निर्भया को मिला इंसाफ लेकिन मां बोली ‘जारी रहेगी लड़ाई’

निर्भया के दोषियों की फांसी से देशभर में जश्न का माहौल, मिठाई खिलाकर मनाई जा रही खुशी, दोषियों की फांसी टालने की देर रात चलती लड़ी जद्दोजहद, निर्भया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर दोषियों के वकील को महिलाओं ने लिया आड़े हाथ

Nirbhaya Case
Nirbhaya Case

पॉलिटॉक्स न्यूज. सात साल से इंसाफ का संघर्ष अब जाकर समाप्त हुआ. सत्य की जीत के बाद आशा देवी ने बेटी की तस्वीर को प्रमाण कर सीने से लगाया और अश्रुधार के साथ कहा ‘बेटी, अब जाकर तुम्हें न्याय मिला है‘. ये मंजर है निर्भया के घर का, जहां निर्भया की मां ने कहा कि आज उन्हें और उनकी बेटी को इंसाफ मिला है लेकिन उनकी लड़ाई जारी रहेगी. बता दें, निर्भया के चारों दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन गुप्ता को आज सुबह 5:30 बजे एक साथ फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया. शवों का पोस्टमार्टम कराया जा चुका है और कुछ देर में शवों को परिजनों को सौंप दिया जाएगा. निर्भया के दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद देशभर में जश्न का सा माहौल है. देशभर में एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई जा रही है. जबकि तिहाड़ जेल के बाहर भी लोगों ने मिठाई बांटी.

फांसी मिलने से कुछ घंटों पहले तक दोषियों के वकील एपी सिंह फांसी टालने में लगे रहे. इसी वजह से रात के 11 बजे तक दिल्ली की कोर्ट में याचिकाएं लगाते रहे. आधी रात को वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और जब सर्वोच्च अदालत बैठी तो वहां भी निर्भया के दोषी कुछ ऐसी दलील नहीं दे सके जिसकी वजह से ये फांसी टले. हालांकि, एपी सिंह लगातार इस फांसी को गलत बताते रहे और मीडिया-अदालत और राजनीति पर आरोप मढ़ते रहे. थक हार कर उन्होंने झुंलाकर ये तक कह दिया कि आखिर निर्भया की मां को पता होना चाहिए था कि उनकी बेटी रात को 12 बजे कहां और किसके साथ है. उनके इस तरह के कथन पर पीछे खड़ी कई महिलाओं ने एपी सिंह को आड़े हाथ लेते हुए खूब खरी खोटी सुनाई.

फांसी के समय जेल के अंदर लॉकडाउन रहा, लेकिन तिहाड़ के बाहर जुटे लोग ने इसे बड़ी जीत बताई और ‘निर्भया जिंदाबाद’ के नारे लगाए. वहीं, निर्भया के माता-पिता 20 मार्च का दिन निर्भया दिवस के रूप में मनाने की बात कही. आशा देवी ने कहा कि निर्भया का दुख ही हमारा संघर्ष बना और इंसाफ के लिए हमने लड़ाई लड़ी. हमारा सात साल का जो संघर्ष है, वो आज काम आया है. पहली बार देश में चार लोगों को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया है, हमें देर से ही सही लेकिन इंसाफ जरूर मिला है. इसके लिए देश की सरकार, राष्ट्रपति और अदालतों को धन्यवाद. हमारी बेटी के साथ जो हुआ उससे पूरा देश शर्मसार हुआ था लेकिन अब जब इन दोषियों को फांसी दी गई है तो दूसरी बेटियों को भी इंसाफ मिलने की उम्मीद जागी है. आशा देवी का कहना है कि वह अब देश की दूसरी बेटियों के लिए लड़ाई लड़ेंगी.

निर्भया के दोषियों को सुबह 5:30 बजे दी गई फांसी, जानिए कैसे हुई उनकी फांसी

फांसी से पहले चारों दोषियों ने चाय नाश्ता करने से मना कर दिया, वहीं दोषी विनय ने तो कपड़े बदलने से इनकार कर दिया. उसने रोना शुरू कर दिया और माफी मांगने लगा. फांसी के तख्ते पर लटकने से पहले चारों दोषी कई साल तक जेल में बंद रहे. इस दौरान दोषियों ने जेल में काम कर करके 1 लाख 37 हजार कमाए थे. तिहाड़ जेल प्रशासन के अनुसार, निर्भया के दोषियों ने जेल में काम करके 1 लाख 37 हजार कमाए थे. इसमें मुकेश ने कोई काम नहीं किया था, जबकि अक्षय ने 69 हजार रुपये, पवन ने 29 हजार रुपये और विनय ने 39 हजार रुपये कमाए थे. इन पैसों को उनके परिवार वालों को दिया जाएगा. इसके साथ ही चारों दोषियों के कपड़ों और सामान को भी परिवारवालों को सौंपा जाएगा.

याद दिला दें, 16 दिसम्बर, 2012 में दिल्ली की एक बस में 6 दरिंदों के बीच हैवानियत का शिकार हुई एक पैरामैडिकल की छात्रा निर्भया की इलाज के दौरान 25 दिसम्बर, 2012 को मौत हो गई थी. इसके बाद मामला पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और यहां निर्भया की वकील सीमा कुशवाहा ने जबरदस्त लड़ाई लड़ते हुए उनके परिवार को इंसाफ दिलाई. इन सात सालों में निर्भया की वकील ने दरिंदों को फांसी के तख्त तक पहुंचाने में कोई कोताही नहीं बरती और न एक भी पैसा अपनी फीस का लिया. घटना के बाद ही सीमा ने निर्भया का केस मुफ्त लड़ने की घोषणा की और अपनी बात पर अड़िग रही.

सीमा की खास बात ये है कि वे आईएएस बनना चाहती थी लेकिन साल 2012 में जब निर्भया के साथ ये घटना घटी तो उन्होंने अपना विचार बदला और संकल्प लिया कि वे निर्भया को इंसाफ दिलाकर रहेंगी जो उन्होंने आखिरकार पूरा किया. खास बात ये भी है कि निर्भया का केस सीमा की वकालत करियर का पहला केस था जिसे उन्होंने पूरे जज्बे से लड़ा और जीत हासिल की.

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