुल मिलाकर एक दर्जनभर राजनीतिक पार्टियां चुनावी समर में गोता लगाने को तैयार है, जिनता कांग्रेस और बीजेपी जैसे मजबूत दलों के सामने टिक पाना असंभव है. इसके बावजूद आम आदमी पार्टी अपनी साइलेंस वर्किंग पॉलिसी के तहत धीरे धीरे चुपचाप काम कर रही है.
पार्टी के कुछ नेताओं का लगातार राजस्थान में आना जाना बदस्तूर जारी है. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी अगले कुछ दिनों में यहां आने वाले हैं जबकि पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल की एक बड़ी रैली की प्लानिंग पर काम हो रहा है. आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता घर घर जाकर जन संपर्क साध रहे हैं. उनकी ये साइलेंस वर्किंग फिलोस्पी राजस्थान में कितनी सफल होगी, ये तो पता नहीं लेकिन सूबे की राजनीति में सियासी जमीन तलाश लेगी, ये पक्का माना जा रहा है.