बिहार में राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ जब 17 अगस्त 2025 को सासाराम से शुरू थी, तब इसे युद्धस्तर पर सफल होते हुए देखा गया था. यह यात्रा कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा चुनाव आयोग के साथ मिलकर असली वोटर्स को हटाकर फर्जी मतदाताओं को लिए जारी फर्जी वोटर लिस्ट तैयार करने को लेकर एक अभियान है, जिससे आम जनता को जागरूक करना है. तेजस्वी यादव, पप्पू यादव, मुकेश सहनी, प्रियंका गांधी वाड्रा, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश व तेलंगाना के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव जैसे बड़े एवं दिग्गज नेता इस यात्रा का हिस्सा बने.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर अधिकार यात्रा विपक्ष का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक अभियान रहा. राहुल गांधी चुनाव आयोग, गहन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) और 2014 से ही पीएम नरेंद्र मोदी पर वोट चोरी का नया नैरिटिव लेकर वे बिहार की जनता को जागरूक कर रहे हैं. संविधान सुरक्षा पर भाषण दे रहे थे. लोकतंत्र और संविधान पर बीजेपी से खतरे गिना-बता कर आगाह कर रहे थे. कभी बाइक, कभी पैदल तो कभी कार से वे बिहार की तफरीह कर आए.
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कांग्रेस का दावा है कि पहले ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से 65 लाख से अधिक वोटरों के नाम हटा दिए गए है और मोदी सरकार चुनाव आयोग के साथ मिलकर वोटर लिस्ट में हेराफेरी कर विपक्षी समर्थकों के वोट काट रही है. इसे विपक्ष ‘वोट चोरी षड्यंत्र’ बता रहा है. यह यात्रा राहुल गांधी की पिछली यात्राओं- भारत जोड़ो यात्रा (2022-23) और भारत जोड़ो न्याय यात्रा (2024)- की तर्ज पर है. भारत जोड़ो न्याय यात्रा में सामाजिक न्याय, जातिगत जनगणना, बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों पर राहुल गांधी का फोकस था, जिसने 2024 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को 99 सीटें दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वोटर अधिकार यात्रा भी इसी नैरेटिव को आगे बढ़ाती है, लेकिन फोकस चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर है.
निष्पक्ष ढंग का कोई भी व्यक्ति कह सकता है कि उनकी यात्रा उम्मीद से कहीं अधिक सफल रही है लेकिन अब ‘वोट चोरी’ का नैरेटिव फेल और वोटर अधिकार यात्रा की चमक फीकी पड़ने लगी है. वजह है एक गलती..एक बहुत बड़ी गलती, जिसे बीजेपी ने काफी अच्छे से भुनाया है.
राहुल की इस कामयाब मानी जा रही यात्रा पर एक गलती ने पानी फेर दिया है. 27 अगस्त, 2025 को दरभंगा में यात्रा के दौरान विवादास्पद घटना घटी. एक वायरल वीडियो में मंच से पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां को गाली दी गई. वीडियो में कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ता नौशाद नामक स्थानीय नेता का नाम लेते हुए गाली देते नजर आते हैं. मंच पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और तेजस्वी यादव के पोस्टर लगे दिखाई दे रहे हैं लेकिन घटना के समय वे मंच पर मौजूद नहीं थे. वे मुजफ्फरपुर के लिए मोटरसाइकिल से रवाना हो चुके थे. वहीं नौशाद ने कहा कि वे 15-20 मिनट पहले चले गए थे और घटना एक नाबालिग द्वारा की गई, जिसका माइक तुरंत छीन लिया गया और उसे थप्पड़ भी मारा गया. वह कथित युवक इस समय पुलिस की गिरफ्त में है.
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इस घटना को बीजेपी ने ‘आपदा में अवसर’ के तरीके से लिया. बीजेपी ने इसे ‘राजनीति की नीचता’ करार देते हुए राहुल गांधी को इसका जिम्मेदार माना और उनसे माफी मांगने को कहा. जिस तरह से बीजेपी इस मुद्दे को उछाल रही है, प्रथम दृष्टता तो यही लगता है कि पीएम और उनकी स्व.मां को खुद राहुल गांधी ने गाली दी है. इस घटना के बाद से बिहार में सफल होती महागठबंधन की यात्रा को पंख लगने की जगह ब्रेक लग गया है.
बीजेपी ने तो पटना के गांधी मैदान थाने में राहुल के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई है, जबकि बिहार महिला आयोग ने सुओ मोटो संज्ञान लेते हुए राहुल और तेजस्वी को नोटिस जारी किया है. आयोग ने इसे ‘महिला का अपमान’ से जोड़ा है, जो संपूर्ण विपक्ष पर भारी पड़ रहा है. पटना कांग्रेस कार्यालय में बीजेपी और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के बीच हुई हाथापाई ने भी इस मामले को तूल दे दिया है, जो निकट भविष्य में बढ़ने वाला है।
अगर यह वोट अधिकार यात्रा फेल होती है तो इसका असर केवल बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश पर पड़ना लाजमी है. वजह – इसी मुद्दे पर पश्चिम बंगाल में ममता सरकार बीजेपी को घेर रही है. महाराष्ट्र, तमिलनाडु, हिमाचल और झारखंड में भी इस मुद्दे की धमक है. अगर यह रैली अपने अंतिम सफर में असफल होती है तो यह मुद्दा पूरी तरह से दबा दिया जाएगा और इसका ठीकरा सीधे तौर पर कांग्रेस एवं राहुल गांधी के सिर पर फूटेगा और परिणाम बिहार विस चुनाव के तौर पर लिया जाएगा.
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भले ही वोट अधिकार यात्रा का मुख्य फोकस ‘न्याय और लोकतंत्र की रक्षा’ रहा हो, जो सामाजिक न्याय, समावेशिता और अहिंसा पर आधारित था, लेकिन पीएम मोदी और उनकी मां को गाली जैसी घटना ने इसे ‘घृणा और अपमान’ में बदल दिया है, जो विपक्ष के नैरेटिव को यकीनन कमजोर करेगा. यह घटना विपक्ष के एक प्रयास पर ‘स्तरहीन राजनीति’ का लेबल लगा देती है. सोशल मीडिया पर भी #VoteChori के बजाय #ModiKiMaa ट्रेंड हो रहा है, जो इस यात्रा के मुद्दों को पीछे धकेल देता है. यह नैरेटिव अब अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है.



























