कई बड़े दिग्गजों को पछाड़ मुखिया बने तीरथ सिंह रावत की राह नहीं है आसान, चुनौती भरा रहेगा एक साल

त्रिवेंद्र सिंह रावत का पार्टी के अंदर भारी विरोध के बाद भाजपा हाईकमान किसी सर्वमान्य और संघ के मानकों पर खरे उतरने वाले नेता की तलाश शुरू की तो केवल तीरथ सिंह रावत का ही नाम ऐसा था, जिस पर किसी को आपत्ति नहीं थी, आगामी विधानसभा चुनाव और संगठन व नेताओं में जारी गुटबाजी को साधने की होगी चुनौती

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Politalks.News/Uttrakhand. उत्तराखंड की सियासत में आज जो हुआ वो है एक चौंकाने वाला फैसला है. सादगी, शांत स्वभाव और विवादों से दूर रहने वाले तीरथ सिंह रावत बने उत्तराखंड के ‘मुखिया’. दिल्ली बैठे भाजपा हाईकमान ने सारी अटकलों और कयासों को पीछे छोड़ते हुए जब 56 साल के तीरथ सिंह रावत के नाम पर उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री की मुहर लगाई तब राजनीति के जानकारों में भी खलबली मचना स्वाभाविक थी. त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद नए सीएम के लिए जो नाम चल रहे थे, उन सबके उलट बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने सौम्य, सरल और पार्टी की धारा में चलने वाले तीरथ सिंह रावत को नया मुख्यमंत्री बना दिया.

पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तीरथ सिंह रावत पर भरोसा जताकर अगले एक साल तक उन पर राज्य सरकार की जिम्मेदारी सौंप दी. बता दें कि सियासत में परिस्थितियों के अनुसार चालें बदलती हैं, कार्यवाहक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कभी तीरथ सिंह रावत के धुर प्रतिद्वंद्वी माने जाते थे. लेकिन आज बुधवार को देहरादून में भाजपा कार्यालय में जब घड़ी में 11 बजे थे तब त्रिवेंद्र सिंह रावत को बहुत ही बुझे मन से खड़े होकर तीरथ सिंह रावत के नाम का एलान करना पड़ा. उसके बाद गढ़वाल के सांसद तीरथ सिंह रावत को विधायक दल की बैठक में पार्टी का नेता चुना गया.

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इसके बाद शाम 4:10 पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड के दसवें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई. दिल्ली में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्काल तीरथ सिंह को शुभकामनाएं भी दी. सीएम पद की जिम्मेदारी मिलने के बाद तीरथ सिंह रावत ने प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद किया. रावत ने कहा कि कल्पना भी नहीं थी कि कभी इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी. उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल जी से मैं सबसे ज्यादा प्रभावित हूं.

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री की कमान संभालने के बाद राज्य में नए नेतृत्व के रूप में नई सियासत की पारी का आगाज भी शुरू हो गया. यहां हम आपको बता दें कि भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने अगले वर्ष होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक ऐसे चेहरे को सामने किया है जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के 4 साल के कामकाज और उत्तराखंड की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती भी होगी. संगठन और भाजपा नेताओं में जारी गुटबाजी को भी साधने की भी अहम भूमिका निभानी होगी.

सर्वमान्य नेता के रूप में उभर कर सामने आए तीरथ सिंह रावत पड़े सभी पर भारी

महत्वपूर्ण बात यह कि तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में आगे नहीं माना जा रहा था. मुख्यमंत्री पद की दौड़ में धन सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद अजय भट्ट और अनिल बलूनी के नामों की ही चर्चा थी. त्रिवेंद्र सिंह रावत का पार्टी के अंदर भारी विरोध के बाद भाजपा हाईकमान किसी सर्वमान्य और संघ के मानकों पर खरे उतरने वाले नेता की तलाश शुरू की तो केवल तीरथ सिंह रावत का ही नाम ऐसा था, जिस पर किसी को आपत्ति नहीं थी. दो बार उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष रह चुके तीरथ सिंह रावत का कार्यकाल हमेशा ही निर्विवाद रहा. उनकी सबसे बड़ी खूबी यह रही कि हमेशा विवादों से दूर रहे और भाजपा के सभी गुटों को साथ लेकर चले. वहीं भाजपा के वरिष्ठ विधायकों के विरोध के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत की पसंद माने जा रहे धन सिंह रावत सीएम पद की दौड़ से बाहर हो गए.

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बता दें कि गढ़वाल के कलगीखल विकासखंड के सीरों में 9 अप्रैल 1964 को जन्मे तीरथ सिंह रावत छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. वह हेमवती नंदन बहुगुना गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे. रावत ने समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री और पत्रकारिता का डिप्लोमा भी किया है. तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले नेताओं में गिने जाते हैं. उन्हें लंबे समय से राज्य में जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेता के तौर पर जाना जाता रहा है.

आपको बता दें, संघ की पृष्ठभूमि वाले तीरथ सिंह रावत संगठन के साथ ही भाजपा के कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे हैं. संघ से जुड़े दायित्व निभाते हुए वह बीजेपी की मुख्यधारा की राजनीति में आए. 1997 में पहली बार वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे. (तब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश में ही था ) वह राज्य के मंत्री भी रह चुके हैं. साल 2012 में चौबटाखाल विधानसभा सीट से चुनाव जीते. साल 2013 से 2015 तक वह उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे। उसके बाद भाजपा हाईकमान ने चौबटाखाल से वर्ष 2017 में उनका टिकट काटकर कांग्रेस से भाजपा में आए सतपाल महाराज को दे दिया था. इसके बावजूद तीरथ सिंह ने पार्टी में कोई विरोध नहीं किया था बल्कि और मेहनत के साथ संगठन के कामों में जुट गए. बाद में तीरथ सिंह रावत को भाजपा का राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया. साल 2019 में भाजपा हाईकमान ने तीरथ सिंह रावत को पौढ़ी गढ़वाल से लोकसभा चुनाव लड़ाया गया और वो सांसद बन गए.

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बता दें कि नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत एक बार फिर चौबट्टाखाल से विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज सीएम तीरथ सिंह के लिए सीट खाली करेंगे. कैबिनेट मंत्री सतपाल को पौड़ी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया जाएगा. गौरतलब है कि तीरथ रावत चौबट्टाखाल से पूर्व में विधायक रह चुके हैं और मौजूदा समय में मुख्यमंत्री तीरथ पौड़ी लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. संविधान के अनुसार किसी भी मुख्यमंत्री को छह महीने के अंदर विधानसभा या विधान परिषद में से किसी एक का सदस्य होना अनिवार्य है.

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